जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
उत्तर प्रदेश के लखनऊ विश्वविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. रविकांत एक बार फिर अपने विवादित बयानों के चलते चर्चा में हैं। इस बार उन्होंने अपने आधिकारिक ‘X’ (पूर्व ट्विटर) हैंडल से बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री को लेकर एक ऐसा दावा कर डाला, जिसने धार्मिक और सामाजिक हलकों में तीखी प्रतिक्रिया पैदा कर दी।
प्रोफेसर रविकांत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को “नॉन बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री” बताते हुए उनके “छोटे भाई” कहे जाने वाले धीरेंद्र शास्त्री पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने पोस्ट में लिखा कि “धर्म की आड़ में महिला तस्करी हो रही है” और इसकी उच्चस्तरीय जांच कराकर दोषियों को फांसी तक की मांग की।
क्या था विवादित पोस्ट?
31 जुलाई को किए गए अपने पोस्ट में रविकांत ने प्रधानमंत्री और धीरेंद्र शास्त्री दोनों को निशाने पर लिया। उनके शब्दों ने न केवल राजनीतिक बल्कि धार्मिक स्पेक्ट्रम में भी उबाल ला दिया। सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रियाएं शुरू हुईं और उसी रात मध्यप्रदेश के छतरपुर ज़िले के बमीठा थाने में उनके खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 353(2) बीएनएस के तहत FIR दर्ज की गई।
इस धारा के अंतर्गत अगर कोई व्यक्ति ऐसा बयान देता है जिससे सामाजिक घृणा, नफरत या भ्रम फैलता है — तो उस पर तीन साल तक की सजा हो सकती है। पुलिस ने अभी तक गिरफ्तारी नहीं की है, लेकिन इन्वेस्टिगेशन जारी है।
पहला ट्वीट:
“पहले भारतीयों के हाथों में हथकड़ी, फिर सीजफायर की धमकी, अब 25 फीसदी टैरीफ और जुर्माना!!
मोदी जी की इस दोस्त साहब से दोस्ती की और कितनी कीमत ये देश चुका पाएगा??
गरीबी की सजा, जुर्माना करने की जुर्मत गरीब भारत में भी कभी किसी को नहीं हुई थी।
अपने नॉन बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री ने ये दिन भी दिखा दिया!!
@RahulGandhi
@kharge
@yadavakhilesh
@Dr_Uditraj”
इस ट्वीट में प्रोफेसर रवि कांत ने पीएम मोदी की अमेरिकी नीति और व्यापारिक संबंधों को लेकर तीखी आलोचना की है। उन्होंने अमेरिका से बढ़ते टैक्स और जुर्माने को लेकर मोदी सरकार पर कटाक्ष किया है और पीएम मोदी को “नॉन बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री” कहकर विवाद खड़ा किया।
दूसरा ट्वीट:
“नॉन बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा घोषित छोटा भाई धीरेंद्र शास्त्री धर्म की आड़ में महिला तस्करी कर रहा है!
इसकी गहन जांच करवाकर दोषी पाए जाने पर धीरेंद्र को फांसी होनी चाहिए।
@1008Sanatani
@narendramodi”
यह ट्वीट और भी ज्यादा विवादित है। इसमें रवि कांत ने धीरेंद्र शास्त्री पर महिला तस्करी का गंभीर आरोप लगाया है और जांच कर फांसी की मांग की है। साथ ही, नरेंद्र मोदी को “नॉन बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री” कहकर संबोधित किया गया है, जो अपमानजनक और विवादास्पद माना गया।
धीरेंद्र शास्त्री क्यों आए निशाने पर?
इस पूरे विवाद की जड़ एक वास्तविक घटना से जुड़ी है, जो 28 जुलाई की रात को सामने आई थी। छतरपुर के लवकुशनगर थाना क्षेत्र में डायल 100 को सूचना मिली कि एक एम्बुलेंस में संदिग्ध रूप से 13 महिलाओं को ले जाया जा रहा है। पुलिस ने एम्बुलेंस को पठा चौकी पर रोका और पूछताछ में चौंकाने वाली बातें सामने आईं।
महिलाओं ने आरोप लगाया कि उन्हें बागेश्वर धाम की एक महिला सेवादार ‘मिनी’ ने जबरन एम्बुलेंस में बिठाया और धमकी दी कि अगर नहीं गईं तो जान से मार दिया जाएगा। वहीं, ड्राइवर ने दावा किया कि पन्ना के एक अन्य सेवादार के कहने पर उन्हें रेलवे स्टेशन छोड़ा जा रहा था।
बागेश्वर धाम का जवाब और पक्ष
इस पूरे घटनाक्रम के बाद पं. धीरेंद्र शास्त्री ने रात में ही एक वीडियो जारी कर सफाई दी। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि कुछ “साजिशकर्ता” लगातार बागेश्वर धाम के खिलाफ षड्यंत्र रच रहे हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि उनका मिशन हिंदू समाज को संगठित करना और सनातन धर्म की रक्षा करना है।
शास्त्री ने कहा कि यह तो अभी शुरुआत है, आगे और आरोप लगेंगे। लेकिन वे न अपने मार्ग से हटेंगे, न अपने मिशन से।
पुलिस और प्रशासन की जांच में क्या निकला?
बागेश्वर धाम प्रशासन की ओर से कहा गया कि महिलाएं वहां पिछले 6 महीने से रुकी हुई थीं और उन पर चोरी, चेन स्नैचिंग और अन्य संदिग्ध गतिविधियों में शामिल होने के आरोप थे। धाम प्रबंधन के अनुसार, ये महिलाएं पेशी के नाम पर धाम में रुक रही थीं और बार-बार समझाने के बावजूद वहां से नहीं जा रही थीं।
29 जुलाई को 54 ऐसे लोगों को उनके घर वापस भेजा गया, जिनकी गतिविधियों पर संदेह था। बागेश्वर धाम जन सेवा समिति ने एक लिस्ट जारी की और दावा किया कि उन्हें किराया देकर स्टेशन तक छोड़ा गया।
प्रोफेसर रविकांत के पुराने विवाद भी आए चर्चा में
रविकांत इससे पहले भी कई बार अपने बयानों को लेकर विवादों में रहे हैं।
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2022 में उन्होंने काशी विश्वनाथ-ज्ञानवापी विवाद पर विवादित टिप्पणी की थी, जिसके बाद छात्रों ने उन पर हमला कर दिया था।
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एक अन्य पोस्ट में उन्होंने दो महिलाओं (जो अपने पतियों की हत्या के आरोप में गिरफ्तार हुई थीं) को ‘संघी विचारधारा की उपज’ कहकर संघ को जिम्मेदार ठहराया था।