जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
अयोध्या में रामलला मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास का 80 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। बुधवार सुबह 7 बजे उन्होंने लखनऊ PGI में अंतिम सांस ली। 32 साल तक रामलला की सेवा करने वाले पुजारी आज प्रभु श्रीराम के चरणों में विलीन हो गए। 3 फरवरी को ब्रेन हेमरेज के बाद उन्हें लखनऊ रेफर किया गया था। उनके निधन से अयोध्या के संत समाज और राम भक्तों में शोक की लहर दौड़ गई। आचार्य सत्येंद्र दास का पार्थिव शरीर अयोध्या लाया जाएगा। उनके आश्रम सत्य धाम गोपाल मंदिर में अंतिम दर्शन के लिए रखा जाएगा।
संत कबीरनगर जिले में जन्मे आचार्य सत्येंद्र दास का बचपन से ही अध्यात्म की ओर झुकाव था। वे अपने पिता के साथ अयोध्या आते-जाते रहते थे और वहीं उन्होंने सन्यास लेने का निर्णय किया। उनके गुरु अभिराम दास, जिन्होंने 1949 में रामलला की मूर्तियों के प्रकट होने का दावा किया था, से वे बेहद प्रभावित थे।
आचार्य सत्येंद्र दास पिछले 32 वर्षों से राम जन्मभूमि में मुख्य पुजारी के रूप में सेवा दे रहे थे। 6 दिसंबर 1992 को जब बाबरी विध्वंस हुआ, तब उन्होंने रामलला की मूर्तियों को गोद में उठाकर सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया। उनकी इस सेवा को राम मंदिर आंदोलन के इतिहास में एक अविस्मरणीय क्षण के रूप में याद किया जाता है।
आचार्य सत्येंद्र दास ने संस्कृत से आचार्य की उपाधि प्राप्त करने के बाद अयोध्या के संस्कृत महाविद्यालय में सहायक टीचर के रूप में कार्य किया। लेकिन उनका मन रामलला की सेवा में ही लगा रहा। 1 मार्च 1992 को वे राम जन्मभूमि के मुख्य पुजारी नियुक्त हुए और जीवन भर इसी सेवा में लगे रहे। बता दें, 1992 में रामलला के तत्कालीन पुजारी लालदास को हटाने के बाद विहिप के नेता, संतों और भाजपा सांसद विनय कटियार के सुझाव पर सत्येंद्र दास को मुख्य पुजारी नियुक्त किया गया। इसके बाद उन्होंने 4 सहायक पुजारियों को भी नियुक्त किया।