Prayagraj Maha Kumbh 2025: श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी का भव्य छावनी नगर प्रवेश, चार महिला महामंडलेश्वर भी थीं शामिल

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जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:

प्रयागराज महाकुंभ 2025 में सनातन धर्म के 13 प्रमुख अखाड़ों में से एक श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी ने भव्य यात्रा के साथ छावनी नगर प्रवेश किया। धन, वैभव और शौर्य के प्रतीक, श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी का जुलूस मानो आकाश को छूने के लिए तैयार था। घोड़े और ऊंट पर सवार नागा साधु, एक समृद्ध इतिहास और आध्यात्मिक समर्पण की मिसाल पेश करते हुए, इस जुलूस का हिस्सा बने। यह भव्य यात्रा कुल 5 किलोमीटर लंबा सफर तय करके शाम के समय छावनी में प्रवेश कर गई। यात्रा के दौरान, चार महिला महामंडलेश्वर भी शामिल थीं, जो इस यात्रा में नारी शक्ति की महत्वपूर्ण भूमिका को दर्शाती हैं। शहर भर में जगह-जगह पुष्प वर्षा की गई, और कुम्भ मेला प्रशासन ने भी अखाड़े के महात्माओं का स्वागत किया।

बता दें, श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी को सनातन धर्म के सबसे धनवान और प्रभावशाली अखाड़ों में से एक माना जाता है। इस अखाड़े का जुलूस अलोपी बाग के पास स्थित स्थानीय छावनी से निकला, जहां से इसकी यात्रा शुरू हुई। अखाड़े के वर्तमान समय में 67 महामंडलेश्वर हैं, जो इसके धार्मिक प्रभाव और महिमा को स्पष्ट रूप से दर्शाते हैं।

यात्रा की शुरुआत जैसे ही हुई, सबसे पहले अखाड़े के इष्ट भगवान कपिल जी का रथ श्रद्धालुओं के बीच से गुजरते हुए दिखाई दिया। इसके बाद आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी विशोकानंद जी का रथ आया। रथ पर बैठकर आचार्य जी ने पूरे मार्ग में श्रद्धालुओं को दर्शन दिए।

वहीं, अखाड़े के सचिव महंत यमुना पुरी ने बताया कि महानिर्वाणी अखाड़ा को नारी शक्ति को सम्मान देने के लिए हमेशा जाना जाता है। उन्होंने बताया कि साध्वी गीता भारती को अखाड़ों की पहली महामंडलेश्वर बनने का सम्मान 1962 में प्राप्त हुआ था। महंत यमुना पुरी ने यह भी बताया कि महामंडलेश्वर स्वामी हरि हरानंद जी की शिष्या संतोष पुरी ने तीन साल की उम्र में अखाड़े में प्रवेश किया, और दस साल की उम्र में वह गीता का प्रवचन करने लगीं।

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