जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
मुरैना जिले के कैलारस स्थित शक्कर कारखाने को लेकर एक बार फिर से राजनीति गर्मा गई है। मध्यप्रदेश के कृषि मंत्री एदल सिंह कंसाना ने शनिवार को कारखाने को लेकर ऐसा बयान दिया, जिसने न केवल किसानों के बीच उम्मीद जगा दी है बल्कि सरकार के हालिया फैसले पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं।
मंत्री का बयान: “कारखाना चालू होगा”
कृषि मंत्री एदल सिंह कंसाना शनिवार को कैलारस स्थित भूमिया बाबा मंदिर में एक कार्यक्रम में शामिल होने पहुंचे थे। रास्ते में कार्यकर्ताओं ने उनका भव्य स्वागत किया। इसी दौरान उन्होंने शक्कर कारखाने के भविष्य पर बयान देते हुए कहा,
“कैलारस का शक्कर कारखाना चालू होगा। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने मुझे यहां भेजा है और निर्देश दिए हैं कि जौरा के पूर्व विधायक सूबेदार सिंह और सबलगढ़ विधायक सरला रावत हस्ताक्षर अभियान चलाएं। यदि किसान गन्ना उगाने को तैयार होगा तो कारखाना जरूर चालू किया जाएगा। यह मेरी जिम्मेदारी है।”
इस बयान ने किसानों के बीच नई उम्मीद जगा दी है, क्योंकि लंबे समय से वे कारखाने के पुनः शुरू होने की मांग कर रहे थे।
कैबिनेट का फैसला: एमएसएमई को सौंपा जाना था कारखाना
यह बयान तब आया है जब 20 अगस्त को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में कैलारस शक्कर कारखाने को एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग) विभाग को सौंपने का निर्णय लिया गया था। इस निर्णय के तहत एमएसएमई विभाग को कारखाने की 61 करोड़ रुपए की देनदारी सहकारिता विभाग को चुकानी है, ताकि कारखाने की आर्थिक स्थिति सुधारी जा सके और उसे नए ढांचे के साथ उपयोग में लाया जा सके।
यानी कैबिनेट के स्तर पर जहां कारखाने को एमएसएमई के हवाले करने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है, वहीं कृषि मंत्री का बयान उसके बिल्कुल उलट है।
राजनीतिक सरगर्मी तेज
कैलारस का यह शक्कर कारखाना पिछले कई सालों से राजनीतिक विवादों और वादों का केंद्र रहा है। किसानों की भावनाएं इससे गहराई से जुड़ी हैं, क्योंकि कारखाने के बंद होने से उन्हें गन्ने की फसल का उचित मूल्य नहीं मिल पा रहा। इससे पहले भी कई बड़े नेता कारखाने को चालू करने की घोषणाएं कर चुके हैं। इनमें पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया शामिल हैं।
अब कृषि मंत्री एदल सिंह कंसाना का यह बयान राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा रहा है, क्योंकि यह सीधे-सीधे सरकार के आधिकारिक फैसले से टकराता है।
किसानों के लिए यह मुद्दा बेहद अहम है। गन्ना उत्पादन इस क्षेत्र की प्रमुख फसल रही है और कारखाने के बंद होने से उनकी आर्थिक स्थिति पर गहरा असर पड़ा है।
किसानों का कहना है कि यदि कारखाना दोबारा शुरू होता है तो न केवल उन्हें बेहतर दाम मिलेंगे, बल्कि स्थानीय स्तर पर हजारों लोगों को रोजगार भी उपलब्ध होगा।
स्थानीय राजनीति की बात करें तो कैलारस और आसपास के विधानसभा क्षेत्रों में यह मुद्दा हर चुनावी मौसम में गूंजता रहा है। ऐसे में कृषि मंत्री का बयान आगामी चुनावों से पहले भाजपा के लिए राहत या चुनौती—दोनों ही रूपों में असर डाल सकता है।
आगे की राह
अब सवाल यह है कि क्या कृषि मंत्री का यह आश्वासन केवल राजनीतिक बयान है या वास्तव में सरकार इस दिशा में कदम उठाएगी। कैबिनेट निर्णय और मंत्री के बयान में विरोधाभास ने निश्चित रूप से इस मामले को और पेचीदा बना दिया है। आने वाले समय में मुख्यमंत्री कार्यालय या सरकार का आधिकारिक रुख इस विवाद को स्पष्ट करेगा।