जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहे ‘गिबली ट्रेंड’ में हिस्सा लिया है। भारत सरकार के आधिकारिक X हैंडल से AI-जनरेटेड स्टूडियो जिबली थीम पर बनी पीएम मोदी की तस्वीरें शेयर की गई हैं, जिसने इंटरनेट पर सनसनी मचा दी है। इन तस्वीरों में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों, इंडियन आर्मी, अयोध्या का राम मंदिर और वंदे भारत ट्रेन जैसी ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण पृष्ठभूमियां शामिल हैं।
क्या है ‘जिबली ट्रेंड’?
मार्च 2025 में यह ट्रेंड तब वायरल हुआ जब ChatGPT के नए इमेज जनरेशन टूल ने यूजर्स को स्टूडियो गिबली -शैली में अपनी तस्वीरों को बदलने की सुविधा दी। देखते ही देखते, दुनियाभर के नेता, सेलिब्रिटी और आम लोग इस ट्रेंड में शामिल हो गए। सोशल मीडिया पर इसे ‘जिबलीफिकेशन’ नाम दिया गया।
पीएम मोदी की AI-जनरेटेड जिबली तस्वीरें
भारत सरकार द्वारा जारी इन AI तस्वीरों में पीएम मोदी को अलग-अलग ऐतिहासिक और प्रतिष्ठित पलों में दर्शाया गया है।
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व्हाइट हाउस में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के साथ
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फ्रांस दौरे पर राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के साथ सेल्फी
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भारतीय सेना की यूनिफॉर्म में जवानों के साथ दिवाली मनाते हुए
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2024 में तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने की ऐतिहासिक तस्वीर
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नई संसद के उद्घाटन के दौरान सेंगोल स्थापित करते हुए
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जनवरी 2024 में अयोध्या के राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के दौरान
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लक्षद्वीप दौरे के दौरान प्रकृति के साथ समय बिताते हुए
सोशल मीडिया पर ‘जिबलीफिकेशन’ की धूम
इस ट्रेंड ने न सिर्फ आम लोगों बल्कि बड़ी हस्तियों को भी आकर्षित किया है। OpenAI के CEO सैम ऑल्टमैन ने भी अपनी प्रोफाइल पिक्चर को जिबली स्टाइल में बदला है।
स्टूडियो जिबली क्या है?
स्टूडियो गिबली जापान का एक प्रसिद्ध एनिमेशन स्टूडियो है, जिसे 1985 में हायाओ मियाजाकी और इसाओ ताकाहाता ने स्थापित किया था। यह स्टूडियो अपनी हाथ से बनी बारीक और डिटेल्ड 2D एनीमेशन फिल्मों के लिए जाना जाता है, जिनमें जादुई दुनिया, उड़ते हुए शहर और विशाल जानवरों को खूबसूरत तरीके से दर्शाया जाता है। हालांकि, स्टूडियो जिबली के को-फाउंडर हायाओ मियाजाकी AI जनरेटेड आर्ट के सख्त विरोधी रहे हैं। 2016 में उन्हें एक AI-जनरेटेड एनिमेशन दिखाया गया था, जिसे उन्होंने ‘जीवन का अपमान’ बताया था। मियाजाकी का मानना है कि आर्ट इंसानों की संवेदनाओं से बनती है, न कि मशीनों से।