जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी द्वारा मतदाता सूची और चुनाव आयोग की भूमिका पर उठाए गए सवाल के बाद अब मध्यप्रदेश में भी बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। प्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने 2023 के विधानसभा चुनाव में करीब 16 लाख वोटों की हेराफेरी का आरोप लगाते हुए कहा है कि भाजपा ने चुनाव आयोग की मदद से फर्जी जनादेश हासिल कर सत्ता बनाई।
“चुनाव आयोग ने निभाई भाजपा की मददगार भूमिका”
भोपाल में मीडिया से बातचीत में सिंघार ने कहा कि कांग्रेस ने गहराई से जांच की है और पाया कि 2023 के चुनाव में मतदाता सूचियों में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी हुई। उनका आरोप है कि भाजपा ने चुनाव आयोग की मिलीभगत से वोट चोरी कर जनादेश अपने पक्ष में मोड़ा। सिंघार ने कहा, “मध्यप्रदेश में जिस तरह से वोट जोड़े और काटे गए, उसी से भाजपा को बढ़त मिली और सरकार बनाई गई।”
दो महीनों में बढ़े 16 लाख वोट
सिंघार के मुताबिक, चुनावी साल 2023 में मध्यप्रदेश में 34 लाख से ज्यादा नए नाम मतदाता सूची में जोड़े गए। खास बात यह रही कि अंतिम दो महीनों में ही हर दिन औसतन 26 हजार वोट जोड़े गए। कुल मिलाकर सिर्फ दो महीने में लगभग 16 लाख नए वोटरों का नाम लिस्ट में शामिल हुआ।
उन्होंने सवाल उठाया कि आखिर इतने कम समय में इतनी बड़ी संख्या में वोटर कैसे जुड़े और चुनाव आयोग ने इसे पारदर्शी ढंग से राजनीतिक दलों को उपलब्ध क्यों नहीं कराया।
नेता प्रतिपक्ष ने एक दस्तावेज़ का हवाला देते हुए बताया कि 9 जून 2023 को चुनाव आयोग ने मध्यप्रदेश समेत 5 राज्यों के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारियों को पत्र जारी किया था, जिसमें कहा गया था कि 30 जून के बाद जो वोटर हटाए या जोड़े गए हैं, उनकी लिस्ट न तो वेबसाइट पर डाली जाए और न ही राजनीतिक दलों को उपलब्ध कराई जाए।
सिंघार ने आरोप लगाया कि यही सबसे बड़ा सबूत है कि वोटर लिस्ट को जानबूझकर गुप्त रखा गया और कांग्रेस उम्मीदवारों को असल जानकारी नहीं दी गई।
RTI में भी साफ जवाब नहीं
उमंग सिंघार ने कहा कि 2 दिसंबर 2022 को मध्यप्रदेश के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी ने आदेश जारी किया था कि 8.5 लाख नकली वोटर हटाए जाएंगे। लेकिन जब इस संबंध में आरटीआई लगाई गई तो आयोग ने जवाब दिया कि हम डिजिटल डेटा नहीं रखते।
सिंघार का कहना है कि आयोग के नियम-32 में साफ लिखा है कि चुनाव से जुड़ा डेटा कम से कम तीन साल तक सुरक्षित रखा जाना चाहिए। ऐसे में आयोग का जवाब खुद उसके नियमों के खिलाफ है।
वोटर बढ़ने से कांग्रेस को नुकसान
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि 2023 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 27 सीटें बेहद कम अंतर से हारना पड़ा। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि कई सीटों पर हार-जीत का अंतर सिर्फ 5-6 हजार वोट का रहा, जबकि उसी क्षेत्र में चुनाव से ठीक पहले 10-11 हजार नए वोटर जोड़े गए।
सिंघार का आरोप है कि अगर यह वोटर वृद्धि न होती तो कांग्रेस उन सीटों को जीत सकती थी और चुनावी नतीजा पूरी तरह बदल सकता था।
आयोग पर “गोपनीयता” का सवाल
सिंघार ने चुनाव आयोग की पारदर्शिता पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि आयोग ऑनलाइन मतदाता सूची में फोटो न देने के पीछे गोपनीयता और फाइल साइज का तर्क देता है। लेकिन जब सरकार अपनी योजनाओं का प्रचार करती है, तब लाभार्थियों की तस्वीरें और वीडियो बड़े पैमाने पर सार्वजनिक किए जाते हैं।
राहुल गांधी पहले ही मतदाता सूची और चुनाव आयोग की भूमिका को लेकर केंद्र सरकार पर हमलावर हैं। अब मध्यप्रदेश में उमंग सिंघार के इन आरोपों से कांग्रेस इस मुद्दे को और जोर-शोर से उठाने की तैयारी कर रही है। अगर यह मामला आगे बढ़ता है, तो 2028 विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा और चुनाव आयोग दोनों पर विपक्ष की बड़ी चुनौती बन सकता है।