संभल की शाही जामा मस्जिद की बाहरी दीवारों पर ही होगी रंगाई, ASI करेगा मॉनिटरिंग; इलाहाबाद हाईकोर्ट का आदेश; कोर्ट ने कहा – संरचना से छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं

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जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:

उत्तर प्रदेश के संभल की ऐतिहासिक शाही जामा मस्जिद से जुड़े विवाद में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट ने मस्जिद कमेटी की रंगाई-पुताई की मांग स्वीकार कर ली है, जिससे मुस्लिम पक्ष को राहत मिली है। हालांकि, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की देखरेख में ही सफेदी का कार्य होगा, और यह केवल बाहरी परिसर तक सीमित रहेगा। जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल की सिंगल बेंच ने यह आदेश देते हुए कहा कि ASI को एक सप्ताह के अंदर सफेदी का काम पूरा करना होगा

बता दें,  कोर्ट ने मस्जिद कमेटी को केवल बाहरी दीवारों पर पेंटिंग और रमज़ान के दौरान सीमित लाइटिंग की इजाजत दी है, लेकिन किसी भी हाल में मस्जिद के मूल ढांचे को नुकसान नहीं पहुंचाने का सख्त आदेश दिया गया है। जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल की सिंगल बेंच ने बुधवार को यह आदेश सुनाया।

दरअसल, मस्जिद कमेटी ने 25 फरवरी को हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी कि हर साल रमजान से पहले मस्जिद की रंगाई-पुताई की जाती है, लेकिन इस बार प्रशासन ने अनुमति देने से इनकार कर दिया। वहीं, हिंदू पक्ष ने इसका विरोध करते हुए कहा कि रंगाई-पुताई से मंदिर के साक्ष्य मिटाए जा सकते हैं।

हाईकोर्ट में सुनवाई और सर्वे रिपोर्ट के अहम खुलासे

हाईकोर्ट ने 27 फरवरी को तीन सदस्यीय कमेटी गठित कर संभल की शाही जामा मस्जिद का निरीक्षण कराने का आदेश दिया28 फरवरी को सर्वे हुआ, जिसमें कुछ चौंकाने वाली बातें सामने आईं:

मस्जिद के अंदरूनी हिस्से में गोल्डन, लाल, हरे और पीले रंग की मोटी परतों में पेंट किया गया है, जिससे मूल संरचना छिप गई है।
मस्जिद के एंट्री गेट और प्रार्थना हॉल के पीछे स्थित कमरे जर्जर हालत में हैं।
लकड़ी के छप्पर वाली छत कमजोर हो चुकी है।

इसके बाद 4 मार्च को हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान मस्जिद को “विवादित ढांचा” करार दिया गया। वहीं, 10 मार्च को अगली सुनवाई तय हुई, लेकिन यह नहीं हो सकी। जिसके बाद आज हाईकोर्ट ने आदेश दिया कि मस्जिद कमेटी अपने खर्चे पर बाहरी सफेदी करवा सकती है, लेकिन ASI की निगरानी में ही पूरा कार्य होगा। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट किया कि मस्जिद के बाहरी परिसर में होने वाली सफेदी का पूरा खर्च मस्जिद कमेटी उठाएगी। इसके अलावा, कोर्ट ने कहा कि मस्जिद की बाहरी दीवारों पर लाइटिंग भी की जा सकती है, लेकिन इस प्रक्रिया में किसी भी तरह से ऐतिहासिक ढांचे को नुकसान नहीं पहुंचना चाहिए

संभल की शाही जामा मस्जिद को लेकर विवाद कोई नया नहीं है। हिंदू पक्ष का दावा है कि यह पहले ‘हरिहर मंदिर’ था, जिसे 1529 में मुगल शासक बाबर ने तुड़वाकर मस्जिद बना दिया। इसी आधार पर 2024 में मस्जिद के सर्वेक्षण की मांग की गई थी, जिसके बाद शहर में हिंसा भी भड़की थी।

संभल की जामा मस्जिद विवाद की शुरुआत 19 नवंबर 2024 को हुई, जब संभल कोर्ट में याचिका दायर कर मंदिर होने का दावा किया गया। अदालत ने 24 नवंबर को मस्जिद के अंदर सर्वे का आदेश दिया, लेकिन जैसे ही सर्वे शुरू हुआ, माहौल गरमा गया।

  • पुलिस टीम पर पथराव हुआ और हिंसा भड़क गई।
  • गोलीबारी में 4 लोगों की मौत हो गई।
  • 1200 से ज्यादा फोटो और 4.5 घंटे की वीडियोग्राफी कोर्ट में पेश की गई।

सर्वे रिपोर्ट में हिंदू मंदिर के साक्ष्य?
2 जनवरी 2025 को दाखिल 45 पन्नों की सर्वे रिपोर्ट में संभल की जामा मस्जिद के अंदर मंदिर होने के दावे किए गए:

🔹 50 से ज्यादा हिंदू कलाकृतियां और फूलों के निशान पाए गए।
🔹 मस्जिद के अंदर दो वट वृक्ष मिले, जिन्हें हिंदू धर्म में पवित्र माना जाता है।
🔹 एक कुआं मिला, जिसका आधा हिस्सा मस्जिद के अंदर और आधा बाहर था।
🔹 प्राचीन मंदिर जैसी संरचनाएं, दरवाजे और झरोखे प्लास्टर से ढंक दिए गए थे।
🔹 गुंबद के झूमर को मंदिरों की तरह चेन से लटकाया गया था।

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