विश्व पर्यावरण दिवस पर पीएम मोदी ने लगाया ‘सिंदूर का पौधा’, वीरांगनाओं की वीरता और ऑपरेशन सिंदूर को किया नमन; पर्यावरण दिवस पर नारीशक्ति को भी दी अनोखी श्रद्धांजलि!

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जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:

5 जून 2025 को विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई दिल्ली स्थित अपने आवास पर सिंदूर का पौधा रोपित किया। यह कोई साधारण पौधा नहीं था, बल्कि यह उन्हें हाल ही में गुजरात के कच्छ दौरे के दौरान उन वीरांगना माताओं और बहनों द्वारा भेंट किया गया था, जिन्होंने 1971 के भारत-पाक युद्ध के दौरान अद्वितीय साहस और पराक्रम का परिचय दिया था। प्रधानमंत्री मोदी ने इस भावुक क्षण का वीडियो सोशल मीडिया पर साझा करते हुए लिखा, “यह पौधा हमारे देश की नारीशक्ति के शौर्य और प्रेरणा का सशक्त प्रतीक बना रहेगा।”

प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर न केवल पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया, बल्कि ‘सिंदूर’ शब्द से जुड़ी सांस्कृतिक, धार्मिक और सामरिक परंपराओं को भी देश के सामने रखा। दरअसल, इस सिंदूर के पौधे को हाल ही में हुए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ से भी जोड़ा जा रहा है, जो भारत द्वारा 7 मई को पाकिस्तान और PoK में स्थित आतंकी ठिकानों पर की गई जवाबी एयरस्ट्राइक थी। यह ऑपरेशन 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में किया गया, जिसमें 26 टूरिस्ट्स की हत्या कर दी गई थी।

इस ऑपरेशन में भारतीय सेना ने पाकिस्तान में मौजूद 9 आतंकी ठिकानों पर हमला कर 100 से अधिक आतंकियों को ढेर कर दिया। इसके जवाब में पाकिस्तान ने नियंत्रण रेखा (LoC) और अंतरराष्ट्रीय सीमा पर गोलीबारी और ड्रोन हमलों की कोशिशें कीं, जिनका भारतीय सेना ने कड़ा जवाब देते हुए पाकिस्तान के 11 एयरबेस, एयर डिफेंस सिस्टम, रडार और कम्युनिकेशन केंद्रों को बर्बाद कर दिया। यह ऑपरेशन भारतीय सैन्य इतिहास में एक निर्णायक और सशक्त संदेश देने वाला कदम माना जा रहा है, जिसमें भारत ने स्पष्ट किया कि आतंक के खिलाफ उसकी नीति अब ‘Zero Tolerance’ की है।

प्रधानमंत्री मोदी ने इस ऑपरेशन का उल्लेख भी अपने गुजरात दौरे के दौरान किया था। उन्होंने भुज में कहा, “भारत पर आंख उठाने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। अपनी रोटी खाओ, चैन से जियो, नहीं तो मेरी गोली तो है ही।” उन्होंने दाहोद में दिए भाषण में भी कहा था, “जब कोई हमारी बहनों के सिंदूर को मिटाने की कोशिश करता है, तो उसका भी मिटना तय हो जाता है।”

इसी भावभूमि में सिंदूर का पौधा एक प्रतीक बनकर सामने आता है – नारीशक्ति की गरिमा, भारतीय संस्कृति की शुभता और भारत की आक्रामक कूटनीतिक-सैन्य रणनीति का एक संकेतक। सिंदूर का पौधा धार्मिक दृष्टि से देवी-पूजन और शुभता का प्रतीक माना जाता है, जो शक्ति, सौभाग्य और रक्षा की भावना से जुड़ा हुआ है। पर्यावरण के लिहाज से यह एक उपयोगी और प्रदूषण-निरोधी पौधा भी है, जिसे अक्सर मंदिरों और घरों में लगाया जाता है।

बता दें, विश्व पर्यावरण दिवस, जिसकी शुरुआत संयुक्त राष्ट्र ने 1972 में की थी, हर वर्ष 5 जून को मनाया जाता है। इसका उद्देश्य है पर्यावरण संरक्षण के प्रति लोगों को जागरूक करना और जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता हानि, प्रदूषण जैसे मुद्दों पर वैश्विक जनजागरण फैलाना। इस वर्ष, प्रधानमंत्री द्वारा सिंदूर के पौधे का रोपण केवल एक पर्यावरणीय पहल नहीं, बल्कि भारत की सांस्कृतिक गहराई, महिला सशक्तिकरण और सैन्य आत्मविश्वास को एक साथ जोड़ने वाली एक प्रतीकात्मक और प्रेरणादायक घटना बन गई।

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