जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
भोपाल के शासकीय होम्योपैथिक चिकित्सा महाविद्यालय एवं चिकित्सालय परिसर में एक अनोखी पहल की शुरुआत हुई है। भारत सरकार के आयुष मंत्रालय और केंद्रीय होम्योपैथी अनुसंधान परिषद के संयुक्त प्रयास से यहां हाइपोथायरायडिज्म और ओबेसिटी (मोटापा) के लिए विशेष इकाई स्थापित की गई है।
यह इकाई थायरॉइड ग्रंथि की अनियमितताओं और उसके कारण होने वाले मोटापे से जुड़ी समस्याओं का होम्योपैथिक पद्धति से उपचार करेगी। साथ ही, अनुसंधान कार्यों के जरिए इस क्षेत्र में बेहतर परिणामों की दिशा में भी काम होगा।
विशेषज्ञ टीम और सुविधाएं
इस केंद्र में अनुभवी होम्योपैथिक चिकित्सकों, सहायक डॉक्टरों और लैब विशेषज्ञों की एक टीम तैनात की गई है। यह टीम न केवल मरीजों का इलाज करेगी बल्कि उनके स्वास्थ्य की विस्तृत जांच और फॉलो-अप पर भी ध्यान देगी।
रोगियों के पंजीयन और उपचार की सुविधा प्रतिदिन सुबह 10 बजे से दोपहर 1 बजे तक उपलब्ध रहेगी। इसके अलावा, जानकारी के लिए लोग 0755-2992972 पर सुबह 10 बजे से शाम 4 बजे तक संपर्क कर सकते हैं। इच्छुक व्यक्ति अपना फोन नंबर भी दर्ज करवा सकते हैं, जिसके बाद विशेषज्ञ उनसे सीधे संपर्क करेंगे।
उपचार का तरीका
यह केंद्र केवल दवाओं तक सीमित नहीं रहेगा। होम्योपैथिक दवाओं के साथ-साथ यहां मरीजों को आहार और व्यायाम विशेषज्ञों की मदद भी दी जाएगी। उद्देश्य यह है कि मरीजों को केवल रोगमुक्त न किया जाए, बल्कि उन्हें समग्र स्वास्थ्य की दिशा में आगे बढ़ाया जाए।
प्रदेश की पहली इकाई
महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. एस.के. मिश्रा ने बताया कि मध्यप्रदेश में इस तरह की यह पहली विशेषज्ञ इकाई है। यह इकाई आयुष मंत्रालय द्वारा तय मानकों के अनुरूप काम करेगी।
डॉ. मिश्रा ने कहा कि अक्सर रासायनिक दवाओं का लंबे समय तक उपयोग करने के बावजूद हाइपोथायरायडिज्म से पीड़ित मरीजों का वजन लगातार बढ़ता रहता है। इससे भविष्य में हड्डियों और जोड़ों की गंभीर समस्याएं खड़ी हो जाती हैं। वहीं, होम्योपैथी की मदद से इन मरीजों को बेहतर और सुरक्षित विकल्प उपलब्ध कराया जा सकता है।
महिलाओं पर विशेष फोकस
इस पहल की नोडल अधिकारी डॉ. जूही गुप्ता ने बताया कि यह समस्या खासकर महिलाओं में ज्यादा पाई जाती है। समय पर इलाज न मिलने से 50 वर्ष की उम्र के बाद बड़ी संख्या में महिलाएं हड्डियों और जोड़ों के रोगों से जूझती हैं।
उन्होंने कहा कि अक्सर गर्भावस्था जैसे सामान्य हार्मोनल बदलावों को भी बीमारी मानकर रासायनिक दवाएं दी जाती हैं। इसका नतीजा यह होता है कि महिलाएं पूरी जिंदगी दवाओं पर निर्भर हो जाती हैं और एक दुष्चक्र में फंस जाती हैं। इस विशेषज्ञ इकाई का उद्देश्य ऐसे मरीजों को नेचुरल और होम्योपैथिक उपचार के जरिए स्वस्थ जीवन जीने की राह दिखाना है।
राष्ट्रीय स्तर पर पहल
भोपाल के अलावा, आयुष मंत्रालय ने देश के पांच अन्य शहरों में भी इस तरह की इकाइयां स्थापित की हैं। इन सभी केंद्रों का लक्ष्य है – हाइपोथायरायडिज्म और उससे जुड़े मोटापे के लिए वैज्ञानिक शोध और कारगर उपचार प्रदान करना।