जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
मध्यप्रदेश के सतत और समावेशी विकास को नई दिशा देने के लिए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की उपस्थिति में एक ऐतिहासिक पहल की गई। मंगलवार को मंत्रालय, वल्लभ भवन में मध्यप्रदेश राज्य नीति आयोग और देश-विदेश के चार प्रतिष्ठित गैर-सरकारी संगठनों — अंतरा फाउंडेशन, प्रदान, पीएचआईए फाउंडेशन और यूएनविमेन — के साथ समझौता ज्ञापनों (MoU) पर हस्ताक्षर किए गए। इस अवसर पर उप मुख्यमंत्री श्री जगदीश देवड़ा, अपर मुख्य सचिव श्री संजय शुक्ला, नीति आयोग के सीईओ श्री ऋषि गर्ग और सभी चार एनजीओ के प्रतिनिधि भी मौजूद रहे।
इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि प्रदेश का सामाजिक परिदृश्य निरंतर बदल रहा है और सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि विकास का लाभ समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुँचे। उन्होंने कहा कि सामाजिक विकास के सभी मानकों में सुधार लाने के लिए सरकार अब विषय विशेषज्ञ गैर-सरकारी संगठनों के अनुभवों और कार्यक्षमता का लाभ लेगी। साथ ही यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि फील्ड में कार्य कर रहे संगठनों से प्राप्त सुझावों पर गंभीरता से विचार करते हुए नीतियों में उसे शामिल किया जाए।
मुख्यमंत्री ने नीति आयोग, जनप्रतिनिधियों और जिला प्रशासन को आपसी समन्वय और सहभागिता के साथ काम करने का संदेश भी दिया। उन्होंने कहा कि यह साझेदारी मध्यप्रदेश को “विकसित भारत” की सोच से जोड़ने वाला एक निर्णायक कदम है, जो 2047 तक समृद्ध, समावेशी और सशक्त मध्यप्रदेश के निर्माण की दिशा में प्रभावशाली भूमिका निभाएगा।
इस MoU के अंतर्गत हर संगठन की भूमिका भी स्पष्ट की गई है:
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अंतरा फाउंडेशन मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य और पोषण में सुधार के लिए तकनीकी सहायता और कार्यान्वयन सहयोग देगा।
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प्रदान ग्रामीण विकास, महिला सशक्तिकरण और स्वावलंबन के क्षेत्र में राज्य सरकार का भागीदार बनेगा।
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पीएचआईए फाउंडेशन जलवायु-लचीले विकास, सतत नीति निर्माण और बहुक्षेत्रीय समावेशी विकास में ज्ञान साझेदार (Knowledge Partner) के रूप में कार्य करेगा।
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यूएनविमेन राज्य में जेंडर उत्तरदायी शासन और लैंगिक समानता को संस्थागत स्वरूप देने में सहयोग प्रदान करेगा।
इन समझौतों से गरीबी उन्मूलन, गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं, लैंगिक समानता, स्वच्छ जल की उपलब्धता, जल सुरक्षा, आजीविका विकास, वॉटरशेड प्रबंधन और जलवायु अनुकूल विकास जैसे कई सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) की प्राप्ति में तेजी आएगी। साथ ही ये साझेदारियाँ डाटा आधारित सुशासन और नीतिगत नवाचारों को बढ़ावा देंगी, जिससे सरकार की योजनाएं अधिक प्रभावी, जनमुखी और परिणामदायी बनेंगी।
मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि राज्य नीति आयोग अब महज़ एक विश्लेषणात्मक इकाई नहीं, बल्कि नीति निर्माण, अनुसंधान, नवाचार और जमीनी कार्यान्वयन के बीच एक सशक्त सेतु की तरह कार्य करेगा। यह कदम न केवल शासन की दक्षता बढ़ाएगा, बल्कि प्रदेश में एक जन-संलग्न, नवाचार आधारित और परिणाम केंद्रित प्रशासनिक मॉडल की नींव रखेगा।
कार्यक्रम में अंतरा फाउंडेशन की चंद्रिका, प्रदान की अर्चना सिंह, पीएचआईए के अनिरुद्ध और यूएनविमेन की जॉयट्री ने भी राज्य सरकार के साथ काम करने की प्रतिबद्धता जताई और विकास के साझा लक्ष्यों को लेकर अपनी योजनाएं साझा कीं।