इंदौर एमवाय अस्पताल में लापरवाही: चूहों ने नवजात की उंगलियां कुतरीं, मौत के बाद मचा बवाल; परिजनों का आरोप – प्रबंधन ने सच छुपाया, प्रदर्शन के बाद खुला राज़!

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जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:

इंदौर के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल एमवाय (M.Y.) में लापरवाही का ऐसा मामला सामने आया है जिसने पूरे प्रदेश को झकझोर दिया है। यहां NICU वार्ड में भर्ती एक नवजात बच्ची की चार उंगलियां चूहों ने कुतर दीं, जिसके बाद उसकी मौत हो गई। यह घटना सामने आने के बाद परिजनों और जय आदिवासी संगठन (जयस) ने अस्पताल परिसर में जमकर विरोध प्रदर्शन किया।

शनिवार देर रात नवजात का शव माता-पिता को सौंपा गया। शव को पारदर्शी प्लास्टिक में पैक कर बॉक्स में रखा गया था। जब परिवार अपने गांव रूपवाड़ा (जिला धार) पहुंचा और अंतिम संस्कार से पहले बॉक्स खोला गया तो बच्ची की हालत देखकर मां बेसुध हो गई। ग्रामीणों की मौजूदगी में देर रात अंतिम संस्कार किया गया।

बता दें, धार जिले की मंजू नामक महिला ने कुछ दिन पहले एमवाय अस्पताल के NICU वार्ड में बच्ची को जन्म दिया था। 28 अगस्त को बच्ची की मौत हो गई। अस्पताल प्रबंधन ने मौत को सामान्य बताते हुए कहा कि बच्ची गंभीर रूप से कमजोर थी और उसके अंग पूरी तरह विकसित नहीं हुए थे। साथ ही यह भी दावा किया गया कि चूहों ने सिर्फ मामूली कुतरा था, उसकी मौत इस कारण नहीं हुई।

लेकिन परिजनों और जयस नेताओं ने आरोप लगाया कि अस्पताल ने पांच दिनों तक उन्हें सच्चाई से दूर रखा। उन्हें बार-बार बाहर भेज दिया गया और सिर्फ फोन करने पर जानकारी देने की बात कही गई। यहां तक कि बच्ची की मौत की सूचना भी समय पर नहीं दी गई।

जैसे ही मामला सामने आया, कांग्रेस और जयस दोनों ही संगठनों ने इसे गंभीर मुद्दा बनाते हुए अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। सरदारपुर विधायक प्रताप ग्रेवाल और जयस के राष्ट्रीय अध्यक्ष लोकेश मुजाल्दा परिजन को अस्पताल लेकर पहुंचे। यहां करीब छह घंटे तक हंगामा हुआ।

प्रदर्शन के दौरान परिजनों ने अस्पताल प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए और नवजात के परिवार को 1-1 करोड़ रुपये मुआवजे की मांग उठाई। अंततः रेडक्रॉस सोसाइटी ने धार निवासी बच्ची के परिवार को 5 लाख रुपये की सहायता राशि दी। हालांकि, देवास जिले के दंपती, जिनके नवजात की मौत भी इसी तरह हुई थी, उन्हें कोई मदद नहीं मिली।

अस्पताल प्रबंधन के दावों पर सवाल

इस पूरे मामले में अस्पताल प्रबंधन द्वारा दिए गए कई बयान और दावे झूठे साबित हो रहे हैं।

  1. माता-पिता छोड़कर चले गए:
    अस्पताल ने कहा कि बच्ची के माता-पिता उसे छोड़कर चले गए थे और उनका कोई नाम या पता उपलब्ध नहीं था। जबकि धार से आए रैफरल दस्तावेज़ों में पूरा पता, नंबर और केस हिस्ट्री मौजूद थी।

  2. मौत सामान्य थी:
    दावा किया गया कि बच्ची की मौत उसके कमजोर स्वास्थ्य और आंत संबंधी बीमारी की वजह से हुई। जबकि हकीकत यह है कि चूहों ने उसके हाथ की उंगलियां कुतर दी थीं।

  3. पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट का भ्रम:
    बताया गया कि बच्ची का पोस्टमॉर्टम कर लिया गया है, जबकि हकीकत में शुरुआती दिनों में पोस्टमॉर्टम हुआ ही नहीं था। बाद में दबाव बढ़ने पर जांच कराई गई, लेकिन इतनी संवेदनशील घटना में वीडियोग्राफी तक नहीं कराई गई।

  4. अधिकारियों को गुमराह करना:
    प्रबंधन ने कलेक्टर और मेडिकल एजुकेशन कमिश्नर को भी यही फीडबैक दिया कि चूहों ने मामूली कुतरा था और मौत किसी और कारण से हुई है।

संवेदनशील मामला, पर लापरवाही बरकरार

प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल में इस तरह की गंभीर घटना ने स्वास्थ्य सेवाओं की लापरवाही को उजागर कर दिया है। सवाल यह भी उठ रहा है कि इतनी संवेदनशील वार्ड (NICU) में चूहों की मौजूदगी और निगरानी की कमी कैसे हो सकती है।

फिलहाल, घटना को लेकर राजनीति तेज हो गई है। कांग्रेस ने इसे बड़ा मुद्दा बनाते हुए जिम्मेदारों पर कार्रवाई की मांग की है। वहीं जयस ने भी प्रदेश सरकार पर निशाना साधते हुए कहा है कि यह आदिवासी परिवारों की लापरवाही से हुई मौत है, जिसके लिए सख्त कदम उठाए जाने चाहिए।

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