जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
मध्यप्रदेश में NEET-UG 2024 परीक्षा के दौरान बिजली गुल होने की घटना ने हजारों छात्रों के भविष्य को अनिश्चितता में डाल दिया है। इंदौर और उज्जैन के करीब 2000 से ज्यादा NEET-UG अभ्यर्थियों की निगाहें आज, 23 जून को मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की अहम सुनवाई पर टिकी हुई हैं। हाईकोर्ट में यह तय हो सकता है कि परीक्षा के दिन तकनीकी बाधाओं का सामना करने वाले छात्रों को दोबारा परीक्षा देने का अवसर मिलेगा या नहीं।
दरअसल, 5 मई को आयोजित परीक्षा के दौरान इंदौर और उज्जैन के कई परीक्षा केंद्रों पर अचानक तेज आंधी और बारिश के चलते बिजली चली गई थी। यह कटौती कहीं 10 मिनट की थी तो कहीं दो घंटे तक की। इस तकनीकी संकट ने परीक्षा में शामिल सैकड़ों छात्रों की एकाग्रता भंग कर दी और कई प्रश्नों को हल करने में उन्हें समय नहीं मिला। छात्रों का आरोप है कि परीक्षा केंद्रों पर न जनरेटर थे, न ही पर्याप्त रोशनी की व्यवस्था। इसके चलते वे उचित माहौल में परीक्षा नहीं दे पाए।
इस मामले में अब तक 85 छात्रों ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की है, लेकिन प्रभावित छात्रों की संख्या करीब 2000 बताई जा रही है। छात्रों की ओर से वकील मृदुल भटनागर ने कोर्ट को बताया कि खुद NTA के पर्यवेक्षक ने अपनी रिपोर्ट में स्वीकार किया है कि केंद्रों पर बिजली की व्यवस्था नाकाफी थी और कई जगहों पर बैकअप जनरेटर तक नहीं थे। उन्होंने कोर्ट से यह भी आग्रह किया है कि प्रभावित परीक्षा केंद्रों के CCTV फुटेज कोर्ट में पेश किए जाएं और उन छात्रों के लिए दोबारा परीक्षा आयोजित की जाए जिन्होंने तकनीकी बाधा का सामना किया।
उधर, NTA ने शुरुआत में दावा किया था कि इंदौर के 24 सेंटर प्रभावित हुए, लेकिन बाद में यह आंकड़ा घटाकर 18 इंदौर और 6 उज्जैन सेंटरों पर ला दिया गया। एजेंसी का दावा है कि कैंडल और बैकअप लाइटिंग की व्यवस्था की गई थी, जिससे छात्रों को असुविधा नहीं हुई। हालांकि, कोर्ट में पेश की गई रिपोर्ट में यह भी स्वीकार किया गया कि कई केंद्रों पर बिजली की आपूर्ति बाधित रही थी।
हाईकोर्ट ने इस मामले में 15 मई को NTA से जवाब मांगते हुए परीक्षा परिणाम पर आंशिक रोक लगा दी थी और 75 छात्रों के रिजल्ट होल्ड कर दिए गए थे। वहीं, अब याचिकाओं की संख्या लगातार बढ़ रही है और बहस की गंभीरता को देखते हुए आज की सुनवाई निर्णायक मानी जा रही है। इस सुनवाई से यह स्पष्ट हो सकता है कि क्या कोर्ट केवल याचिकाकर्ता छात्रों को ही राहत देगा, या फिर सभी 2000 प्रभावित छात्रों को फिर से परीक्षा देने का मौका मिलेगा?