NEET UG 2025: इंदौर में आंधी-पानी से बाधित हुई परीक्षा ने बढ़ाई 2 हजार से अधिक स्टूडेंट्स की चिंता, हाईकोर्ट ने सुनवाई की अगली तारीख 29 मई तय की!

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जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:

NEET UG 2025 को लेकर मध्यप्रदेश के इंदौर और उज्जैन जिलों के हजारों स्टूडेंट्स और उनके परिवारों की बेक़रारी और तनाव अब चरम पर है। वजह साफ़ है—4 मई को आयोजित हुई इस राष्ट्रीय स्तर की मेडिकल प्रवेश परीक्षा के दौरान इंदौर में आई तेज आंधी और बारिश के चलते कई परीक्षा केंद्रों पर बिजली गुल हो गई थी, जिससे छात्रों की परीक्षा गड़बड़ा गई। अब तक इस मामले में 60 से अधिक याचिकाएं हाईकोर्ट की इंदौर बेंच में दाखिल हो चुकी हैं। इनमें लगभग 2 हजार से अधिक स्टूडेंट्स प्रभावित माने जा रहे हैं।

सोमवार, 26 मई 2025 को हाई कोर्ट में हुई सुनवाई में नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता वर्चुअल माध्यम से उपस्थित हुए और समय की मांग की। कोर्ट ने अगली सुनवाई के लिए 29 मई की तारीख तय कर दी है। हालांकि यह मामला जितना संवेदनशील है, उतना ही जटिल भी होता जा रहा है, क्योंकि अब दोनों पक्षों द्वारा यह स्पष्ट संकेत दिया जा रहा है कि हाईकोर्ट का जो भी निर्णय आए, मामला सुप्रीम कोर्ट तक जाएगा

आखिर क्यों उठी रिएक्जाम की मांग?

इंदौर और उज्जैन के कुल 24 सेंटरों पर परीक्षा के दौरान बिजली आपूर्ति बाधित हो गई थी। खुद NTA ने यह तथ्य स्वीकार किया है। छात्रों ने अदालत को बताया कि कुछ सेंटरों पर मोमबत्ती की रोशनी में प्रश्न पत्र हल कराए गए, जबकि कुछ जगह तो अंधेरे में ही छात्रों को परीक्षा देनी पड़ी। इससे उनकी परफॉर्मेंस पर सीधा असर पड़ा है।

छात्रों का कहना है कि यह मानवाधिकारों का उल्लंघन है और परीक्षा के समान अवसर के सिद्धांत के खिलाफ है। इसलिए रिएक्जाम की मांग की जा रही है। अगर रिएक्जाम की अनुमति मिलती है तो यह मामला देशभर में नए सिरे से बहस का विषय बन सकता है, क्योंकि अन्य छात्र भी इस आधार पर अपनी याचिकाएं दायर कर सकते हैं।

4 मई से 26 मई तक की घटनाक्रम की टाइमलाइन

  • 4 मई: परीक्षा के दिन तेज आंधी और बारिश से इंदौर में 11 प्रमुख सेंटर प्रभावित हुए। कुछ छात्रों ने अंधेरे में परीक्षा दी। कुल 600 छात्र शुरू में प्रभावित माने गए।

  • 15 मई: हाईकोर्ट ने पहली सुनवाई में 15 से अधिक याचिकाओं पर संज्ञान लेते हुए NEET UG के रिजल्ट पर रोक लगा दी थी।

  • 19 मई: NTA ने कोर्ट में जवाब दाखिल किया और आंशिक रूप से सेंटरों की बिजली समस्या को स्वीकार किया।

  • 22 मई: याचिकाओं की संख्या बढ़कर 50 से ज्यादा हुई। सुनवाई में भारत सरकार के सॉलिसिटर तुषार मेहता पेश हुए। उन्होंने कहा कि इंदौर के सेंटरों की जांच के लिए कमेटी गठित की जाए

  • 26 मई: कोर्ट में याचिकाओं की संख्या 60 से ज्यादा हो गई। NTA ने पुनः समय मांगा और कोर्ट ने अगली सुनवाई 29 मई को तय की।

छात्र-छात्राओं और अभिभावकों की गहराती चिंता

अब NEET का रिजल्ट 14 जून तक घोषित होना है, लेकिन अगर इसी तरह तारीखें बढ़ती रहीं तो NTA के पास रिजल्ट जारी करने के लिए पर्याप्त समय नहीं बचेगा। इससे न केवल छात्रों का करियर अधर में लटक सकता है, बल्कि काउंसलिंग प्रोसेस भी प्रभावित हो सकता है।

एडवोकेट मृदुल भटनागर, जो याचिकाकर्ताओं की ओर से पैरवी कर रहे हैं, कहते हैं कि अगर रिएक्जाम नहीं होता है, तो वे सुप्रीम कोर्ट का रुख करेंगे। उनका कहना है कि यह सिर्फ 2 हजार छात्रों की नहीं, बल्कि देश की परीक्षा प्रणाली की पारदर्शिता और निष्पक्षता का मामला है।

क्या हो सकता है आगे?

कानून विशेषज्ञों का मानना है कि अगर हाई कोर्ट किसी समिति की रिपोर्ट के आधार पर रिएक्जाम का आदेश देता है, तो यह एक प्रेसिडेंट केस बन सकता है। वहीं, अगर कोर्ट ऐसा कोई आदेश नहीं देता, तो याचिकाकर्ता सुप्रीम कोर्ट जाएंगे और वहां सुनवाई लंबी खिंच सकती है। ऐसी स्थिति में छात्रों का भविष्य और अधिक अनिश्चित हो सकता है।

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