जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
भारत में एक बार फिर सियासी सरगर्मी तेज हो गई है। 9 सितंबर को होने वाले 17वें उपराष्ट्रपति चुनाव को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष ने अपनी रणनीति तेज कर दी है। एनडीए (NDA) ने जहां तमिलनाडु के वरिष्ठ नेता और महाराष्ट्र के राज्यपाल सी.पी. राधाकृष्णन को उम्मीदवार बनाया है, वहीं विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A. ब्लॉक डीएमके (DMK) के राज्यसभा सांसद तिरुचि सिवा को मैदान में उतारने की तैयारी कर रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सोमवार शाम को खड़गे की अध्यक्षता में होने वाली ऑनलाइन बैठक में उनके नाम पर अंतिम मुहर लग सकती है।
क्यों हो रहा है उपराष्ट्रपति चुनाव?
दरअसल, मौजूदा उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने 21 जुलाई की रात अचानक अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। स्वास्थ्य कारणों से दिया गया यह इस्तीफा अप्रत्याशित था, जबकि उनका कार्यकाल अगस्त 2027 तक तय था। ऐसे में अब देश को नया उपराष्ट्रपति चुनना होगा।
NDA का दांव – सी.पी. राधाकृष्णन
बीजेपी संसदीय दल की बैठक के बाद पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने रविवार को राधाकृष्णन के नाम का औपचारिक ऐलान किया। 21 अगस्त को वे नामांकन दाखिल करेंगे। इस दौरान NDA शासित राज्यों के मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री भी मौजूद रहेंगे।
राधाकृष्णन का राजनीतिक करियर काफी लंबा और विविध रहा है। 1970 के दशक में वे RSS से जुड़े और जनसंघ के साथ राजनीति शुरू की। 1998 और 1999 में कोयंबटूर से सांसद रहे। इसके अलावा वे तमिलनाडु भाजपा अध्यक्ष, कॉयर बोर्ड चेयरमैन, केरल प्रभारी और हाल ही में महाराष्ट्र व झारखंड के राज्यपाल रह चुके हैं। संगठनात्मक क्षमता और प्रशासनिक अनुभव के चलते उन्हें NDA उम्मीदवार बनाया गया है।
विपक्ष का कार्ड – तिरुचि सिवा
I.N.D.I.A. गठबंधन सी.पी. राधाकृष्णन को टक्कर देने के लिए तमिलनाडु से ही उम्मीदवार उतारने की रणनीति बना रहा है। सूत्रों के अनुसार, DMK के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद तिरुचि सिवा विपक्ष की ओर से उम्मीदवार हो सकते हैं।
सिवा राज्यसभा में अपने लंबे अनुभव, तीखी बहस और स्पष्टवादिता के लिए जाने जाते हैं। DMK का उम्मीदवार बनाना विपक्ष की ओर से एक राजनीतिक संदेश भी माना जा रहा है—यानी मुकाबला तमिलनाडु के दो नेताओं के बीच होगा।
नड्डा का बयान – निर्विरोध चुनाव की कोशिश
बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने रविवार को कहा कि उनकी पार्टी चाहती है कि उपराष्ट्रपति का चुनाव निर्विरोध हो। उन्होंने बताया कि विपक्ष से भी बातचीत की जा रही है ताकि इस संवैधानिक पद के लिए आम सहमति बनाई जा सके। नड्डा ने दावा किया कि सभी NDA सहयोगियों ने राधाकृष्णन का समर्थन किया है।
चुनाव प्रक्रिया – 6 स्टेप में समझें
भारत के उपराष्ट्रपति का चुनाव संसद के दोनों सदनों के सांसद मिलकर करते हैं। इस बार कुल 782 सांसद निर्वाचक मंडल में शामिल होंगे। बहुमत के लिए 391 वोट जरूरी हैं।
यह प्रक्रिया इस प्रकार होती है:
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निर्वाचक मंडल की लिस्ट तैयार – लोकसभा और राज्यसभा के सभी सांसद इसमें शामिल होते हैं।
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अधिसूचना जारी – चुनाव आयोग की ओर से 7 अगस्त को अधिसूचना जारी की जाएगी।
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नामांकन दाखिल – उम्मीदवार को कम से कम 20 सांसदों का प्रस्ताव और 20 सांसदों का समर्थन चाहिए। नामांकन की आखिरी तारीख 21 अगस्त है।
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नामांकन वापसी – 25 अगस्त तक उम्मीदवार अपना नाम वापस ले सकते हैं।
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मतदान और प्रक्रिया – सांसद मतपत्र पर प्रत्याशियों को प्राथमिकता के क्रम में चुनते हैं। अगर केवल एक ही उम्मीदवार हो तो चुनाव निर्विरोध होता है।
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नतीजा – मतदान और मतगणना एक ही दिन होती है। इस बार 9 सितंबर को वोटिंग के बाद परिणाम घोषित होगा।
NDA के पास बढ़त, लेकिन विपक्ष ने बनाया मुकाबला
लोकसभा और राज्यसभा के मौजूदा आंकड़ों के अनुसार, NDA के पास 422 सांसदों का समर्थन है। बहुमत के लिए 391 वोट ही जरूरी हैं। दूसरी ओर, I.N.D.I.A. गठबंधन के पास करीब 312 सांसद हैं।
यानी गणित साफ है—राधाकृष्णन की जीत लगभग तय मानी जा रही है। हालांकि विपक्ष का तिरुचि सिवा को उम्मीदवार बनाना राजनीतिक संदेश और लोकतांत्रिक परंपरा के लिहाज से अहम माना जा रहा है।
उपराष्ट्रपति पद का महत्व
भारत का उपराष्ट्रपति देश का दूसरा सबसे बड़ा संवैधानिक पद है। वे राज्यसभा के सभापति भी होते हैं और राष्ट्रपति की अनुपस्थिति में उनके कार्यभार को संभालते हैं। यह पद केवल सम्मानजनक नहीं बल्कि संसदीय कार्यप्रणाली में अत्यंत महत्वपूर्ण है।