जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
उपराष्ट्रपति चुनाव की दौड़ औपचारिक रूप से शुरू हो चुकी है। बुधवार को NDA उम्मीदवार और तमिलनाडु के वरिष्ठ भाजपा नेता सीपी राधाकृष्णन ने नामांकन दाखिल किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उनके पहले प्रस्तावक बने। नामांकन के दौरान गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा समेत कई शीर्ष नेता मौजूद रहे। नामांकन से पहले राधाकृष्णन ने संसद परिसर स्थित महात्मा गांधी की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की।
भाजपा ने 17 अगस्त को लिया फैसला
बीते 17 अगस्त को हुई भाजपा संसदीय दल की बैठक में सीपी राधाकृष्णन के नाम पर सहमति बनी थी। पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर उनके नाम की औपचारिक घोषणा की। भाजपा और एनडीए के भीतर इसे सर्वसम्मति का फैसला माना जा रहा है।
विपक्ष ने उतारा जस्टिस बी सुदर्शन रेड्डी को
दूसरी ओर, I.N.D.I.A गठबंधन ने सुप्रीम कोर्ट से रिटायर्ड जस्टिस बी सुदर्शन रेड्डी को उम्मीदवार बनाया है। 79 वर्षीय रेड्डी आंध्र प्रदेश से आते हैं और गुवाहाटी हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस और गोवा के पहले लोकायुक्त रह चुके हैं। वे 2007 में सुप्रीम कोर्ट के जज नियुक्त हुए थे। रेड्डी 21 अगस्त को अपना नामांकन दाखिल करेंगे। इस बार मुकाबले की खासियत यह है कि दोनों उम्मीदवार दक्षिण भारत से हैं—राधाकृष्णन तमिलनाडु से और रेड्डी आंध्र प्रदेश से।
उपराष्ट्रपति चुनाव का कार्यक्रम
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नामांकन की अंतिम तारीख: 21 अगस्त
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नामांकन वापसी की आखिरी तारीख: 25 अगस्त
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वोटिंग और काउंटिंग की तारीख: 9 सितंबर (सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक वोटिंग, उसी दिन रिजल्ट)
चुनाव आयोग ने 1 अगस्त को अधिसूचना जारी कर चुनावी प्रक्रिया का ऐलान किया था।
NDA की जीत लगभग तय मानी जा रही
लोकसभा और राज्यसभा को मिलाकर निर्वाचक मंडल की कुल संख्या 782 सांसदों की है। इसमें बहुमत के लिए 391 वोटों की जरूरत होगी। मौजूदा स्थिति में एनडीए के पास लोकसभा में 293 और राज्यसभा में 129 सांसद हैं। नामांकित सदस्यों को जोड़कर यह आंकड़ा 422 तक पहुंच जाता है। यानी जीत के लिए जरूरी आंकड़े से काफी ज्यादा।
पिछली बार 2022 में एनडीए उम्मीदवार जगदीप धनखड़ ने 528 वोट हासिल किए थे, जबकि विपक्षी उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा को केवल 182 वोट मिले थे। इस बार भी NDA उम्मीदवार की जीत लगभग तय मानी जा रही है।
उपराष्ट्रपति का चुनाव कैसे होता है?
उपराष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया राष्ट्रपति चुनाव जैसी जटिल नहीं है। यहां सीधे सांसद ही वोटर होते हैं।
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निर्वाचक मंडल तैयार होता है – इसमें लोकसभा और राज्यसभा के सभी निर्वाचित और नामांकित सांसद शामिल होते हैं।
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नामांकन की प्रक्रिया होती है – उम्मीदवार को कम से कम 20 सांसदों का प्रस्ताव और 20 सांसदों का समर्थन जरूरी होता है।
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प्रचार सीमित रहता है – चूंकि केवल सांसद मतदाता होते हैं, इसलिए प्रचार संसद परिसर और राजनीतिक दलों तक ही सीमित होता है।
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वोटिंग प्राथमिकता आधारित होती है – सांसद मतपत्र पर प्रत्याशियों को प्राथमिकता के क्रम में (1, 2, 3…) अंकित करते हैं।
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काउंटिंग उसी दिन होती है – क्योंकि मतदाताओं की संख्या सीमित है, नतीजा कुछ घंटों में घोषित कर दिया जाता है।
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जीत के लिए 50% से ज्यादा वोट जरूरी होते हैं।
क्यों हो रहे हैं समय से पहले चुनाव?
दरअसल, मौजूदा उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने 21 जुलाई की रात अचानक इस्तीफा दे दिया। उनका कार्यकाल 10 अगस्त 2027 तक था, लेकिन उन्होंने व्यक्तिगत कारणों से पद छोड़ने का फैसला किया। इसी वजह से चुनाव आयोग को समय से पहले उपराष्ट्रपति चुनाव कराने पड़े।