जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
एनसीईआरटी (NCERT) ने कक्षा 6 से 8 और 9 से 12 के छात्रों के लिए दो नए स्पेशल मॉड्यूल जारी किए हैं। ये नियमित पाठ्यपुस्तकों का हिस्सा नहीं हैं, बल्कि पूरक सामग्री (Supplementary Material) हैं, जिनका इस्तेमाल शिक्षकों द्वारा किसी खास टॉपिक को गहराई से समझाने के लिए किया जाता है। इन मॉड्यूल्स को पोस्टर्स, चर्चाओं और वाद-विवाद के जरिये पढ़ाया जाएगा।
नए मॉड्यूल का सबसे अहम हिस्सा है—भारत-पाकिस्तान विभाजन का अध्याय, जिसमें मोहम्मद अली जिन्ना, कांग्रेस पार्टी और लॉर्ड माउंटबेटन को बंटवारे का जिम्मेदार बताया गया है। इसमें साफ लिखा गया है कि जिन्ना ने विभाजन की मांग रखी, कांग्रेस ने इसे मान लिया और माउंटबेटन ने इसे लागू कर दिया।
‘विभाजन के दोषी’ सेक्शन
इस मॉड्यूल के एक हिस्से का शीर्षक है ‘विभाजन के दोषी’, जिसमें बंटवारे के घटनाक्रम का विवरण दिया गया है। इसमें देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के एक भाषण का अंश भी जोड़ा गया है। नेहरू ने कहा था:
“हम एक ऐसी स्थिति में पहुंच गए हैं, जहां हमें या तो विभाजन स्वीकार करना होगा या फिर निरंतर संघर्ष और अराजकता झेलनी होगी।”
कश्मीर और आतंकवाद पर भी जिक्र
मॉड्यूल में सिर्फ विभाजन ही नहीं, बल्कि उसके परिणामों का भी जिक्र है। इसमें लिखा गया है कि 1947 से 1950 के बीच विभाजन ने भारत की एकता को खंडित किया, लाखों लोगों के विस्थापन और हत्याओं को जन्म दिया। पंजाब और बंगाल की अर्थव्यवस्थाएं तबाह हो गईं और सांप्रदायिक अविश्वास और गहरा गया।
जम्मू-कश्मीर का जिक्र करते हुए मॉड्यूल कहता है कि विभाजन ने राज्य को सामाजिक और आर्थिक रूप से कमजोर कर दिया और बाद के वर्षों में आतंकवाद ने स्थिति और बिगाड़ दी।
पीएम मोदी का संदेश भी शामिल
इस विशेष मॉड्यूल की प्रस्तावना में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण का अंश भी शामिल किया गया है। मोदी ने कहा था:
“बंटवारे के दर्द को कभी भुलाया नहीं जा सकता। लाखों लोग विस्थापित हुए, नासमझी और नफरत से कई जानें गईं। संघर्ष और बलिदान की याद में देश 14 अगस्त को ‘विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस’ के रूप में मनाता रहेगा।”
हाल के बदलाव और ऐतिहासिक समीक्षा
गौरतलब है कि यह पहला मौका नहीं है जब NCERT के कंटेंट पर बहस छिड़ी हो। हाल ही में कक्षा 8 की सामाजिक विज्ञान की किताब में मुगल काल की नई व्याख्या जोड़ी गई है। इसमें धार्मिक फैसलों, सांस्कृतिक योगदान और अत्याचार का विस्तृत वर्णन है। किताब में मथुरा, बनारस और सोमनाथ में मंदिरों के ध्वंस तथा जैन, सिख, सूफी और पारसी समुदायों पर हुए अत्याचार का भी जिक्र किया गया है।
NCERT के एक अधिकारी ने कहा—
“इतिहास की घटनाओं को मिटाया नहीं जा सकता। सत्ता की लालसा और गलत महत्वाकांक्षाओं को समझना जरूरी है ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं दोबारा न हों।”
कांग्रेस और विपक्ष का तीखा हमला
नए मॉड्यूल के सामने आने के बाद विपक्षी दलों ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है।
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कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने कहा:
“हिंदू महासभा और मुस्लिम लीग की जुगलबंदी से बंटवारा हुआ। लेकिन अगर इतिहास का असली खलनायक देखना है तो वो आरएसएस है, जिसे पीढ़ियां माफ नहीं करेंगी।” -
समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव बोले:
“इतिहास के पन्ने पलटेंगे तो साफ दिखेगा किस-किस ने माफी मांगी थी। बहुत सी बातें सामने आ जाएंगी।” -
कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित ने चुनौती दी:
“मैं NCERT को बहस के लिए बुलाता हूं। आज यह संस्थान बीजेपी के कब्जे में है, जिन्हें बंटवारे की गहराई का ज्ञान ही नहीं है।” -
आरजेडी सांसद मनोज झा ने कहा:
“इतिहास संदर्भों से समझा जाता है, किसी की सोच से नहीं बदला जाता। भाजपा नफरत की राजनीति करती है और यही बीज बोना चाहती है।”
बीजेपी का पलटवार
बीजेपी नेताओं ने विपक्ष के आरोपों को खारिज किया और कहा कि मॉड्यूल में जो लिखा गया है, वह ऐतिहासिक तथ्य हैं।
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बीजेपी प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने कहा:
“उस समय सत्ता में मुस्लिम लीग, कांग्रेस और माउंटबेटन थे। बंटवारा रोक सकते थे तो इन्हीं में से कोई रोकता। नेहरू के बंटवारे के पक्ष में बयान भी मौजूद हैं।” -
बीजेपी प्रवक्ता गौरव भाटिया ने कांग्रेस और राहुल गांधी पर हमला बोलते हुए कहा:
“जिन्ना और राहुल गांधी की सोच एक जैसी है। बंटवारा जिन्ना की जहरीली सोच और तुष्टिकरण का नतीजा था। वही सोच आज कांग्रेस पार्टी में दिखती है।”