जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल पेश करते हुए नर्मदापुरम जिले के इटारसी निवासी आरिफ खान चिश्ती ने वृंदावन के प्रसिद्ध संत प्रेमानंद महाराज को किडनी दान करने की इच्छा जताई है। आरिफ ने यह प्रस्ताव आधिकारिक तौर पर कलेक्टर सोनिया मीणा के माध्यम से लिखित पत्र भेजकर रखा। साथ ही उन्होंने प्रेमानंद महाराज को ई-मेल और व्हाट्सएप के जरिए भी संदेश भेजा है।
पत्र में लिखा – “प्रेमानंद महाराज हिंदू-मुस्लिम एकता के प्रतीक हैं”
20 अगस्त 2025 को भेजे गए पत्र में आरिफ खान ने लिखा कि वे प्रेमानंद महाराज के कार्यों और उनकी राष्ट्रभक्ति से गहराई से प्रभावित हैं। उन्होंने कहा कि मीडिया के माध्यम से उन्हें जानकारी मिली कि महाराज की दोनों किडनियां खराब हो चुकी हैं और वे गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं।
“मैं चाहता हूं कि अपनी एक किडनी उन्हें दान कर दूं। यह मेरा व्यक्तिगत निर्णय है, समाज क्या सोचता है इससे मुझे फर्क नहीं पड़ता,” — आरिफ ने अपने पत्र में लिखा।
“पत्नी और परिवार भी मेरे निर्णय के साथ”
26 वर्षीय आरिफ खान का परिवार इटारसी की न्यास कॉलोनी में रहता है। उनके पिता और तीन बड़े भाई हैं, जबकि मां का निधन हो चुका है। आरिफ परिवार में सबसे छोटे हैं। तीनों भाई कोरियर सर्विस में काम करते हैं। आरिफ का विवाह एक साल पहले हुआ था और उनकी पत्नी भी किडनी डोनेट करने के उनके फैसले का समर्थन कर रही हैं।
प्रेमानंद महाराज कौन हैं?
प्रेमानंद महाराज का वास्तविक नाम अनिरुद्ध कुमार पांडे है। उनका जन्म 1969 में कानपुर जिले के सरसौल ब्लॉक के अखरी गांव में हुआ था। बचपन से ही आध्यात्मिक झुकाव रखने वाले महाराज ने 9वीं कक्षा में परिवार त्याग दिया और पूरी तरह भक्ति मार्ग में लग गए।
वे राधारानी के अनन्य भक्त माने जाते हैं। वृंदावन स्थित उनके आश्रम में प्रतिदिन हजारों श्रद्धालु दर्शन और सत्संग के लिए पहुंचते हैं।
किडनी रोग से पीड़ित हैं महाराज
फिलहाल प्रेमानंद महाराज ऑटोसोमल डॉमिनेंट पॉलीसिस्टिक किडनी डिज़ीज (ADPKD) नामक गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं। इस रोग में धीरे-धीरे किडनी काम करना बंद कर देती है। डॉक्टरों के अनुसार महाराज की दोनों किडनियां फेल हो चुकी हैं और उन्हें तुरंत ट्रांसप्लांट की जरूरत है।
आरिफ खान का यह कदम सामाजिक और धार्मिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है। उन्होंने कहा कि प्रेमानंद महाराज सिर्फ सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार में ही नहीं, बल्कि राष्ट्रभक्ति और समाज में प्रेम-शांति का संदेश देने में भी अग्रणी हैं। यही कारण है कि वे उन्हें अपनी किडनी दान करना चाहते हैं।
आरिफ ने साफ कहा कि उनका यह कदम समाज में किसी को प्रभावित करने या वाहवाही लूटने के लिए नहीं है। यह उनका व्यक्तिगत निर्णय है और वे इसे निस्वार्थ भाव से करना चाहते हैं। उनका मानना है कि धर्म और मजहब से ऊपर इंसानियत है और प्रेमानंद महाराज का जीवन इसी सोच को आगे बढ़ाता है।