MPPSC सहायक प्राध्यापक परीक्षा आज: इंदौर, भोपाल, ग्वालियर और जबलपुर में 44 हजार से अधिक अभ्यर्थी ले रहे हिस्सा, जनरेटर और इमरजेंसी लाइट्स की विशेष व्यवस्था की गई!

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जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:

मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग (MPPSC) द्वारा रविवार को आयोजित सहायक प्राध्यापक परीक्षा 2024 पूरे प्रदेश के लिए एक बड़ा आयोजन बनकर सामने आया है। यह परीक्षा प्रदेश के चार प्रमुख शहरों — इंदौर, भोपाल, ग्वालियर और जबलपुर — में आयोजित की जा रही है, जिसमें कुल 44 हजार से अधिक अभ्यर्थी हिस्सा ले रहे हैं।

इस परीक्षा के लिए 117 परीक्षा केंद्र बनाए गए हैं, जिसमें अकेले इंदौर में 85 सेंटर हैं। इंदौर में ही सबसे ज्यादा 31,839 परीक्षार्थी परीक्षा में शामिल हो रहे हैं। भोपाल में 10, ग्वालियर में 6 और जबलपुर में 16 एग्जाम सेंटर बनाए गए हैं। जबलपुर में 6,300, भोपाल में 3,500 और ग्वालियर में करीब 2,500 परीक्षार्थी परीक्षा में बैठेंगे।

बता दें, यह परीक्षा दो सत्रों में आयोजित की जा रही है — पहला सत्र सुबह 10 से 11 बजे तक, और दूसरा सत्र दोपहर 1 से शाम 4 बजे तक होगा। परीक्षा की निगरानी के लिए आयोग ने 10 संभागीय पर्यवेक्षक और 10 विशेष पर्यवेक्षक नियुक्त किए हैं। अभ्यर्थियों को पहले सत्र के लिए सुबह 9:15 बजे और दूसरे सत्र के लिए 12:15 बजे से परीक्षा केंद्र में प्रवेश दिया गया। प्रश्नपत्र वितरण का समय क्रमशः 9:55 AM और 12:55 PM रखा गया है। प्रवेश पत्र न होने की स्थिति में भी उम्मीदवारों को निराश नहीं किया गया। रोल लिस्ट से फोटो और सिग्नेचर मिलान कराकर प्रपत्र-6 भरवाकर एंट्री दी गई, और इसकी सूचना परीक्षा नियंत्रक को भेजी गई।

वहीं, NEET परीक्षा के दौरान लाइट जाने की समस्या को ध्यान में रखते हुए इस बार MPPSC ने सभी परीक्षा केंद्रों पर जनरेटर और इमरजेंसी बल्ब की व्यवस्था की है, ताकि किसी भी परिस्थिति में परीक्षा बाधित न हो।

इसके अलावा आयोग की ओर से दिव्यांग अभ्यर्थियों के लिए विशेष व्यवस्थाएं की गईं हैं। इंदौर में परीक्षा आयोजक अधिकारी आर. पंचभाई ने बताया कि ऐसे उम्मीदवारों के लिए ग्राउंड फ्लोर पर बैठने की सुविधा दी गई है। साथ ही, सहलेखक का उपयोग करने वाले दिव्यांग परीक्षार्थियों को एक घंटे की परीक्षा में 20 मिनट और तीन घंटे की परीक्षा में 60 मिनट अतिरिक्त समय मिलेगा। नियम के अनुसार, सहलेखक की योग्यता अभ्यर्थी से कम से कम एक कक्षा कम होना अनिवार्य है।

इस बार आयोग की प्राथमिकता परीक्षा की विश्वसनीयता और पारदर्शिता को बनाए रखना है। इसलिए हर स्तर पर डिजिटल निगरानी, CCTV, मेटल डिटेक्टर, बॉडी चेकिंग जैसे उपाय किए गए हैं। जिसके चलते इंदौर में परीक्षा केंद्रों के बाहर कड़ी सुरक्षा व्यवस्था देखने को मिली। उम्मीदवारों की नाक की लोंग, कान की बालियां और गले की चैन तक उतरवाई गईं, जिससे किसी भी प्रकार की अनुचित सामग्री अंदर न जा सके। प्रवेश द्वार पर ही रोल नंबर, डॉक्युमेंट वेरिफिकेशन और बायोमेट्रिक चेकिंग की गई।

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