जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
मध्यप्रदेश में इस बार मानसून ने एंट्री तो एक दिन देरी से ली, लेकिन केवल तीन दिन में पूरे प्रदेश को ढक लिया। अब तक प्रदेश के 54 में से 53 जिलों में मानसून पहुंच चुका है। सिर्फ भिंड ऐसा जिला है, जहां गुरुवार को मानसून की दस्तक होगी। मौसम विभाग के अनुसार, भिंड में भी मानसून के साथ ही झमाझम बारिश की संभावना है और इसके साथ ही पूरे प्रदेश में मानसून सक्रिय हो जाएगा।
इस मानसूनी दस्तक के साथ प्रदेशभर में तेज आंधी, बारिश और बादलों की गड़गड़ाहट वाले हालात बन गए हैं। राजधानी भोपाल में गुरुवार सुबह बूंदाबांदी के साथ बादल छाए रहे। वहीं, अशोकनगर और रतलाम में सुबह 5 बजे से लगातार रुक-रुक कर तेज और हल्की बारिश होती रही। मौसम का ये बदला हुआ मिज़ाज न केवल गर्मी से राहत दे रहा है, बल्कि कृषि गतिविधियों के लिए भी संजीवनी साबित हो रहा है।
मौसम विभाग ने श्योपुर, मुरैना और गुना जिलों में अगले 24 घंटे के भीतर भारी बारिश का अलर्ट जारी किया है। यहां ढाई से लेकर सवा चार इंच तक बारिश हो सकती है। साथ ही भोपाल, इंदौर, उज्जैन, जबलपुर, ग्वालियर सहित प्रदेश के लगभग सभी जिलों में आंधी और गरज-चमक के साथ बारिश के आसार बने हुए हैं। सीनियर मौसम वैज्ञानिक ने बताया कि फिलहाल दो लो-प्रेशर एरिया और तीन साइक्लोनिक सर्कुलेशन सिस्टम सक्रिय हैं। इसके चलते प्रदेश के अधिकांश हिस्सों में अगले 4 दिनों तक तेज बारिश की संभावना बनी हुई है। कहीं-कहीं अति भारी बारिश (8 इंच तक) हो सकती है, जिससे निचले इलाकों में जलभराव और फसलों की तैयारी पर भी असर पड़ सकता है।
बुधवार को प्रदेश के कई जिलों में तेज आंधी और बारिश हुई। मंदसौर, रतलाम और बड़वानी में झमाझम बारिश दर्ज की गई, जिससे लोगों को चिलचिलाती गर्मी से राहत मिली। धार, इंदौर और उज्जैन जैसे शहरों में भी बारिश का अच्छा असर देखा गया। तापमान में औसतन 2 डिग्री तक गिरावट आई है। टीकमगढ़ में अधिकतम तापमान 38.5 डिग्री दर्ज किया गया, जो कि सबसे अधिक रहा। बाकी जिलों में पारा इससे नीचे रहा। प्रमुख शहरों में भोपाल का तापमान 33 डिग्री, इंदौर 31.4 डिग्री, उज्जैन 31.7 डिग्री, ग्वालियर 35.5 डिग्री और जबलपुर 37.4 डिग्री सेल्सियस रहा।
बता दें, इस बार देश में मानसून 8 दिन पहले ही आ गया था। महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में समय से पहले मानसून पहुंच गया, जिससे अनुमान लगाया गया था कि मध्यप्रदेश में यह जून के पहले सप्ताह में आ जाएगा। लेकिन मानसून महाराष्ट्र-छत्तीसगढ़ सीमा पर 15 दिन तक अटका रहा। 13-14 जून को यह आगे बढ़ा और 1 दिन की देरी से मध्यप्रदेश में एंट्री की। हालांकि इसके बाद इसकी रफ्तार तेज हो गई और सिर्फ 3 दिन में पूरे प्रदेश को कवर कर लिया। जबकि सामान्यत: एमपी में मानसून की एंट्री की तिथि 15 जून मानी जाती है। पिछले साल यह 21 जून को पहुंचा था।