मध्यप्रदेश में मानसून की धमाकेदार दस्तक, 1 जुलाई से अति भारी बारिश का रेड अलर्ट; कई जिलों में तबाही जैसे हालात की आशंका!

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जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:

मध्यप्रदेश में मानसून पूरी ताकत से सक्रिय हो चुका है। ग्वालियर, चंबल, रीवा और शहडोल संभाग के 11 जिलों में रविवार को तेज बारिश की चेतावनी के बीच मौसम विभाग ने अगला अलर्ट और भी डरावना जारी किया है। विभाग ने साफ किया है कि 1 जुलाई से प्रदेश के आधे से ज्यादा जिलों में अति भारी बारिश का खतरा मंडरा रहा है, जिसमें कहीं-कहीं साढ़े चार इंच से ज्यादा पानी गिर सकता है। यानी प्रदेश के कई इलाकों में जल भराव, सड़कें बंद और जनजीवन अस्त-व्यस्त होने के हालात बन सकते हैं।

रविवार को जिन जिलों में भारी बारिश की चेतावनी दी गई है, उनमें गुना, अशोकनगर, शिवपुरी, सतना, रीवा, सीधी, सिंगरौली, शहडोल, अनूपपुर, मंडला और बालाघाट शामिल हैं। वहीं भोपाल, इंदौर, उज्जैन, ग्वालियर, जबलपुर समेत अन्य जिलों के लिए यलो अलर्ट जारी किया गया है। यानी वहां भी बारिश की गतिविधियां लोगों को परेशान कर सकती हैं।

सीनियर मौसम वैज्ञानिक के मुताबिक, गुजरात के सौराष्ट्र-कच्छ क्षेत्र में बना लो प्रेशर एरिया अब एमपी की ओर सक्रिय हो चुका है। इसके अलावा, प्रदेश में पहले से ही टर्फ लाइन और साइक्लोनिक सर्कुलेशन सिस्टम सक्रिय है, जो बारिश की तीव्रता को और ज्यादा बढ़ा रहे हैं। ये सभी मिलकर ऐसा सिस्टम बना रहे हैं, जिससे आने वाले दिनों में बारिश की मार और भी विकराल हो सकती है। बता दें, शनिवार को ही इसके असर दिखने लगे थे। सतना के चित्रकूट में जमकर बारिश हुई, सीधी में सवा इंच से ज्यादा पानी गिरा, और खजुराहो व नौगांव में आधा इंच से ज्यादा बारिश दर्ज की गई। वहीं भोपाल, इंदौर, उज्जैन, छतरपुर, बालाघाट, बुरहानपुर, डिंडौरी जैसे कुल 19 जिलों में हल्की से मध्यम बारिश हुई।

मौसम विभाग का कहना है कि 1 जुलाई को 6 जिलों में अति भारी और 26 जिलों में भारी बारिश होगी। 2 जुलाई को भी हालात गंभीर रहेंगे – 5 जिलों में अति भारी और 25 जिलों में भारी बारिश का अलर्ट है। यानी लगातार दो दिन मध्यप्रदेश के कई जिले जल प्रलय की आशंका के घेरे में रहेंगे। दिलचस्प बात यह है कि इस साल मानसून ने देश में तो जल्दी दस्तक दी थी, लेकिन मध्यप्रदेश में यह एक दिन लेट 14 जून को पहुंचा। महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ में 15 दिन तक ठहरा मानसून आखिरकार जब एमपी में दाखिल हुआ तो सिर्फ 5 दिनों में पूरे प्रदेश को कवर कर गया। भिंड और मऊगंज को छोड़कर 53 जिलों में मानसून पहले ही 3 दिन में कवर हो चुका था, और उसके बाद इन दोनों जिलों में भी मानसून की एंट्री हो गई।

अब क्या हो सकता है असर?

जिन इलाकों में 4 इंच या उससे ज्यादा बारिश होती है, वहां निचले क्षेत्रों में जलभराव, खेतों में फसल डूबने, ग्रामीण इलाकों में सड़कें बंद होने, छोटे पुलों पर यातायात ठप होने जैसी स्थितियां बन सकती हैं। साथ ही नदी-नालों में उफान आने की आशंका भी जताई जा रही है। प्रशासन और आपदा प्रबंधन टीमों को अलर्ट मोड पर रखा गया है। वहीं, जिन जिलों में रेड और ऑरेंज अलर्ट है, वहां लोगों को जरूरी न हो तो घरों से बाहर न निकलने, जलभराव वाले क्षेत्रों से दूर रहने, बिजली के खंभों और पेड़ों के नीचे खड़े न होने, बच्चों और बुजुर्गों का विशेष ध्यान रखने की सलाह दी गई है।

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