जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
मध्यप्रदेश में इस मानसून सीजन का सबसे खतरनाक सिस्टम एक्टिव हो गया है। पहली बार प्रदेश के 53 जिलों में एक साथ भारी से अति भारी बारिश का रेड, ऑरेंज और यलो अलर्ट जारी किया गया है। राज्य के सबसे शुष्क रहे इलाकों – मालवा और निमाड़ (इंदौर और उज्जैन संभाग) में पहली बार सभी 15 जिलों में एक साथ रेड और ऑरेंज अलर्ट घोषित किया गया है। मौसम विभाग ने चेतावनी दी है कि इन इलाकों में अगले 24 घंटे के भीतर 8 इंच से अधिक बारिश हो सकती है।
भोपाल, ग्वालियर, जबलपुर, नर्मदापुरम, रीवा, शहडोल और सागर संभाग के सभी जिलों में भी तेज बारिश की चेतावनी है, जबकि चंबल क्षेत्र के मुरैना और भिंड में हल्की से मध्यम बारिश का अनुमान है। बैतूल में तेज बारिश के कारण रेलवे की ओवरहेड इलेक्ट्रिक लाइन क्षतिग्रस्त हो गई, जिससे नई दिल्ली-चेन्नई मार्ग पर रेल यातायात 4.5 घंटे बाधित रहा और 12 से अधिक ट्रेनें लेट हो गईं।
खंडवा में नर्मदा नदी का जलस्तर तेजी से बढ़ा है। रविवार तड़के इंदिरा सागर बांध के 10 गेट आधा मीटर और 2 गेट एक मीटर तक खोले गए, जिससे 3460 क्यूमेक्स पानी छोड़ा गया। वहीं ओंकारेश्वर बांध के 9 गेट खोलकर 3510 क्यूमेक्स पानी नर्मदा में छोड़ा गया। इससे नर्मदा किनारे बसे गांवों में बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है।
मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार, फिलहाल मध्यप्रदेश के ऊपर लो-प्रेशर एरिया, दो ट्रफ लाइनें और दो साइक्लोनिक सर्कुलेशन सक्रिय हैं, जो इस कहर का कारण हैं। अगले चार दिनों तक ये सिस्टम और ज्यादा ताकतवर बना रहेगा, जिससे राहत की उम्मीद फिलहाल नहीं है।
इस मानसून सीजन में मालवा-निमाड़ अंचल सबसे सूखा रहा था, लेकिन अब वही सबसे ज्यादा खतरे में हैं। उज्जैन, रतलाम, राजगढ़, शाजापुर, सीहोर, इंदौर, खरगोन, बड़वानी, धार, झाबुआ, अलीराजपुर समेत 15 जिलों में अगले 24 घंटे अत्यधिक संवेदनशील बताए गए हैं।
वहीं ग्वालियर में बीते 24 घंटे में 180 मिमी बारिश दर्ज हुई है, जिसने जुलाई 1935 के रिकॉर्ड (623 मिमी) को तोड़ दिया। अब तक जुलाई 2025 में 674 मिमी बारिश हो चुकी है और पूरे मानसून सीजन में अब तक 926 मिमी बारिश दर्ज की जा चुकी है।
इस व्यापक बारिश से राज्यभर में जनजीवन अस्त-व्यस्त है। कहीं नदियां उफान पर हैं, कहीं खेत जलमग्न हो गए हैं और कहीं शहरों की सड़कें झील बन गई हैं। प्रशासन हाई अलर्ट पर है और NDRF की टीमें भी तैनात कर दी गई हैं।
मौसम विभाग ने साफ कर दिया है कि अभी राहत की कोई उम्मीद नहीं है। मध्यप्रदेश इस समय मानसून की सबसे भयंकर मार झेल रहा है – और इससे पूरा प्रदेश चौकन्ना और सतर्क रहने को मजबूर हो गया है।