जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
मध्यप्रदेश की मोहन यादव सरकार मंगलवार को एक बार फिर बाजार से 4800 करोड़ रुपए का कर्ज लेने जा रही है। यह कर्ज दो हिस्सों में होगा – 2300 करोड़ रुपए का 18 साल की अवधि के लिए और 2500 करोड़ रुपए का 20 साल की अवधि के लिए। दोनों कर्जों का ब्याज भुगतान राज्य सरकार हर छह महीने में करेगी। रिजर्व बैंक के ई-कुबेर सिस्टम के माध्यम से यह राशि उठाई जाएगी और 28 अगस्त को राज्य सरकार को फंड उपलब्ध हो जाएगा।
चालू वित्त वर्ष में अब तक 13वीं बार कर्ज
चालू वित्त वर्ष 2024–25 की शुरुआत से लेकर अब तक मोहन सरकार लगातार बाजार से कर्ज उठाती रही है। आज लिए जाने वाले कर्ज को मिलाकर प्रदेश सरकार बीते पांच महीनों में 13 बार कर्ज ले चुकी होगी। इससे पहले 5 अगस्त को 4000 करोड़ रुपए, जुलाई में 9100 करोड़ रुपए और मई-जून-जुलाई के अलग-अलग चरणों में कई बार कर्ज लिया जा चुका है।
इस नए कर्ज के बाद राज्य सरकार का कुल कर्ज बढ़कर 4 लाख 49 हजार 640 करोड़ रुपए पर पहुंच जाएगा। 31 मार्च 2025 की स्थिति में यह कर्ज 4 लाख 21 हजार 740 करोड़ रुपए था। यानी, केवल पांच महीनों में ही करीब 28 हजार करोड़ रुपए का नया कर्ज जुड़ चुका है।
क्यों ले रही है सरकार कर्ज?
राज्य सरकार का तर्क है कि यह कर्ज विकास परियोजनाओं और दीर्घकालिक योजनाओं की पूर्ति के लिए आवश्यक है। वित्त वर्ष 2023-24 में मध्यप्रदेश सरकार ने 12487.78 करोड़ रुपए का रेवेन्यू सरप्लस दर्ज किया था। उस वर्ष सरकार की आमदनी 2,34,026.05 करोड़ रुपए रही थी, जबकि खर्च 2,21,538.27 करोड़ रुपए हुआ।
वहीं चालू वित्त वर्ष 2024-25 के रिवाइज्ड अनुमान में भी सरकार ने अपनी आमदनी 2,62,009.01 करोड़ रुपए और खर्च 2,60,983.10 करोड़ रुपए बताया है। यानी प्रदेश की स्थिति घाटे में नहीं, बल्कि 1025.91 करोड़ रुपए सरप्लस में है।
कब-कब लिया गया कर्ज?
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5 अगस्त 2025 – तीन किश्तों में कुल 4000 करोड़ रुपए का कर्ज (18, 20 और 23 साल के लिए)।
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30 जुलाई 2025 – दो किश्तों में 4300 करोड़ रुपए का कर्ज (17 और 23 साल की अवधि के लिए)।
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8 जुलाई 2025 – 2500 और 2300 करोड़ रुपए के दो कर्ज (16 और 18 साल के लिए)।
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4 जून 2025 – 2000 और 2500 करोड़ रुपए के दो कर्ज (16 और 18 साल की अवधि के लिए)।
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7 मई 2025 – दो किश्तों में 2500-2500 करोड़ रुपए का कर्ज (12 और 14 साल की अवधि के लिए)।
इसके अलावा फरवरी और मार्च में भी सरकार ने कई बार 6000–6000 करोड़ रुपए के कर्ज उठाए थे।
सरकार का पक्ष
सरकार का मानना है कि यह कर्ज वित्तीय दबाव का संकेत नहीं है, बल्कि बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स, निवेश आकर्षित करने और विकास कार्यों को गति देने के लिए उठाया जा रहा है। मुख्यमंत्री मोहन यादव का फोकस प्रदेश में सड़कों, स्वास्थ्य सेवाओं, शिक्षा, धार्मिक पर्यटन और उद्योगों को बढ़ावा देने पर है। लंबे समय के लिए उठाए गए ये लोन राज्य के विकास कार्यों के लिए संसाधन जुटाने का साधन हैं।
मध्यप्रदेश सरकार का कुल कर्ज आंकड़ों में भले ही बढ़ रहा हो, लेकिन राजस्व सरप्लस के चलते सरकार अपनी स्थिति को संतुलित बता रही है। बार-बार कर्ज लेने के बावजूद राज्य का फोकस बड़े प्रोजेक्ट्स और भविष्य की योजनाओं पर निवेश करने का है। अब देखने वाली बात यह होगी कि आने वाले महीनों में सरकार कर्ज लेने की इस रफ्तार को जारी रखती है या फिर राजस्व से संतुलन बनाने की दिशा में कदम उठाती है।