जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
मध्यप्रदेश के जनजातीय कार्यमंत्री डॉ. विजय शाह इन दिनों एक विवादित बयान के चलते देश की सियासत और न्यायपालिका के केंद्र में हैं। उन्होंने 11 मई को महू के रायकुंडा गांव में आयोजित हलमा कार्यक्रम में कर्नल सोफिया कुरैशी को लेकर दिया गया एक बयान, जो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, अब उनके राजनीतिक जीवन की सबसे बड़ी मुसीबत बन गया है। बयान में विजय शाह ने कथित तौर पर कर्नल सोफिया को आतंकी बहन बता दिया, जिससे देशभर में आक्रोश फैल गया। मामला इतना गंभीर हो गया कि सुप्रीम कोर्ट ने इस पर स्वतः संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार को एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया और अब इस केस की जांच एसआईटी के हवाले कर दी गई है।
हालांकि 19 मई तक सुप्रीम कोर्ट ने उनकी गिरफ्तारी पर अंतरिम रोक लगा दी है, लेकिन मंत्री शाह जनता से दूरी बनाए हुए हैं। वे 14 मई को खंडवा और हरसूद के कुछ कार्यक्रमों में दिखाई दिए, लेकिन इसके बाद 15 मई से बिल्कुल गायब हैं। एक वायरल फोटो में उन्हें पत्नी के साथ सचखंड एक्सप्रेस में भोपाल जाते देखा गया, लेकिन वे न तो भोपाल स्थित अपने सरकारी बंगले में दिखे और न ही मंत्रालय में।
इस संकट की घड़ी में विजय शाह के समर्थक खुलकर उनके बचाव में उतर आए हैं। सोशल मीडिया पर ‘विजय शाह फैंस क्लब’ और उनके करीबी समर्थक लगातार कैंपेन चला रहे हैं, जिसमें उन्हें देशभक्त, गरीबों का हितैषी और आदिवासी समाज का सशक्त प्रतिनिधि बताया जा रहा है। एक मुस्लिम समर्थक का वीडियो खासा वायरल हो रहा है जिसमें वह कहता है कि विजय शाह ने कभी हिन्दू-मुस्लिम की राजनीति नहीं की, उन्होंने तो मजाकिया लहजे में एक शब्द कहा जो गलत समझ लिया गया।
अब इस पूरे प्रकरण की जांच एक हाई-लेवल एसआईटी कर रही है। सागर आईजी प्रमोद वर्मा, डीआईजी SAF कल्याण चक्रवर्ती और वाहिनी सिंह की टीम ने जांच शुरू कर दी है और उन्हें 28 मई तक सुप्रीम कोर्ट में स्टेटस रिपोर्ट पेश करनी है। टीम ने स्थानीय पुलिस से बयान, वीडियो फुटेज और दस्तावेज जुटाने शुरू कर दिए हैं लेकिन अभी तक जांच में क्या निकला है, इस पर सभी अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं।
इस बीच मंत्री शाह के बेटे दिव्यादित्य शाह, जो खंडवा जिला पंचायत के उपाध्यक्ष हैं, ने 18 मई को क्षेत्र के सैनिकों का सम्मान कर यह संदेश देने की कोशिश की कि उनका परिवार सेना और देश के लिए समर्पित है।