लाल किले से पहली बार RSS का जिक्र: मोदी बोले– 100 साल की राष्ट्रसेवा, दुनिया का सबसे बड़ा NGO; कांग्रेस बोली – भागवत को खुश करने के लिए लिया संघ का नाम!

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जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:

स्वतंत्रता दिवस के 79वें अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले के प्राचीर से पहली बार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) का नाम लेकर उसकी 100 साल की यात्रा और योगदान का जिक्र किया। मोदी ने कहा कि आरएसएस ने व्यक्ति निर्माण के जरिए राष्ट्र निर्माण का संकल्प लेकर एक सदी तक मां भारती की सेवा की है। उन्होंने इसे दुनिया का सबसे बड़ा NGO बताते हुए “सेवा, समर्पण, संगठन और अनुशासन” को संघ की पहचान बताया।

मोदी के इस बयान ने राजनीतिक गलियारों में नई हलचल पैदा कर दी। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री ने यह जिक्र संघ प्रमुख मोहन भागवत को खुश करने के लिए किया है, क्योंकि वे अब पूरी तरह उनके भरोसे हैं। रमेश का दावा है कि सितंबर के बाद, जब मोदी 75 साल के हो जाएंगे, तो पद पर बने रहने के लिए उन्हें भागवत के समर्थन की जरूरत होगी।


75 साल की उम्र सीमा का विवाद और भाजपा का रुख

प्रधानमंत्री मोदी का जन्म 17 सितंबर 1950 को हुआ था और इस साल वे 75 वर्ष के हो जाएंगे। विपक्ष लंबे समय से यह सवाल उठाता रहा है कि क्या मोदी खुद के बनाए अनौपचारिक ‘75 वर्ष रिटायरमेंट नियम’ का पालन करेंगे।

2014 में सत्ता में आने के बाद मोदी ने कैबिनेट में 75 साल से कम उम्र के नेताओं को ही जगह दी थी। वरिष्ठ नेताओं लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी को मार्गदर्शक मंडल में भेज दिया गया था। 2016 में आनंदीबेन पटेल और नजमा हेपतुल्लाह ने भी इसी आयु सीमा पर इस्तीफा दिया। 2019 और 2024 के लोकसभा चुनावों में कई दिग्गज नेताओं के टिकट 75 साल से अधिक उम्र के कारण काटे गए।

हालांकि, गृह मंत्री अमित शाह ने मई 2024 में साफ किया कि भाजपा के संविधान में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है और मोदी 2029 तक देश का नेतृत्व करेंगे। पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी दोहराया कि मोदी भविष्य में भी पार्टी और देश का नेतृत्व करते रहेंगे।


भाजपा–आरएसएस रिश्तों पर चर्चा

मोदी के भाषण से पहले, 2024 लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा और RSS के रिश्तों पर भी सवाल उठे थे। मई 2024 में एक इंटरव्यू में नड्डा ने कहा था कि भाजपा अब सक्षम है और खुद को चला सकती है, जबकि शुरुआती दौर में उसे संघ की जरूरत थी। इस बयान को लेकर ‘दोनों संगठनों में खटपट’ की चर्चाएं तेज हो गई थीं।


RSS मुख्यालय का ऐतिहासिक दौरा

31 मार्च 2025 को प्रधानमंत्री मोदी ने बतौर पीएम पहली बार दिल्ली स्थित RSS मुख्यालय ‘केशव कुंज’ का दौरा किया। वे यहां करीब चार घंटे रहे और संघ संस्थापक केशव बलिराम हेडगेवार एवं दूसरे सरसंघचालक माधव सदाशिव गोलवलकर (गुरुजी) को श्रद्धांजलि दी। मोदी ने संघ के माधव नेत्रालय की नई बिल्डिंग का शिलान्यास भी किया। इससे पहले वे जुलाई 2013 में लोकसभा चुनाव की रणनीतिक बैठक के लिए नागपुर स्थित संघ मुख्यालय आए थे।


राजनीतिक मायने और आने वाले दिन

विश्लेषकों का मानना है कि स्वतंत्रता दिवस के भाषण में RSS का जिक्र महज औपचारिकता नहीं, बल्कि एक राजनीतिक संदेश भी है। यह एक ओर संघ के योगदान को सम्मान देता है, तो दूसरी ओर विपक्ष के ‘75 वर्ष रिटायरमेंट नियम’ वाले सवालों पर अप्रत्यक्ष जवाब भी माना जा रहा है।

अब देखना होगा कि सितंबर में 75 वर्ष पूरे होने के बाद इस मुद्दे पर भाजपा का रुख और राजनीतिक माहौल किस दिशा में जाता है।

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