जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
आज अयोध्या में एक ऐतिहासिक दिन है, जब रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा की पहली वर्षगांठ मनाई जा रही है। यह दिन न सिर्फ धार्मिक, बल्कि ऐतिहासिक भी है। कभी जिस राम मंदिर के लिए भक्तों ने दशकों तक संघर्ष किया, आज वही स्थल अयोध्या में श्रद्धा का सबसे बड़ा केंद्र बन गया है।
बात दें, हिन्दू समाज के 500 वर्षों के तप के बाद आखिरकार 22 जनवरी 2024 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा हुई थी। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि क्यों इस वर्ष यह तारीख बदली है? क्यों 22 जनवरी को मनाई जाने वाली वर्षगांठ, आज 11 जनवरी को मनाई जा रही है?
दरअसल, रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की वर्षगांठ हिंदू पंचांग के हिसाब से मनाई जाती है। पिछले साल 22 जनवरी को जो मुहूर्त था, उसके अनुसार इस वर्ष ‘प्रतिष्ठा द्वादशी’ 11 जनवरी को पड़ रही है, इसलिए श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने इस वर्ष 11 से 13 जनवरी तक तीन दिवसीय उत्सव मनाने का निर्णय लिया है।
बता दें, आज के इस खास दिन पर, अयोध्या में रामलला का पंचामृत अभिषेक किया गया। सबसे पहले उन्हें दूध, दही, घी, शहद और शक्कर से स्नान कराया गया, फिर उन्हें गंगाजल से नहलाया गया। इसके बाद, रामलला का अद्भुत श्रृंगार किया गया। उन्हें पीतांबर वस्त्र पहनाए गए, जिसमें सोने के तारों से बुनाई की गई है। उनके मुकुट में एक हीरा जड़ा है, जो उनकी दिव्यता और शांति को दर्शाता है। इस खास अवसर पर, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी अयोध्या पहुंचे और रामलला की पूजा की। उनके साथ-साथ दिल्ली, हिमाचल समेत 10 राज्यों से लोग रामलला के दर्शन करने पहुंचे हैं। राम मंदिर को विदेशी फूलों से सजाया गया है। मंदिर ट्रस्ट ने अंगद टीला पर जर्मन हैंगर टेंट लगवाए हैं। यहां पर 5 हजार श्रद्धालु रामकथा सुनेंगे।
मंदिर ट्रस्ट के अनुसार, आज 2 लाख से अधिक भक्त रामलला के दर्शन करेंगे। इस पवित्र अवसर पर 11 से 13 जनवरी तक उत्सव होंगे, जिसमें विशेष ध्यान रखा जाएगा कि आम दर्शन सुबह 6:30 बजे से लेकर रात 9:30 बजे तक खुले रहेंगे, लेकिन इन 3 दिनों में VIP दर्शन नहीं होंगे।
बता दें, इस खास मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों को बधाई दी है। उन्होंने अपने X हैंडल पर लिखा, “अयोध्या में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा की प्रथम वर्षगांठ पर समस्त देशवासियों को बहुत-बहुत शुभकामनाएं। सदियों के त्याग, तपस्या और संघर्ष से बना यह मंदिर हमारी संस्कृति और अध्यात्म की महान धरोहर है। मुझे विश्वास है कि यह दिव्य-भव्य राम मंदिर विकसित भारत के संकल्प की सिद्धि में एक बड़ी प्रेरणा बनेगा।”