मध्यप्रदेश का ‘उड़ता पंजाब’ कांड: मछली गैंग का ड्रग्स रैकेट दिल्ली–हरियाणा–राजस्थान तक फैला, दिल्ली का बादल अरोरा बना भोपाल का सबसे बड़ा सप्लायर!

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जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:

राजधानी के चर्चित ड्रग्स केस में रोज नए राज सामने आ रहे हैं। जिस तरह पंजाब में ड्रग्स का नेटवर्क ‘उड़ता पंजाब’ फिल्म के जरिए सामने आया था, वैसा ही संगठित रैकेट अब मध्यप्रदेश में उजागर हो रहा है। क्राइम ब्रांच की जांच में पता चला है कि इस नेटवर्क की जड़ें भोपाल से लेकर दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान और पंजाब तक फैली हुई हैं।

ताज़ा खुलासे में सामने आया है कि दिल्ली निवासी विशाल उर्फ बादल अरोरा, भोपाल के मछली गैंग को सबसे ज्यादा ड्रग्स सप्लाई करता था। जांच में सामने आया है कि यासीन मछली का खास गुर्गा अंशुल नाइजीरियन तस्करों से भी सीधा संपर्क रखता था। ऑर्डर सोशल मीडिया पर खास कोडवर्ड्स के जरिए बुक होते और डिलीवरी राज्यों की सीमाओं को पार करके की जाती थी।

क्राइम ब्रांच के हाथ लगे चैट्स और बैंक ट्रांजेक्शन ने इस नेटवर्क की परतें खोल दी हैं। बीते छह महीनों में आरोपियों के बीच दो दर्जन से ज्यादा लेन-देन दर्ज हुए हैं।

पुलिस के सामने दिए बयान में यासीन ने माना कि वह अपने गुर्गे अंशुल उर्फ भूरी को दिल्ली भेजकर ड्रग्स मंगाता था। अंशुल का सीधा कनेक्शन बादल अरोरा से था। इस काम में अमन नाम का युवक भी उसकी मदद करता था।

यासीन, अंशुल और बादल के बीच चैट्स और बैंक ट्रांजेक्शन से पुलिस का शक यकीन में बदल गया है। हालांकि बादल अभी फरार है और पुलिस उसकी तलाश में दबिशें दे रही है।

कोर्ट में चालान, अगले महीने बहस

क्राइम ब्रांच ने अब तक यासीन और शाहवर मछली समेत 10 आरोपियों के खिलाफ 15 सितंबर को कोर्ट में चालान पेश किया है। इसमें सैफुद्दीन, शाहरुख, अंशुल, अमन, लारिब उर्फ बच्चा, शाकिर और नाइजीरियन तस्कर ओबिन्ना व बेंचामत के नाम शामिल हैं। 6 अक्टूबर को इन पर आरोप तय करने पर बहस होगी।

अब तक फरार आरोपी

ड्रग्स रैकेट के कई बड़े चेहरे अब भी पुलिस की पकड़ से बाहर हैं। इनमें डॉ. रहमान मलिक, मोनिस, उमेर पट्टी, विशाल और सनव्वर शामिल हैं। गिरफ्तारी के बाद इनके खिलाफ अलग चालान पेश होगा।

मास्टरमाइंड और उसके गुर्गे

  • यासीन अहमद उर्फ मछली: गिरोह का मास्टरमाइंड। राजस्थान से ड्रग्स लाता था। फ्री ड्रग्स देकर युवतियों को पब-लाउंज में सप्लाई के लिए इस्तेमाल करता था।

  • शाहवर उर्फ मछली: यासीन का भतीजा और सबसे भरोसेमंद साथी। डिलीवरी के वक्त उसके गुर्गे एक्टिव रहते थे।

  • जगजीत उर्फ जग्गा: यासीन का करीबी, हर डिलीवरी पर 30% कमीशन पाता था।

  • अंश चावला: मेडिकल स्टोर मालिक। ड्रग्स डील को लेकर यासीन के साथ चैट्स मिली हैं।

  • मोहित बघेल: ड्रग पैडलर, वर्तमान में हिरासत में।

  • सैफुद्दीन और आशु: सबसे पहले पकड़े गए सप्लायर्स, जो गोविंदपुरा इलाके से सक्रिय थे।

पुलिस जब आरोपी सनव्वर को पकड़ने उसके भाई शाकिर के घर पहुंची, तो वह वहां से भाग निकला। लेकिन जांच में शाकिर की संलिप्तता भी सामने आ गई। पहले उसे ‘आरोपी को संरक्षण देने’ में केस दर्ज हुआ और बाद में खुद ड्रग्स कनेक्शन सामने आने पर चार्जशीट में आरोपी बनाया गया।

अलग-अलग राज्यों तक फैला कारोबार

जांच में पता चला कि बादल अरोरा दिल्ली से लेकर हरियाणा, पंजाब और राजस्थान तक नेटवर्क चला रहा था। वहीं, सावन नामक आरोपी मूल रूप से पंजाब का निवासी है और इस धंधे में अहम कड़ी माना जा रहा है।

पुलिस कार्रवाई की टाइमलाइन

  • 18 जुलाई: सैफुद्दीन और शाहरुख गिरफ्तार, पूछताछ में सनव्वर और डॉ. रहमान का नाम सामने आया।

  • 23 जुलाई: यासीन और शाहवर मछली दबोचे गए।

  • 30 जुलाई: अंशुल गिरफ्तार, जिसने दिल्ली से सप्लाई लाने की बात कबूली।

  • 4 अगस्त: नाइजीरियन ओबिन्ना गिरफ्तार।

  • 5 अगस्त: उसकी साथी बेंचामत (थाईलैंड की महिला) पकड़ी गई, 2.95 ग्राम एमडी ड्रग्स बरामद।

  • 6 अगस्त: अमन गिरफ्तार।

  • 8 अगस्त: शाकिर (सनव्वर का भाई) गिरफ्तार।

मछली परिवार की आपराधिक दुनिया

इस मामले ने मछली परिवार की असलियत भी उजागर कर दी है। परिवार के 9 भाइयों में से अधिकतर का कारोबार प्रॉपर्टी, कॉलोनाइज़िंग और रेस्टोरेंट्स में फैला है, लेकिन उनके खिलाफ हत्या के प्रयास, मारपीट, आर्म्स एक्ट और अब ड्रग्स तस्करी जैसे गंभीर केस दर्ज हैं।

  • शारिक मछली: कॉलोनाइज़र और रेस्टोरेंट मालिक, कई थानों में केस दर्ज।

  • शफीक मछली: यासीन का पिता, ड्रग्स और ठगी के मामलों में लिप्त।

  • शहरयार मछली: बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा का पूर्व जिलाध्यक्ष, नेताओं से करीबी।

  • सोहैल मछली: बकरा फार्म चलाता था, पुलिस अफसरों से संबंध।

  • शाहवर मछली: एनडीपीएस और रेप केस में जेल में बंद।

  • तारिक मछली: आलीशान ‘शरीफ मंजिल’ का मालिक, हत्या के प्रयास समेत कई केस।

  • शाहबाज, शाहिद और शकील मछली: छोटे स्तर पर प्रॉपर्टी और दुकानदारी, लेकिन केसों से जुड़े।

पुलिस की सख्ती जारी

क्राइम ब्रांच का कहना है कि ड्रग्स रैकेट की जड़ें गहरी हैं और इसमें कई सफेदपोशों की भूमिका की भी जांच की जा रही है। फिलहाल फरार आरोपियों की तलाश तेज है।

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