जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में मंगलवार को मंत्रालय में आयोजित मंत्रि-परिषद की बैठक में एक बड़ा निर्णय लिया गया। प्रदेश सरकार ने किसानों के समग्र विकास के लिए एक नया अभियान “मध्यप्रदेश कृषक कल्याण मिशन” शुरू करने की सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है। इस मिशन के तहत कृषि, उद्यानिकी, मत्स्य पालन, पशुपालन, सहकारिता, खाद्य आपूर्ति जैसे विभागों की योजनाएं अब एक मंच पर लाकर एकीकृत रूप में लागू की जाएंगी।
सरकार का उद्देश्य किसानों की आय में बढ़ोतरी, जलवायु के अनुकूल खेती को बढ़ावा देना, टिकाऊ कृषि प्रणाली को अपनाना और किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य दिलाना है। इसके साथ ही पारंपरिक कृषि ज्ञान और जैव विविधता का संरक्षण भी मिशन का एक अहम हिस्सा रहेगा।
कृषि क्षेत्र में मध्यप्रदेश की बड़ी छलांग
वर्ष 2002-2003 से तुलना करें तो आज मध्यप्रदेश की कृषि में जबरदस्त विकास हुआ है। कृषि उत्पादकता पहले 1195 किलो प्रति हेक्टेयर थी, जो अब बढ़कर 2393 किलो हो गई है। फसल उत्पादन 224 लाख मीट्रिक टन से बढ़कर 723 लाख मीट्रिक टन पहुंच गया है। इसी तरह, कृषि विकास दर 3% से बढ़कर 9.8% हो चुकी है। प्रदेश का कृषि बजट 600 करोड़ रुपये से बढ़कर 27050 करोड़ रुपये हो गया है। आज मध्यप्रदेश की जीडीपी में कृषि क्षेत्र का योगदान 39% तक पहुंच गया है।
किसानों की आय बढ़ाने के लिए होंगे ये प्रयास
मिशन के अंतर्गत किसानों की आय को दोगुना करने के लिए कई उपाय किए जाएंगे, जैसे फसलों की उत्पादकता बढ़ाना, उच्च मूल्य वाली फसलों को बढ़ावा देना, गुणवत्ता वाले बीज और खाद उपलब्ध कराना, कम ब्याज दर पर कृषि ऋण देना और फूड प्रोसेसिंग उद्योगों को प्रोत्साहन देना। इसके अलावा वैल्यू चेन को मजबूत किया जाएगा और किसानों को बाज़ार से सीधे जोड़ा जाएगा।
सस्टेनेबल और जैविक खेती को बढ़ावा
मिशन में गुड एग्रीकल्चर प्रैक्टिस (GAP) को अपनाने, जैविक खेती और प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहन देने की योजना है। किसानों को उनके उत्पाद का प्रमाण पत्र दिया जाएगा और मार्केट लिंकेज मजबूत किया जाएगा। मंडियों को आधुनिक बनाया जाएगा, पारदर्शिता लाई जाएगी और किसानों को मंडी के बाहर भी उपज बेचने की सुविधा दी जाएगी।
सहकारिता और मत्स्य पालन से भी बढ़ेगी आमदनी
सहकारिता विभाग के माध्यम से 26,000 ग्रामों तक दूध संकलन बढ़ाया जाएगा और उसकी प्रोसेसिंग क्षमता को 50 लाख लीटर प्रतिदिन किया जाएगा। पशुपालन में स्टॉल फीडिंग और घरेलू खुराक से बेसहारा गायों की संख्या में कमी लाई जाएगी। वहीं, मत्स्य पालन में आधुनिक तकनीक जैसे Biofloc और Cage Farming को अपनाया जाएगा। मछुआरों को शून्य ब्याज दर पर क्रेडिट कार्ड से ऋण भी मिलेगा।
जलवायु अनुकूलन और रिस्क कम करने की योजना
मिशन में जलवायु परिवर्तन को ध्यान में रखते हुए विशेष किस्म की फसलें विकसित की जाएंगी। किसानों को मौसम के अनुसार फसल लेने के लिए गाइडलाइन दी जाएगी। पारंपरिक कृषि ज्ञान को संरक्षित कर उसका लाभ नई पीढ़ी को दिया जाएगा।
उम्मीद के परिणाम और भविष्य की योजनाएं
राज्य सरकार ने स्पष्ट किया है कि इस मिशन से:
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उद्यानिकी फसलों की वैल्यू बढ़ेगी
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कृषि यंत्रीकरण डेढ़ गुना किया जाएगा
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पूंजी निवेश 75% तक बढ़ेगा
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जैविक खेती को कुल क्षेत्र का 10% तक ले जाया जाएगा
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सूक्ष्म सिंचाई को 20% तक पहुंचाया जाएगा
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फसल बीमा का कवरेज 50% किया जाएगा
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किसानों को सोलर पंप भी अनुदान पर मिलेंगे
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मत्स्य पालन में आत्मनिर्भरता लाई जाएगी
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दूध उत्पादन और पशुधन उत्पादकता में 50% तक वृद्धि की जाएगी
मुख्यमंत्री खुद इस मिशन की समीक्षा करेंगे, जबकि मुख्य सचिव इसके क्रियान्वयन की निगरानी करेंगे। जिला स्तर पर यह जिम्मेदारी कलेक्टर की होगी।
चिकित्सा क्षेत्र में भी लिया गया अहम निर्णय
सतना मेडिकल कॉलेज से जुड़े नए चिकित्सालय के निर्माण के लिए 383.22 करोड़ रुपये की स्वीकृति दी गई है। वहीं, गांधी मेडिकल कॉलेज भोपाल में पीडियाट्रिक कार्डियोलॉजी, न्यूरोलॉजी और नियोनेटोलॉजी विभागों के लिए 12 नए पदों की भी मंजूरी दी गई है, जिसमें प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर, असिस्टेंट प्रोफेसर और सीनियर रेजिडेंट्स शामिल हैं।