जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
मध्यप्रदेश के वन और पर्यावरण क्षेत्र में स्वर्णिम इतिहास रचने जा रहे हैं। मध्यप्रदेश राज्य वन विकास निगम अपनी स्थापना के 50 गौरवशाली वर्षों को पूर्ण कर रहा है। इस अवसर को चिन्हित करने के लिए 24 जुलाई को भोपाल स्थित भारतीय वन प्रबंधन संस्थान, नेहरू नगर के ऑडिटोरियम में एक भव्य समारोह और राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है। कार्यक्रम का उद्घाटन स्वयं मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव करेंगे। साथ ही वे ‘विजन डॉक्यूमेंट 2047’ का विमोचन और निगम की उपलब्धियों पर आधारित प्रदर्शनी का उद्घाटन भी करेंगे।
इस अवसर पर वन एवं पर्यावरण राज्यमंत्री दिलीप सिंह अहिरवार, राज्य के अपर मुख्य सचिव (वन) अशोक बर्णवाल और प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं वन बल प्रमुख असीम श्रीवास्तव की उपस्थिति भी रहेगी। कार्यक्रम में निगम के उत्कृष्ट कार्य करने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों को सम्मानित किया जाएगा।
वन विकास निगम के प्रबंध संचालक व्ही.एन. अम्बाड़े ने बताया कि इस स्वर्ण जयंती वर्ष के मौके पर आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला में देश के विभिन्न राज्यों—महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, उड़ीसा, तेलंगाना और कर्नाटक—से आए वन निगमों के प्रतिनिधि भाग लेंगे। कार्यशाला में थिनिंग व फेलिंग, जनरल प्लांटेशन, मियावाकी तकनीक, डिपॉजिट वर्क, थीम प्लांटेशन और ईको-टूरिज्म जैसे विषयों पर प्रस्तुतियाँ दी जाएँगी।
इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य मध्यप्रदेश राज्य वन विकास निगम की पाँच दशकों की उपलब्धियों को सामने लाना और देशभर में बेहतर वानिकी मॉडल साझा करना है। इस दौरान निगम की कार्यप्रणाली और सफलता पर आधारित एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म का भी प्रदर्शन किया जाएगा।
बता दें, मध्यप्रदेश राज्य वन विकास निगम की स्थापना 24 जुलाई 1975 को की गई थी। इसका मूल उद्देश्य राज्य के निम्न कोटि के वन क्षेत्रों में तेजी से बढ़ने वाली बहुमूल्य प्रजातियों के वृक्षारोपण के माध्यम से वन उत्पादकता और जैव विविधता को सशक्त बनाना रहा है। आज निगम प्रदेश के 22 जिलों में कार्यरत है, जहां 13 काष्ठागार और 15 स्थायी रोपणियां संचालित की जा रही हैं।
अब तक निगम को कुल 4.25 लाख हेक्टेयर वन भूमि सौंपी गई है, जिसमें से 3.90 लाख हेक्टेयर का उपचारण तथा 3.14 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में वृक्षारोपण पूरा किया जा चुका है। पिछले दो वर्षों में निगम ने 2.48 करोड़ पौधों का रोपण किया है। वर्ष 2025 में ही निगम की रोपणियों में 1.70 करोड़ रूट-शूट तकनीक से सागौन पौधों का उत्पादन हुआ है।
वन विकास निगम की परियोजनाओं का एक बड़ा हिस्सा टाइगर रिजर्व, राष्ट्रीय उद्यानों और अभयारण्यों के बफर ज़ोन से लगा हुआ है। इन क्षेत्रों में वन्यजीवों—जैसे बाघ, तेंदुआ, भालू और हिरण—की नियमित उपस्थिति दर्ज की जाती है। ऐसे संवेदनशील क्षेत्रों में वनों के विकास के साथ-साथ वन्यजीवों की सुरक्षा भी अत्यंत चुनौतीपूर्ण कार्य है, जिसे निगम ने बखूबी निभाया है। बोरीबन्धान, तालाब निर्माण, और जल संचयन हेतु झिरियों के निर्माण जैसे कार्य नियमित रूप से किए जाते हैं। वर्ष 2024-25 में निगम द्वारा 60 हजार घनमीटर इमारती लकड़ी और 3100 टन बांस का उत्पादन दर्ज किया गया।
जैव विविधता और जलगंगा संरक्षण में भी अग्रणी
मात्र व्यावसायिक वृक्षारोपण ही नहीं, निगम ने पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी अहम भूमिका निभाई है। ‘जल गंगा संवर्धन’ और ‘एक पेड़ माँ के नाम’ जैसे अभियानों के माध्यम से अब तक 125 करोड़ पौधों का रोपण किया जा चुका है। इसके साथ ही, वर्ष 2024-25 में निगम को 170 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ है, जो उसकी आर्थिक कार्यकुशलता को दर्शाता है।