जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
महाराष्ट्र की राजनीति में एक बार फिर शर्मनाक घटनाक्रम ने सबको हिला दिया है। शिवसेना (शिंदे गुट) के विधायक संजय गायकवाड़ द्वारा मुंबई के आकाशवाणी विधायक गेस्ट हाउस की कैंटीन में एक कर्मचारी के साथ की गई मारपीट का वीडियो वायरल होने के बाद विपक्षी नेताओं ने बुधवार को विधानसभा के बाहर ‘लुंगी-बनियान’ पहनकर अनोखा प्रदर्शन किया।
इस विरोध प्रदर्शन में महाविकास आघाड़ी (MVA) के प्रमुख नेता, शिवसेना (उद्धव गुट) के विधान परिषद नेता अंबादास दानवे, NCP (शरद पवार गुट) के विधायक जीतेन्द्र आव्हाड सहित कई विपक्षी नेता शामिल हुए। प्रदर्शनकारियों ने पारंपरिक वस्त्रों के ऊपर बनियान और तौलिया (लुंगी की तरह) पहनकर ‘गुंडा राज हाय-हाय’ के नारे लगाए।
क्या है पूरा मामला?
पूरा मामला 8 जुलाई की रात का है, जब विधायक संजय गायकवाड़ ने खाने की गुणवत्ता को लेकर गेस्ट हाउस की कैंटीन के कर्मचारी को सार्वजनिक रूप से थप्पड़ मार दिया। वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि विधायक एक खाने का पैकेट कर्मचारी की ओर बढ़ाते हैं और सूंघने को कहते हैं। जैसे ही कर्मचारी पैकेट को सूंघता है, विधायक उसे जोरदार थप्पड़ मार देते हैं।
इस वीडियो के वायरल होने के बाद राज्य भर में आक्रोश फैल गया। हालांकि, विधायक संजय गायकवाड़ ने अपने कृत्य पर कोई पछतावा नहीं जताया। उन्होंने कहा, “दाल-चावल का एक निवाला खाया तो उल्टी हो गई। खाने से बदबू आ रही थी। चार साल में कई बार समझाया, जब कोई नहीं समझता, तो शिवसेना स्टाइल यही है।”
विधानसभा में गरमाया मुद्दा
इस शर्मनाक घटना को लेकर शिवसेना (उद्धव गुट) के विधायक अनिल परब ने विधान परिषद में मुद्दा उठाया और कहा कि यह सरकार में मौजूद गुंडई का उदाहरण है। उन्होंने आरोप लगाया कि यह सरकार राजनीतिक संरक्षण में हिंसा को बढ़ावा दे रही है।
इस पर प्रतिक्रिया देते हुए मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि, “विधायक गायकवाड़ का यह कृत्य न केवल अस्वीकार्य है, बल्कि इससे पूरे सदन की प्रतिष्ठा को आघात पहुंचा है। यह घटना जनप्रतिनिधियों की छवि धूमिल करती है।” उन्होंने परिषद अध्यक्ष और विधानसभा स्पीकर से मामले की जांच और उचित कार्रवाई की मांग की।
डिप्टी सीएम शिंदे की सख्त चेतावनी
वहीं, डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे ने विधायक गायकवाड़ के व्यवहार को ‘अनुशासनहीनता’ बताया और कहा कि पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचाने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। उन्होंने कहा, “नेताओं को पहले खुद को कार्यकर्ता समझना चाहिए। अगर पार्टी की छवि फिर से खराब हुई, तो हमें सख्त कार्रवाई करनी ही पड़ेगी।”
‘लुंगी-बनियान’ आंदोलन बना राष्ट्रीय चर्चा
विधानसभा के बाहर हुए इस ‘लुंगी-बनियान’ आंदोलन ने सभी का ध्यान खींचा। विपक्ष ने इसे ‘गुंडा राज’ के खिलाफ प्रतीकात्मक विरोध बताया। अंबादास दानवे ने कहा, “जब विधायक ही कैंटीन में कर्मचारी को पीट रहे हैं, तो सरकार किन लोगों को संरक्षण दे रही है, यह सवाल खड़ा होता है।”
जीतेन्द्र आव्हाड ने कहा, “अगर यही शिवसेना की शैली है, तो आने वाले समय में हर कर्मचारी डर के साये में जीएगा। क्या अब ठेकेदार, सफाईकर्मी, टीचर्स, डॉक्टर भी विधायक के गुस्से का शिकार होंगे?”