जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
मध्य प्रदेश में निजी स्कूल संचालकों और सरकार के बीच तनातनी बढ़ गई है! एमपी बोर्ड प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन ने रजिस्टर्ड रेंट एग्रीमेंट की अनिवार्यता के खिलाफ 30 जनवरी को राज्यभर में स्कूल बंद रखने का ऐलान किया है। इसका असर भोपाल, इंदौर, उज्जैन सहित पूरे प्रदेश के 34 हजार से ज्यादा स्कूलों पर पड़ेगा, जिससे लाखों छात्र-छात्राओं की पढ़ाई बाधित होगी।
बता दें, एमपी सरकार ने 1 से 8वीं कक्षा तक के स्कूलों की मान्यता के लिए रजिस्टर्ड किरायानामा अनिवार्य कर दिया है। साथ ही, 40,000 रुपए की फिक्स्ड डिपॉजिट और बढ़ा हुआ मान्यता शुल्क भी स्कूलों पर बोझ बना है। एसोसिएशन का कहना है कि ये नियम छोटे और मध्यम स्तर के स्कूलों के लिए बड़ा झटका हैं, जिससे उनका संचालन मुश्किल हो सकता है। ऐसे में 8वीं कक्षा तक के स्कूलों की मान्यता के लिए रजिस्टर्ड किरायानामे की शर्त निरस्त की जाने को लेकर प्राइवेट स्कूल संचालक हड़ताल कर रहे हैं।
जिसके चलते 30 जनवरी को राज्यभर में एमपी बोर्ड के पहली से आठवीं कक्षा तक के 34 हजार प्राइवेट स्कूल प्रदेश में बंद हैं। हड़ताल के चलते गुरुवार को प्रदेशभर में गांधी प्रतिमाओं के सामने प्रदर्शन कर स्कूल संचालक सरकार को ज्ञापन सौंपेंगे। एसोसिएशन की मुख्य मांग है कि रजिस्टर्ड किरायानामे की शर्त हटाई जाए और पहले की तरह नोटरी किरायानामा लागू रहे।
हालांकि इस पर सरकार का कहना है कि ये बदलाव शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिए किए गए हैं, लेकिन एसोसिएशन का तर्क है कि छोटे स्कूलों के लिए रजिस्टर्ड रेंट एग्रीमेंट कराना प्रैक्टिकल नहीं है। कई स्कूल किराए के भवनों में चलते हैं, जहां लंबी अवधि का रजिस्टर्ड एग्रीमेंट संभव नहीं होता।
एसोसिएशन की मांगें:
- रजिस्टर्ड रेंट एग्रीमेंट की अनिवार्यता खत्म हो!
- पहले की तरह नोटरी किरायानामा मान्य हो!
- 40,000 की सुरक्षा निधि पर रोक लगे!
- RTE की राशि समय पर मिले!
- मान्यता शुल्क में की गई वृद्धि खत्म हो!