जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
हरियाणा के पलवल जिले के छोटे से गांव गुलाबद में 8 मई की सुबह ऐसा मातम पसरा, जिसे कोई शब्द पूरी तरह बयां नहीं कर सकते। लांसनायक दिनेश, जो भारत की “ऑपरेशन सिंदूर” एयर स्ट्राइक के अगले ही दिन, जम्मू-कश्मीर के पुंछ सेक्टर में पाकिस्तानी गोलीबारी में शहीद हो गए, अब तिरंगे में लिपटकर अपने गांव लौटे। लेकिन इस बार न तो बच्चों को गोद में उठाने आए, न पत्नी की हालचाल पूछी—बल्कि उनके लौटने का अंदाज ही हमेशा के लिए बदल चुका था।
दिनेश की पत्नी सीमा सात महीने की गर्भवती हैं और उनका तीसरा बच्चा अभी दुनिया में आने वाला है। जैसे ही शहीद की पार्थिव देह गांव पहुंची, सीमा बिलख-बिलखकर बस एक ही बात दोहराती रहीं—“बस एक बार उनसे बात करवा दो, उन्होंने कॉल करने को कहा था।” लेकिन अब उनकी बात हमेशा के लिए अधूरी रह गई।
सीमा ने बताया कि आखिरी बार सोमवार रात 9 बजे के करीब बात हुई थी। उन्होंने कहा था, “रात 12 बजे कॉल करूंगा।” लेकिन कॉल नहीं आया। अगली सुबह सीमा ने कई बार कॉल किया, पर कोई जवाब नहीं मिला। मंगलवार को एक बार कॉल आया भी, लेकिन वह फोन उठा नहीं पाईं। फिर बुधवार रात उन्हें सूचना दी गई कि दिनेश ऑपरेशन थिएटर में हैं। और फिर—शहादत की खबर।
शहीद दिनेश के पहले से दो छोटे बच्चे—8 साल की बेटी काव्या और 3 साल का बेटा दर्शन हैं। बेटी को डॉक्टर बनाना उनका सपना था। इसके लिए उन्होंने सुकन्या योजना में पैसा भी जमा किया था। सीमा बताती हैं कि जब वो छुट्टी काटकर लौटे थे तो उन्होंने कहा था, “अब मेरी पोस्टिंग बॉर्डर पर होगी। पर चिंता मत करना, 3 साल बाद रिटायर होकर आ जाऊंगा।”
उनके पिता दयाचंद ने बेटे को मुखाग्नि देते हुए गर्व से कहा—“मेरा एक बेटा देश के लिए शहीद हुआ है। मेरे दो और बेटे अभी सेना में हैं। भारत माँ की रक्षा के लिए वो भी जान देने को तैयार हैं।” वहीं माँ मारी देवी, जिनकी कोख से ये वीर जन्मा था, तिरंगे में लिपटे बेटे को देख ‘जय जवान, जय किसान’ के नारे लगाते हुए बिलख पड़ीं। उन्होंने कहा—“मुझे गर्व है कि मेरा बेटा देश के काम आया।”
शहीद के छोटे भाई हरदत्त और कपिल, जो खुद भी फौज में अग्निवीर के तौर पर तैनात हैं, ने कहा—“भाई की प्रेरणा से ही सेना में भर्ती हुए हैं। अब हमारा एक ही मकसद है—भाई की तरह देश की रक्षा में जान देना।” उन्होंने कहा कि जब दिनेश छुट्टी पर आते थे, तो उन्हें फौज में जाने के लिए प्रोत्साहित करते थे और कहा करते थे कि देश सेवा सबसे बड़ी सेवा है।
दिनेश 11 साल पहले सेना में भर्ती हुए थे और हाल ही में उन्हें लांसनायक के पद पर प्रमोशन मिला था। परिवार में वे 5 भाइयों में सबसे बड़े थे। दो भाई फौज में हैं, एक भाई पुष्पेंद्र पढ़ाई कर रहा है और सबसे छोटा भाई विष्णु खेती संभालता है।