जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
कटनी में आयोजित मध्यप्रदेश माइनिंग कॉन्क्लेव 2.0 प्रदेश की औद्योगिक तस्वीर बदलने वाला साबित हुआ। इस कॉन्क्लेव में विभिन्न राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय कंपनियों ने खनन क्षेत्र में ₹56,414 करोड़ के निवेश प्रस्ताव दिए। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि मध्यप्रदेश खनिज संपदा के मामले में कभी पीछे नहीं रहा है और अब सरकार इसे “देश का माइनिंग स्टेट” बनाने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रही है।
निवेशकों के लिए खुला संदेश
मुख्यमंत्री ने कॉन्क्लेव से निवेशकों को स्पष्ट संदेश दिया— “यह मध्यप्रदेश में निवेश का सही समय है। आप उद्योग लगाइए, बड़े सपने देखिए और उन्हें साकार करने में सरकार हर कदम पर साथ खड़ी होगी। दिल खोलकर निवेश कीजिए, निराश नहीं होंगे।”
डॉ. यादव ने बताया कि कटनी में आयोजित इस आयोजन से यह साफ झलक रहा है कि मध्यप्रदेश उद्योगपतियों का भरोसेमंद ठिकाना बन रहा है।
₹56 हजार करोड़ से ज्यादा के निवेश प्रस्ताव
कार्यक्रम में कुल 8 कंपनियों ने बड़े पैमाने पर निवेश के प्रस्ताव रखे। इनमें कोल गैसीफिकेशन, ग्रेफाइट प्रोसेसिंग, स्पंज आयरन और फेरो अलॉय, रिफ्रैक्ट्री, लौह अयस्क, बॉक्साइट प्लांट और प्रमुख खनिज ब्लॉक्स में खनन जैसी परियोजनाएं शामिल हैं।
- सिंघल बिज़नेस प्रा. लि. – ₹15,000 करोड़ (कोल गैसीफिकेशन व रिन्यूएबल एनर्जी)
- विनमिर रिसोर्सेस – ₹850 करोड़ (ग्रेफाइट बेनिफिसिएशन)
- रामनिक पावर एंड अलॉयज़ – ₹1,850 करोड़ (स्पंज आयरन व फेरो-अलॉय)
- माइनवेयर एडवाइजर्स – ₹450 करोड़ (कोल ब्लॉक माइनिंग)
- महाकौशल रिफ्रैक्ट्रीज़ – ₹90 करोड़ (रिफ्रैक्ट्री इंडस्ट्री)
- सायना ग्रुप – ₹3,950 करोड़ (आयरन बेनिफिसिएशन व बॉक्साइट कैल्सिनेशन)
- प्रमुख खनिज ब्लॉक – ₹32,774 करोड़
- कोल ब्लॉक प्रोडक्शन – ₹1,450 करोड़
कुल प्रस्तावित निवेश – ₹56,414 करोड़
बड़े एमओयू : क्रिटिकल मिनरल्स से लेकर AI और रिसर्च तक
इस कॉन्क्लेव में तीन अहम समझौते भी हुए–
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कोल इंडिया लिमिटेड के साथ क्रिटिकल मिनरल्स की खोज और संवर्धन हेतु एमओयू
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टेक्समिन आईएसएम धनबाद के साथ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, IoT, ब्लॉकचेन व रिमोट सेंसिंग आधारित माइनिंग टेक्नोलॉजी के लिए समझौता
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भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (IISER) भोपाल के साथ खनिज अनुसंधान और खोज के लिए एमओयू
इन एमओयू के जरिए खनन क्षेत्र में नई तकनीकों का इस्तेमाल बढ़ेगा और मध्यप्रदेश को भविष्य के लिए तैयार किया जाएगा।
कटनी और प्रदेश की संभावनाएं
सीएम यादव ने कहा कि कटनी में खनिज का बड़ा भंडार है। यहां क्रिटिकल मिनरल्स की खोज हो रही है, वहीं पन्ना पहले से ही हीरों के लिए मशहूर है। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में कटनी में सोने की भी संभावनाएं हैं।
प्रदेश सरकार पारदर्शी नीतियों के साथ लैंड बैंक, बिजली, पानी और शीघ्र ही एयर कार्गो जैसी सुविधाएं उपलब्ध करा रही है। इसके अलावा भोपाल और इंदौर को मेट्रोपोलिटन शहरों के रूप में विकसित करने की प्रक्रिया भी चल रही है।
उद्योगपतियों की सकारात्मक प्रतिक्रिया
कॉन्क्लेव के दौरान मुख्यमंत्री ने कई उद्योगपतियों से वर्चुअल बातचीत की। कोलकाता, श्रीलंका, दिल्ली, कोचीन और हैदराबाद से जुड़े निवेशकों ने कहा कि मध्यप्रदेश की सहज और सरल औद्योगिक नीतियां बाकी राज्यों की तुलना में कहीं अधिक आकर्षक हैं।
उद्योगपतियों ने यह भी साझा किया कि यहां फॉरेस्ट क्लियरेंस जैसी प्रक्रियाएं रिकॉर्ड समय में पूरी हो रही हैं, जिससे निवेश और उत्पादन की गति तेज हुई है।
नेताओं और विशेषज्ञों की राय
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प्रभारी मंत्री उदय प्रताप सिंह ने कहा कि डॉ. मोहन यादव ने कृषि प्रधान छवि को बदलकर मध्यप्रदेश को औद्योगिक गति दी है।
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सांसद वी.डी. शर्मा ने कटनी कॉन्क्लेव को प्रदेश की अर्थव्यवस्था में मील का पत्थर बताया और कहा कि यहां माइनिंग इंस्टीट्यूट खोला जाना चाहिए।
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हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड के चेयरमैन संजीव कुमार सिंह ने मध्यप्रदेश को तांबा उत्पादन में अग्रणी बनाने की योजना बताई।
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माइनवेयर एडवाइजर्स के एमडी कौशिक बोस ने कहा कि उनकी कंपनी प्रदेश में 450 करोड़ का निवेश करने जा रही है।
क्यों खास है यह कॉन्क्लेव?
मध्यप्रदेश के प्रमुख सचिव खनिज संसाधन उमाकांत उमराव ने बताया कि प्रदेश सोना, हीरा, कॉपर, ग्रेफाइट और 30 से अधिक क्रिटिकल मिनरल्स से भरपूर है। सीधी में लिथियम और लौह अयस्क की बेल्ट चिन्हित हो चुकी है।
वहीं, औद्योगिक नीति एवं निवेश प्रोत्साहन विभाग के प्रमुख सचिव राघवेंद्र सिंह ने कहा कि प्रदेश में 1 लाख एकड़ लैंडबैंक, सरप्लस बिजली और 5,000 से अधिक स्टार्टअप हैं। यहां निवेशकों को 30 दिन के भीतर उद्योग शुरू करने की सुविधा दी जा रही है।
कटनी माइनिंग कॉन्क्लेव 2.0 ने यह साबित कर दिया है कि मध्यप्रदेश खनन और औद्योगिक क्षेत्र का नया हब बनने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। ₹56,414 करोड़ के निवेश प्रस्ताव, बड़े एमओयू और उद्योगपतियों के विश्वास ने प्रदेश को एक नई पहचान दी है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का विजन स्पष्ट है— “देश के विकसित राज्यों की तरह, मध्यप्रदेश अब उद्योग और खनिज के क्षेत्र में भी नंबर-1 बनेगा।”