जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
जम्मू-कश्मीर के शांत और सुरम्य इलाकों में एक बार फिर दहशत का साया मंडरा उठा है। मंगलवार दोपहर पहलगाम की बैसरन घाटी में आतंकवादियों ने पर्यटकों पर अचानक गोलीबारी कर दी। इस हमले में कम से कम 6 लोगों के घायल होने की खबर है, जिनमें से एक महिला के पति के सिर में गोली लगने की पुष्टि स्वयं महिला ने न्यूज एजेंसी को फोन कर दी। महिला के मुताबिक, घायल लोगों की संख्या 7 से ज़्यादा हो सकती है। हमले के बाद सुरक्षाबलों ने इलाके को घेर लिया है और सर्च ऑपरेशन जारी है।
यह हमला उस वक्त हुआ है जब जम्मू-कश्मीर में अमन और पर्यटन को बढ़ावा देने की कोशिशें की जा रही थीं। लेकिन इस हमले ने एक बार फिर आतंक के पुराने ज़ख्म ताज़ा कर दिए हैं।
इससे पहले भी अप्रैल महीने में आतंकी गतिविधियों में जबरदस्त उबाल देखा गया है। 12 अप्रैल को अखनूर (जम्मू) में आतंकवादियों से मुठभेड़ में 9 पंजाब रेजिमेंट के JCO कुलदीप चंद शहीद हो गए थे। यह मुठभेड़ केरी बट्टल क्षेत्र में 11 अप्रैल की रात शुरू हुई थी।
11 अप्रैल को ही किश्तवाड़ के घने जंगलों में हुई मुठभेड़ में सुरक्षाबलों ने जैश-ए-मोहम्मद के 3 आतंकियों को ढेर कर दिया, जिनमें खतरनाक और मोस्ट वांटेड आतंकी कमांडर सैफुल्लाह भी शामिल था। ये मुठभेड़ एक बड़ी सफलता मानी जा रही है, लेकिन इसके पीछे की तैयारियों ने सुरक्षाबलों को भारी मशक्कत करवाई।
इसके अलावा 1 से 5 अप्रैल के बीच जम्मू के LoC सेक्टरों में भी घुसपैठ की कोशिशें हुईं, जिनमें बीएसएफ और सेना ने मुस्तैदी से कार्रवाई करते हुए कम से कम 5 पाकिस्तानी घुसपैठियों को ढेर कर दिया।
कठुआ ज़िले में भी हालात बेहद तनावपूर्ण हैं। 23 मार्च, 28 मार्च और 31 मार्च को लगातार तीन मुठभेड़ें हुईं, जिनमें एक तरफ 2 आतंकियों को मार गिराया गया, तो दूसरी ओर SOG के 4 जांबाज़ जवानों को देश ने खो दिया। DSP धीरज सिंह और 3 अन्य जवान अब भी इलाजरत हैं।