जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
मध्यप्रदेश के 51 हजार से अधिक गांवों में हर घर तक नल से जल पहुंचाने की महत्वाकांक्षी योजना ‘जल जीवन मिशन’ पर अब सवाल उठने लगे हैं। सरकार इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ऐतिहासिक पहल बता रही है, लेकिन जमीन पर हकीकत कुछ और ही नजर आ रही है।
गांवों में ठेकेदारों की मनमानी, पाइपलाइन की घटिया गुणवत्ता और अधूरे कामों की फेहरिस्त इतनी लंबी हो गई है कि खुद बीजेपी और कांग्रेस के विधायक इसके खिलाफ विधानसभा में मोर्चा खोल चुके हैं। शुक्रवार को विधानसभा में बीजेपी विधायक उमाकांत शर्मा ने इस योजना की पोल खोलते हुए सरकार को घेर लिया। उन्होंने कहा,
“पाइपलाइन की गुणवत्ता इतनी खराब है कि गांव-गांव में पानी की जगह सिर्फ परेशानियां बह रही हैं! ठेकेदारों को पैसे मिल गए, लेकिन गांवों की सड़कों को खोदकर छोड़ दिया गया, अब हाल ये है कि न सड़कें बनीं, न पानी मिला!”
वहीं, सरकार की ओर से सफाई पेश करते हुए पीएचई मंत्री संपतिया उईके ने कहा कि जल जीवन मिशन का 76% काम प्रगति पर है और 2027 तक यह योजना पूरी तरह सफल होगी। मंत्री ने भरोसा दिलाया कि जल संकट से निपटने के लिए डैम बनाए जा रहे हैं और इन्हें जल जीवन मिशन से जोड़ा जाएगा ताकि गांव-गांव तक पानी पहुंच सके। उन्होंने दावा किया कि अब तक 18,000 से अधिक गांवों में शुद्ध पेयजल की आपूर्ति हो चुकी है, लेकिन सरकार की यह सफाई विधायक उमाकांत शर्मा और अन्य जनप्रतिनिधियों को संतुष्ट नहीं कर पाई।
ठेकेदारों पर शिकंजा – 12 को किया ब्लैकलिस्ट, थर्ड-पार्टी जांच अनिवार्य!
पीएचई मंत्री ने यह भी स्वीकार किया कि योजना में कई जगह गड़बड़ियां सामने आई हैं। उन्होंने कहा कि अब तक 10 से 12 ठेकेदारों को ब्लैकलिस्ट किया गया है और उनसे वसूली की गई है।
मंत्री उईके ने कहा, “अब से ठेकेदारों के काम का थर्ड-पार्टी मूल्यांकन अनिवार्य होगा। जब तक उनकी गुणवत्ता की पुष्टि नहीं होगी, तब तक भुगतान नहीं किया जाएगा।”
इधर, बीजेपी के ही मुंगावली विधायक और पूर्व पीएचई राज्य मंत्री बृजेंद्र सिंह यादव ने जल जीवन मिशन को लेकर सरकार का बचाव किया। उन्होंने कहा, “ये योजना किसी जादू की छड़ी से नहीं चल सकती। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2020 में इसका ऐलान किया, लेकिन 51 हजार गांवों तक पानी पहुंचाना एक दिन का काम नहीं है।” यादव ने यह भी बताया कि पहले हैंडपंप और बोरिंग से पानी की आपूर्ति होती थी, लेकिन गिरते जलस्तर ने संकट बढ़ा दिया है। अब सरकार तालाबों, नदियों और बांधों के जरिए जल आपूर्ति की योजना बना रही है, ताकि समस्या का स्थायी समाधान निकाला जा सके।