जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
देश के 14वें उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने 21 जुलाई की रात अचानक अपने पद से इस्तीफा दे दिया, जिसे राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंगलवार को मंजूरी दे दी। राज्यसभा में यह जानकारी पीठासीन अधिकारी घनश्याम तिवाड़ी ने दी। मंगलवार को धनखड़ सदन की कार्यवाही में भी शामिल नहीं हुए, जबकि सुबह 11 बजे उच्च सदन की कार्यवाही JDU सांसद हरिवंश ने प्रारंभ की।
74 वर्षीय धनखड़ का कार्यकाल 10 अगस्त 2027 तक था। कुछ दिन पहले 10 जुलाई को एक सार्वजनिक कार्यक्रम में उन्होंने खुद कहा था— “ईश्वर की कृपा रही तो अगस्त 2027 में रिटायर हो जाऊंगा।” लेकिन 11 दिन बाद उनका अचानक दिया गया इस्तीफा कई सवालों को जन्म दे गया है।
धनखड़ ने राष्ट्रपति को भेजे पत्र में इस्तीफे की वजह स्वास्थ्य कारण बताया। हालांकि विपक्ष इसे केवल औपचारिकता मान रहा है। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने दावा किया कि इस्तीफे से ठीक पहले 21 जुलाई को वे राज्यसभा की कार्य मंत्रणा समिति (BAC) की बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे, जिसमें जेपी नड्डा और किरेन रिजिजू भी मौजूद थे। बैठक का दूसरा दौर शाम 4:30 बजे बुलाया गया, लेकिन दोनों मंत्री अनुपस्थित रहे—और यह सूचना खुद धनखड़ को भी पहले से नहीं दी गई। इसके बाद BAC की बैठक स्थगित कर दी गई। विपक्ष मानता है कि इस बीच कुछ गंभीर बात हुई, जिसने उपराष्ट्रपति को इस अप्रत्याशित कदम तक पहुंचाया।
वहीं, कांग्रेस सांसद दानिश अली ने इसे “स्वास्थ्य नहीं, सत्ता की अंदरूनी खींचतान” से जोड़ा। उन्होंने दावा किया कि न्यायपालिका से जुड़े मामलों पर धनखड़ की राय पार्टी नेतृत्व से मेल नहीं खा रही थी, और जस्टिस यादव व जस्टिस वर्मा को लेकर मतभेद भी गहराते जा रहे थे। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुखदेव भगत ने इस घटनाक्रम को बिहार चुनावों से जोड़ते हुए कहा—“राजनीति में कुछ भी अचानक नहीं होता, पटकथा पहले से ही लिखी जाती है।”
बता दें, धनखड़ उन पहले उपराष्ट्रपतियों में शामिल हैं, जिनके खिलाफ दिसंबर 2024 में महाभियोग प्रस्ताव लाया गया था—जो बाद में तकनीकी आधार पर खारिज हो गया। उनके कार्यकाल के दौरान विपक्ष लगातार उन पर पक्षपात और असहिष्णुता के आरोप लगाता रहा। राज्यसभा में कई बार उनकी कार्यशैली को लेकर तीखी बहस हुई।
धनखड़ ने अपने कार्यकाल में कई विवादित लेकिन विचारोत्तेजक बयान दिए। बंगाल सरकार को “लोकतंत्र का गैस चैंबर” कहने से लेकर, अनुच्छेद 142 को “न्यायपालिका के हाथों में परमाणु मिसाइल” बताना, और संविधान की प्रस्तावना में जोड़े गए शब्दों को “नासूर” कहना—उन्होंने हर स्तर पर स्पष्ट और कटाक्षपूर्ण शैली में अपनी राय रखी।
इस्तीफे से एक दिन पहले 20 जुलाई को, उन्होंने पत्नी सुरेश धनखड़ के जन्मदिन पर संसद टीवी के पत्रकारों को अपने आवास पर आमंत्रित कर पार्टी दी थी। जनवरी 2025 में उन्होंने नव-निर्मित उपराष्ट्रपति भवन में वृंदावन के कथावाचक से भागवत कथा करवाई थी और कथावाचक से 11–18 जुलाई के बीच वृंदावन आने का वादा किया था, जिसे बाद में निभा नहीं पाए।