जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
देश को नया उपराष्ट्रपति अगस्त महीने के अंत तक मिल सकता है। चुनाव आयोग ने बुधवार को संकेत दिया कि उपराष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है और अगले 72 घंटों में इसका औपचारिक शेड्यूल जारी किया जा सकता है। लेकिन इससे पहले, जो सवाल सबके जहन में है—वह ये कि आखिर देश के 14वें उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अचानक इस्तीफा क्यों दिया?
आधिकारिक वजह: स्वास्थ्य या राजनीतिक वजहें?
21 जुलाई की देर रात, जगदीप धनखड़ ने अनुच्छेद 67(ए) के तहत राष्ट्रपति को अपना त्यागपत्र सौंपा। उन्होंने अपने पत्र में लिखा कि वे डॉक्टरों की सलाह और स्वास्थ्य प्राथमिकताओं के चलते पद से इस्तीफा दे रहे हैं। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उनका इस्तीफा तात्कालिक प्रभाव से स्वीकार भी कर लिया।
ध्यान देने वाली बात यह है कि श्री धनखड़ का कार्यकाल अभी 10 अगस्त 2027 तक था। ऐसे में कार्यकाल के बीच अचानक इस्तीफा देना सिर्फ स्वास्थ्य कारणों से नहीं जोड़ा जा रहा।
हालांकि जगदीप धनखड़ ने स्वास्थ्य को कारण बताया, लेकिन विपक्ष इसे एक राजनीतिक झटका मान रहा है। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने एक बयान में बताया कि इस्तीफे के कुछ घंटे पहले ही धनखड़ संसद की ‘कार्य मंत्रणा समिति (BAC)’ की दो बैठकें ले रहे थे।
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पहली बैठक दोपहर 12:30 बजे हुई, जिसमें बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा और केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू समेत कई वरिष्ठ नेता मौजूद थे।
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इसके बाद शाम 4:30 बजे दूसरी बैठक रखी गई, लेकिन नड्डा और रिजिजू दोनों ही गैरहाजिर रहे।
जयराम रमेश का कहना है कि धनखड़ को इस गैरहाजिरी की कोई व्यक्तिगत सूचना तक नहीं दी गई, जिससे वे आहत हुए। इस अपमानजनक व्यवहार के बाद उन्होंने BAC की अगली बैठक टाल दी और उसी रात इस्तीफा भी दे दिया।
राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि श्री धनखड़ का इस्तीफा सिर्फ एक व्यक्तिगत निर्णय नहीं था, बल्कि यह सत्ता के गलियारों में चल रही अंदरूनी खींचतान का परिणाम है। कई जानकारों का मानना है कि संसद में चल रहे “ऑपरेशन सिंदूर” विवाद और सत्ता पक्ष की ओर से उपराष्ट्रपति को तवज्जो न मिलना भी इसकी एक बड़ी वजह हो सकती है। यह भी चर्चा है कि धनखड़ अपनी स्वतंत्र कार्यशैली के लिए जाने जाते रहे हैं, और कई बार सत्ता पक्ष की लाइन से इतर सोचने के कारण वे असहज भी हुए।
ECI की तैयारी: नया चुनाव जल्द
चुनाव आयोग ने उपराष्ट्रपति चुनाव को लेकर तीन अहम तैयारियां शुरू कर दी हैं:
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इलेक्टोरल कॉलेज—जिसमें लोकसभा और राज्यसभा के निर्वाचित व मनोनीत सदस्य शामिल हैं—की अंतिम सूची तैयार की जा रही है।
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मुख्य निर्वाचन अधिकारियों की नियुक्ति शुरू हो गई है।
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पिछले सभी उपराष्ट्रपति चुनावों की पृष्ठभूमि सामग्री को फिर से संकलित किया जा रहा है ताकि प्रक्रिया पारदर्शी रहे।
संविधान के अनुच्छेद 324 के तहत चुनाव आयोग को यह जिम्मेदारी दी गई है कि वह उपराष्ट्रपति के रिक्त पद के लिए निर्धारित समय में निष्पक्ष चुनाव कराए।
अब देश की निगाहें चुनाव आयोग पर हैं, जो किसी भी दिन उपराष्ट्रपति चुनाव की तारीखों का ऐलान कर सकता है। संभवतः अगस्त के अंतिम सप्ताह तक नए उपराष्ट्रपति का निर्वाचन पूरा हो जाएगा।