जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
रतलाम जिले के आदिवासी बहुल रावटी क्षेत्र से एक हिला देने वाली और दर्दनाक घटना सामने आई है, जहां एक झोलाछाप डॉक्टर की लापरवाही ने 6 साल की मासूम बच्ची की जान ले ली। मंगलवार को रावटी के पंचायत चौराहे पर स्थित एक निजी क्लिनिक पर इंजेक्शन लगवाने के महज दो घंटे के भीतर बच्ची की मौत हो गई। बच्ची की मौत के बाद मौके से फरार हुए आरोपी डॉक्टर को देर रात पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि आरोपी अजय सिंह चौहान के पास एलोपैथिक इलाज करने का कोई वैध प्रमाण पत्र या डिग्री नहीं है। वह महज होम्योपैथी की डिग्री रखता है, बावजूद इसके वह एलोपैथिक दवाओं और इंजेक्शनों से इलाज कर रहा था।
मासूम अरुणा के पिता नाथुलाल भाभर ने बताया कि मंगलवार सुबह उनकी बेटी को बुखार था, जिसके इलाज के लिए वे उसे रावटी के पंचायत चौराहे स्थित अजय सिंह चौहान के क्लिनिक पर ले गए। डॉक्टर ने बिना किसी जांच या टेस्ट के सीधा इंजेक्शन लगा दिया। इलाज के बाद परिवार बच्ची को लेकर बाजार चला गया, लेकिन कुछ ही देर में उसकी तबीयत और ज्यादा बिगड़ने लगी और उसे उल्टियां होने लगीं। परिजन बच्ची को तुरंत वापस क्लिनिक लेकर पहुंचे, लेकिन वहां दोपहर करीब 1 बजे बच्ची ने दम तोड़ दिया। इस हृदय विदारक घटना के बाद पूरे इलाके में सनसनी फैल गई।
सूचना मिलने पर पुलिस, स्वास्थ्य और राजस्व विभाग की टीम मौके पर पहुंची। बच्ची के शव को पोस्टमार्टम के लिए रतलाम मेडिकल कॉलेज भेजा गया और देर शाम अंतिम संस्कार कर दिया गया। वहीं, आरोपी डॉक्टर अजय सिंह चौहान को देर रात रावटी पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। पुलिस के अनुसार, पूछताछ की जा रही है और क्लिनिक को सील कर दिया गया है।
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि यह पहला मामला नहीं है। छह साल पहले भी इसी क्लिनिक में एक मरीज की मौत हो चुकी है। ग्राम गंगायता पाड़ा के निवासी रमेश चारेल की 26 जनवरी 2019 को हाथ-पैर में दर्द की शिकायत के बाद इसी क्लिनिक में इलाज के दौरान मौत हो गई थी। तब भी डॉक्टर ने बिना किसी जांच के इंजेक्शन लगाया था, और मरीज क्लिनिक के बाहर गिरकर दम तोड़ बैठा था।
स्वास्थ्य विभाग की जांच में सामने आया है कि आरोपी डॉक्टर केवल होम्योपैथी डिग्रीधारी है, फिर भी वह वर्षों से एलोपैथी इलाज कर रहा था, जिसमें इंजेक्शन लगाना, बॉटल चढ़ाना, और एलोपैथिक दवाओं का प्रयोग शामिल था। बताया जा रहा है कि अजय सिंह पिछले 10 से 12 वर्षों से रावटी में किराए के एक कमरे में यह क्लिनिक चला रहा था। वह रतलाम के एक होम्योपैथिक कॉलेज में शिक्षक के पद पर भी कार्यरत है, लेकिन अपनी निजी कमाई के लिए आदिवासी बहुल इस क्षेत्र में अवैध रूप से क्लिनिक संचालित कर रहा था।
स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, पिछले महीने ही रावटी क्षेत्र में चल रहे 50 से अधिक अवैध क्लिनिकों को नोटिस जारी कर उनकी डिग्री और अनुमति संबंधी दस्तावेज मांगे गए थे। जिस क्लिनिक में बच्ची की मौत हुई, उसे भी 27 मार्च को नोटिस जारी किया गया था, लेकिन डॉक्टर अजय सिंह चौहान की ओर से कोई जवाब नहीं दिया गया।