इंदौर के व्यापारियों ने चीन-बांग्लादेशी कपड़ों का किया बहिष्कार, 20 करोड़ का माल लौटाया; दुकानों पर लगे पोस्टर: “जो पहनो, वह भारतीय पहनो”!

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जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:

मध्यप्रदेश की आर्थिक राजधानी कहे जाने वाले इंदौर में एक बड़ी और ऐतिहासिक व्यापारिक पहल देखने को मिली है। यहां के रिटेल गारमेंट्स व्यापारियों ने चीन और बांग्लादेश से आने वाले कपड़ों के बहिष्कार का निर्णय लिया है। यह निर्णय सिर्फ एक आक्रोश की प्रतिक्रिया नहीं, बल्कि एक सुनियोजित मुहिम बन चुका है, जिसका असर इंदौर से शुरू होकर देश के अन्य हिस्सों तक पहुंचता दिखाई दे रहा है।

पिछले 10–12 दिनों में इंदौर के व्यापारियों ने करीब 20 करोड़ रुपए का चीनी और बांग्लादेशी कपड़ा वापस भेज दिया है। इतना ही नहीं, अपने पुराने ऑर्डर कैंसिल कर दिए गए हैं, भुगतान भी कर दिया गया है और बचे हुए माल की “होली जलाने” की तैयारी की जा रही है। इस आंदोलन का कारण केवल व्यापारिक नहीं, बल्कि राष्ट्रहित से जुड़ा है। दरअसल, जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले और ऑपरेशन सिंदूर के दौरान चीन और बांग्लादेश का पाकिस्तान के पक्ष में रुख दिखाई देने पर व्यापारियों में आक्रोश फूट पड़ा। इसी के बाद व्यापारियों ने यह फैसला लिया कि वे अब देशहित में केवल स्वदेशी वस्त्रों का व्यापार करेंगे।

इंदौर रिटेल गारमेंट्स एसोसिएशन के नेतृत्व में शुरू हुई इस मुहिम को लेकर शहर की सभी बड़ी दुकानों पर पोस्टर लग गए हैं— “हम चीन और बांग्लादेश के कपड़े नहीं बेचेंगे। जो पहनो, वह भारतीय पहनो।” दुकानदारों ने भगवान के सामने शपथ लेकर इस निर्णय को सार्वजनिक किया। संगठन के अध्यक्ष अक्षय जैन ने बताया कि इस मुहिम के तहत अब तक 22 हजार से ज्यादा ग्राहकों को कॉल करके जागरूक किया जा चुका है और उन्हें ऑनलाइन भी चीनी-बांग्लादेशी वस्त्र न खरीदने की अपील की गई है।

बात सिर्फ इंदौर तक सीमित नहीं है। आसपास के शहरों जैसे उज्जैन, रतलाम, देवास, खरगोन आदि के व्यापारी भी इस मुहिम से जुड़ने के लिए संपर्क कर रहे हैं। व्यापारियों ने 80 से ज्यादा डिस्ट्रिब्यूटरों को लेटर भेजकर यह साफ कर दिया है कि अब उनका चीनी या बांग्लादेशी कपड़ों से कोई लेना-देना नहीं है। इंदौर में हर महीने करीब 75 करोड़ रुपए का माल चीन से और 30–35 करोड़ रुपए का माल बांग्लादेश से आता था। साथ में आसपास के शहरों को जोड़ दें तो यह आंकड़ा 125 करोड़ रुपए तक पहुंच जाता है।

इस निर्णय का सीधा असर इंदौर की मार्केट पर भी पड़ेगा, जहां चीन से फाइबर टी-शर्ट, किड्स वियर, टॉप्स, वूलन, होजियरी और बांग्लादेश से डेनिम की भारी मांग रहती है। व्यापारियों का कहना है कि अब ये सभी वस्त्र लुधियाना, अहमदाबाद और अन्य स्वदेशी शहरों से मंगवाए जाएंगे। इससे न केवल आत्मनिर्भर भारत की सोच को बल मिलेगा, बल्कि देश की आर्थ‍िक सुरक्षा भी मजबूत होगी।

अब बचे हुए चीनी-बांग्लादेशी कपड़ों की “होली जलाने” का फैसला लिया गया है। व्यापारी नगर निगम और प्रशासन से इसकी अनुमति लेने की प्रक्रिया में हैं। अनुमति मिलते ही सार्वजनिक रूप से यह आयोजन किया जाएगा और शेष माल को नष्ट कर दिया जाएगा।

व्यापारियों ने इस मुहिम को एक जनआंदोलन का रूप देने की ठान ली है। युवाओं को जोड़ा जाएगा, सेलिब्रिटीज़ को अपील के लिए जोड़ा जाएगा, सोशल मीडिया अभियान चलाया जाएगा, ताकि राष्ट्रहित में ‘स्वदेशी पहनने’ की आदत हर भारतीय की प्राथमिकता बने। साथ ही यह भी बताया जा रहा है कि चीन-बांग्लादेशी कपड़ों की पहचान भी आम जनता सीख ले— उनकी बुनाई, चमक, टैग, फिनिशिंग आदि से वे अलग पहचाने जा सकते हैं।

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