जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
लखनऊ के एस्ट्रोनॉट ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला सोमवार शाम दिल्ली पहुंचे। यहां उनकी मुलाकात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हुई। पीएम ने गर्मजोशी से हाथ मिलाया, गले लगाया और पीठ थपथपाकर शाबाशी दी। करीब 8 मिनट तक चली बातचीत में पीएम मोदी ने शुभांशु से उनके अनुभव, अंतरिक्ष मिशन और भविष्य की योजनाओं पर विस्तार से चर्चा की।
मोदी ने कहा—“अब भारत को 40-50 एस्ट्रोनॉट तैयार करने होंगे।” वहीं शुभांशु ने बताया कि उनका अनुभव भारत के महत्वाकांक्षी गगनयान मिशन में बहुत काम आएगा।
अंतरिक्ष में मूंग-मेथी उगाने का प्रयोग
बातचीत के दौरान पीएम ने शुभांशु से उनके फूड ग्रोथ एक्सपेरिमेंट के बारे में पूछा। इस पर शुभांशु ने बताया कि स्पेस स्टेशन पर खाने की चुनौती सबसे बड़ी होती है। वहां जगह सीमित होती है और कार्गो भेजना महंगा पड़ता है।
उन्होंने कहा—“हमने मूंग और मेथी को छोटे जार में उगाने का प्रयोग किया। ये पौधे 8 दिन में तैयार हो जाते हैं। अगर ये प्रयोग सफल हुआ तो न सिर्फ एस्ट्रोनॉट्स के लिए बल्कि धरती पर भी फूड सिक्योरिटी की समस्या दूर करने में मदद मिलेगी।”
अंतरिक्ष यात्रा के बाद शरीर में बदलाव
पीएम मोदी ने शुभांशु से पूछा कि लंबी अंतरिक्ष यात्रा के बाद धरती पर लौटकर कैसा लगता है। इस पर उन्होंने कहा—
“स्पेस में ग्रेविटी न होने से दिल धीमा काम करने लगता है। शुरुआत में चलना मुश्किल हो जाता है। शरीर को चार-पांच दिन में एडजस्ट करना पड़ता है। लेकिन जैसे ही मैं पृथ्वी पर लौटा और पहला कदम रखा तो गिर पड़ा, लोगों ने मुझे संभाला।”
शुभांशु ने बातचीत में कहा कि स्पेस स्टेशन पर जब भी लोग जान पाते थे कि वे भारत से हैं, तो वे बेहद उत्साहित होते थे। साथी एस्ट्रोनॉट्स तक उनसे कहते थे कि जब भारत का गगनयान मिशन लॉन्च हो, तो उन्हें जरूर बुलाना।
उन्होंने पीएम मोदी से कहा—“आपकी सरकार ने चंद्रयान-2 की असफलता के बावजूद स्पेस प्रोग्राम का बजट और भरोसा कायम रखा। चंद्रयान-3 की सफलता ने साबित किया कि भारत अब विश्व में लीडरशिप की भूमिका निभा सकता है। भारत का खुद का स्पेस स्टेशन आत्मनिर्भरता की दिशा में ऐतिहासिक कदम होगा।”
शनिवार देर रात शुभांशु अमेरिका से भारत लौटे। दिल्ली एयरपोर्ट पर उनका स्वागत केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह, दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता, पत्नी कामना, बेटे किआश और परिजनों ने किया।
पिता शंभु दयाल शुक्ला ने कहा—“प्रधानमंत्री मोदी ने हमेशा बेटे को आशीर्वाद दिया है। वह 25 अगस्त को लखनऊ आ सकता है। परिवार लंबे समय से उसकी प्रतीक्षा कर रहा था।”
मां आशा शुक्ला ने खुशी जताते हुए कहा—“मैं उसे सीने से लगाकर दुलार करूंगी। यह सिर्फ हमारे परिवार नहीं बल्कि पूरे देश का गर्व है। अब मेरा बेटा पूरे देश का बेटा बन चुका है।”
41 साल बाद भारतीय ने अंतरिक्ष में रखा कदम
शुभांशु शुक्ला को नासा और इसरो के बीच हुए समझौते के तहत एक्सियम मिशन-4 के लिए चुना गया था। वह इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) पर जाने वाले पहले भारतीय और 41 साल बाद अंतरिक्ष यात्रा करने वाले दूसरे भारतीय बने।
इससे पहले 1984 में विंग कमांडर राकेश शर्मा ने सोवियत यूनियन के स्पेसक्राफ्ट से अंतरिक्ष की यात्रा की थी।
शुभांशु का अनुभव सीधे तौर पर भारत के पहले मानव अंतरिक्ष मिशन गगनयान से जुड़ जाएगा। इस मिशन के तहत भारत अपने गगनयात्रियों को पृथ्वी की निचली कक्षा में भेजेगा और सुरक्षित वापस लाएगा। इसे 2027 तक लॉन्च किए जाने की संभावना है। भारत में एस्ट्रोनॉट को गगनयात्री, रूस में कॉस्मोनॉट और चीन में ताइकोनॉट कहा जाता है।
शुभांशु अगस्त 2024 में अमेरिका रवाना हुए थे। उससे पहले वह बेंगलुरु में ट्रेनिंग ले रहे थे। परिवार से उनकी आखिरी मुलाकात अप्रैल 2024 में हुई थी। अब लगभग 16 महीने बाद उनका लखनऊ आना तय हो रहा है। रिवार के लिए यह पल बेहद खास है, वहीं पूरे देश के लिए यह अवसर गर्व और उत्साह का है।