भारत की न्यायपालिका में एक ऐतिहासिक मोड़ आ गया है। मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने अपने उत्तराधिकारी के तौर पर सुप्रीम कोर्ट के सीनियर जज जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई के नाम की औपचारिक सिफारिश केंद्रीय कानून मंत्रालय को भेज दी है। इसके साथ ही यह लगभग तय हो गया है कि जस्टिस गवई देश के 52वें मुख्य न्यायाधीश होंगे।
मात्र 7 महीने का होगा कार्यकाल, लेकिन महत्व ऐतिहासिक
जस्टिस गवई का कार्यकाल भले ही 23 नवंबर 2025 तक मात्र 7 महीने का होगा, लेकिन यह नियुक्ति कई कारणों से बेहद अहम मानी जा रही है। वे देश के दूसरे दलित मुख्य न्यायाधीश होंगे। उनसे पहले जस्टिस केजी बालाकृष्णन ने साल 2007 में यह गौरव प्राप्त किया था।
बता दें, यह सिफारिश भारतीय न्यायिक परंपरा के अनुरूप है, जिसमें मौजूदा CJI अपने उत्तराधिकारी का नाम तब सुझाते हैं जब कानून मंत्रालय उनसे ऐसा करने का आग्रह करता है। चूंकि CJI संजीव खन्ना का कार्यकाल 13 मई 2025 को समाप्त हो रहा है, इसलिए उन्होंने वरिष्ठता क्रम में अगले न्यायाधीश जस्टिस गवई के नाम को आगे बढ़ाया है।
जस्टिस गवई का जन्म 24 नवंबर 1960 को महाराष्ट्र के अमरावती में हुआ था। उन्होंने 1985 में वकालत की शुरुआत की और जल्द ही 1987 में बॉम्बे हाईकोर्ट में स्वतंत्र प्रैक्टिस शुरू की। उन्हें पूर्व एडवोकेट जनरल और हाईकोर्ट जज स्वर्गीय राजा एस. भोंसले का मार्गदर्शन भी प्राप्त हुआ।
1992 से 1993 तक वे सहायक सरकारी वकील और एडिशनल पब्लिक प्रॉसीक्यूटर के रूप में काम कर चुके हैं। इसके बाद उन्हें 14 नवंबर 2003 को बॉम्बे हाईकोर्ट का एडिशनल जज नियुक्त किया गया और 12 नवंबर 2005 को परमानेंट जज बना दिया गया। सुप्रीम कोर्ट में उनकी नियुक्ति 24 मई 2019 को हुई। जस्टिस गवई सुप्रीम कोर्ट के कई ऐतिहासिक निर्णयों का हिस्सा रह चुके हैं। 2016 के डिमॉनेटाइजेशन (नोटबंदी) के फैसले को संवैधानिक ठहराने वाले बहुमत निर्णय में उनकी भूमिका अहम रही थी। वहीं, चुनावी बॉन्ड योजना को असंवैधानिक घोषित करने वाले बहुचर्चित फैसले में भी वे निर्णायक बेंच का हिस्सा थे।
जस्टिस गवई केवल फैसलों के लिए नहीं, बल्कि न्यायपालिका की साख और नैतिकता की स्पष्ट पैरवी के लिए भी जाने जाते हैं। 19 अक्टूबर 2023 को गुजरात में न्यायिक अधिकारियों के एक सम्मेलन में उन्होंने दो टूक कहा था कि अगर न्यायपालिका पर से लोगों का भरोसा हटता है, तो वे भीड़तंत्र, भ्रष्टाचार और निजी बदले की ओर बढ़ेंगे, जिससे समाज में अराजकता बढ़ेगी। उन्होंने यह भी कहा था कि जजों द्वारा राजनेताओं या नौकरशाहों की खुली प्रशंसा न्यायपालिका की निष्पक्षता को नुकसान पहुंचा सकती है, और यह जनता में गलत संदेश देता है।
अगले CJI कौन?
जस्टिस गवई के बाद वरिष्ठता सूची में जस्टिस सूर्यकांत का नाम आता है, और कयास हैं कि वे देश के 53वें मुख्य न्यायाधीश बन सकते हैं।