SpaDeX मिशन लॉन्च के साथ भारत ने रचा नया इतिहास, CM डॉ मोहन यादव ने X पर ट्वीट कर दी बधाई

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जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:

भारत का नाम अब अंतरिक्ष में और भी चमकने जा रहा है, ऐसा इसलिए क्योंकि इसरो ने एक और अभूतपूर्व कीर्तिमान स्थापित किया है। दरअसल, इसरो ने 30 दिसंबर 2024 को श्रीहरिकोटा से रात 10 बजे SpaDeX (स्पेस डॉकिंग एक्सपेरिमेंट) मिशन को लॉन्च किया। इस मिशन के तहत, PSLV-C60 रॉकेट से दो स्पेसक्राफ्ट को पृथ्वी से 470 किलोमीटर ऊपर डिप्लॉय किया गया, और यह हर भारतीय के लिए गर्व का क्षण है।

इस मौके पर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने SpaDeX मिशन लॉन्च पर पूरी टीम और देशवासियों को हार्दिक बधाई दी। मुख्यमंत्री ने अपने X हैंडल पर लिखा, “आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में भारत ने इतिहास रच दिया है। इसरो द्वारा श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से PSLV-C60 के माध्यम से SpaDeX मिशन लॉन्च करने की सफलता के लिए इसरो की पूरी टीम और देशवासियों को हार्दिक बधाई।”

अब, 7 जनवरी 2025 को इन दो स्पेसक्राफ्ट्स को एक साथ कनेक्ट किया जाएगा। यह प्रक्रिया इतनी तेज़ होगी कि ये स्पेसक्राफ्ट्स बुलेट की स्पीड से दस गुना ज्यादा गति से ट्रैवल करते हुए एक दूसरे से जुड़ेंगे। यह न सिर्फ भारत के लिए, बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक तकनीकी मील का पत्थर होगा। वहीं, अगर इस मिशन में सफलता मिलती है, तो भारत रूस, अमेरिका और चीन के बाद चौथा देश बनेगा, जिसने इस जटिल डॉकिंग प्रक्रिया को सफलतापूर्वक अंजाम दिया है। यह मिशन भारत के आगामी चंद्रयान-4 मिशन के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है, जिसमें चंद्रमा की मिट्टी के सैंपल पृथ्वी पर लाए जाएंगे। चंद्रयान-4 मिशन को 2028 में लॉन्च किया जा सकता है।

बता दें, इसरो ने SpaDeX मिशन के तहत PSLV-C60 रॉकेट से दो छोटे स्पेसक्राफ्ट टारगेट और चेजर को 470 किलोमीटर की ऊंचाई पर लॉन्च किया। इन स्पेसक्राफ्ट्स की रफ्तार करीब 28,800 किलोमीटर प्रति घंटे है, जो एक कॉमर्शियल एयरक्राफ्ट की स्पीड से 36 गुना और एक बुलेट की स्पीड से 10 गुना ज्यादा है। अब, फार-रेंज रांदेवू फेज में ये दोनों एक-दूसरे के करीब आएंगे। इस दौरान, इन स्पेसक्राफ्ट्स के बीच सीधा कम्युनिकेशन लिंक नहीं होगा। इन्हें जमीन से गाइड किया जाएगा।

जैसे-जैसे ये स्पेसक्राफ्ट करीब आते जाएंगे, लेजर रेंज फाइंडर, डॉकिंग कैमरे और विजुअल कैमरा का इस्तेमाल होगा। इसके बाद, सफल डॉकिंग के बाद दोनों स्पेसक्राफ्ट्स के बीच इलेक्ट्रिकल पावर ट्रांसफर डेमोंस्ट्रेट किया जाएगा। इसके बाद, ये दोनों स्पेसक्राफ्ट अनडॉक होंगे और अपने-अपने पेलोड ऑपरेशन्स शुरू करेंगे। इस मिशन से हमें दो साल तक बेहद महत्वपूर्ण डेटा मिलेगा, जो भविष्य के अंतरिक्ष अभियानों के लिए बेहद फायदेमंद साबित होगा।

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