जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
गर्मियों में तरबूज और खरबूजे की मांग तेजी से बढ़ जाती है। ये फल न सिर्फ शरीर को ठंडक देते हैं बल्कि पानी की कमी भी दूर करते हैं। लेकिन कई बार ऐसा होता है कि बाजार से लाए गए ये फल पूरी तरह पके नहीं होते। उन्हें काटने पर स्वाद फीका या कड़वाहट महसूस होती है। ऐसे में बहुत लोग मजबूरी में इन फलों को फेंक देते हैं या फिर कैमिकल से पकाने का रास्ता अपनाते हैं, जो सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है। दरअसल, मार्केट में कई बार फल आर्टिफिशियल तरीके से पकाए जाते हैं जिसमें कैल्शियम कार्बाइड जैसे रसायनों का इस्तेमाल होता है, जो लीवर, किडनी और पेट के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। ऐसे में जरूरी है कि हम प्राकृतिक और सुरक्षित देसी उपायों को अपनाएं, जिनसे फल घर पर ही आसानी से पकाए जा सकें और उनकी मिठास व पौष्टिकता भी बनी रहे।
भारत में कई ऐसे पारंपरिक और देसी तरीके हैं जो कच्चे फलों को सुरक्षित रूप से पकाने में मदद करते हैं। सबसे लोकप्रिय तरीका है अखबार में लपेटकर रखना। इस प्रक्रिया में फल को अखबार में अच्छी तरह लपेटकर 2-3 दिनों तक कमरे के तापमान पर छोड़ दिया जाता है। इससे फल के आसपास एथिलीन गैस इकट्ठा होती है, जो प्राकृतिक रूप से फलों को पकाने में सहायक होती है। दूसरा तरीका है केले के साथ रखना। केले भी एथिलीन गैस छोड़ते हैं, जो बाकी फलों को तेजी से पकने में मदद करता है। आप खरबूजे या तरबूज को 1-2 दिनों के लिए केले के साथ किसी बंद थैले या डिब्बे में रख सकते हैं। तीसरा प्रभावी तरीका है चावल में दबा देना। पुराने ज़माने में यह तरीका गांवों में खूब इस्तेमाल किया जाता था। एक गहरी टोकरी या बर्तन में चावल भरकर फल को उसमें दबा दें। चावल नमी और गैस को नियंत्रित करता है, जिससे फल जल्दी पकते हैं और उनका स्वाद भी निखरता है।
इसके अलावा आप फल को सूती कपड़े में लपेटकर किसी गर्म जगह पर रख सकते हैं। ध्यान रहे कि फल को सीधे धूप में न रखें, लेकिन घर की हल्की गर्मी और हवा से भी यह प्रक्रिया आसान हो जाती है। अगर आपके पास पेपर बैग या भूसा उपलब्ध है तो फल को उसमें भी सुरक्षित रूप से रखा जा सकता है। यह तरीका भी 2-3 दिनों में असर दिखाता है।
इन सभी तरीकों में सबसे बड़ी बात यह है कि ये पूरी तरह से प्राकृतिक हैं और किसी भी कैमिकल या कृत्रिम प्रक्रिया से मुक्त हैं। इससे न केवल फल का स्वाद बेहतर होता है, बल्कि यह आपके शरीर के लिए भी सुरक्षित रहता है। बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक, हर उम्र के लोग इन फलों को निश्चिंत होकर खा सकते हैं।
तो अगली बार जब भी आपको लगे कि तरबूज या खरबूजा कच्चा है, उसे फेंकने या जबरदस्ती खाने की बजाय इन देसी तरीकों से पकाएं और स्वाद के साथ सेहत का भी पूरा ध्यान रखें।