जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
रीवा जिले में एक दिल दहला देने वाली वारदात सामने आई है, जिसने न सिर्फ पुलिस और प्रशासन को हैरान किया बल्कि पूरे प्रदेश को झकझोर दिया। इस सनसनीखेज मामले में एक दंपती—सुनील सिंह पटेल और हेमा सिंह—ने दो करोड़ रुपए की बीमा राशि और कर्ज से बचने के लिए ऐसा क्रूर षड्यंत्र रचा जिसे जानकर रूह कांप उठे। सुनील और हेमा ने मिलकर न केवल हत्या की साजिश रची, बल्कि हत्या को आत्मदाह का रूप देकर खुद को मृत घोषित करवा दिया। इस साजिश में उन्होंने यूट्यूब से आइडिया लेकर एक युवक को कार में जिंदा जलाया, ताकि उसके शव को सुनील के रूप में पहचान मिल सके और बीमा क्लेम मिल जाए।
पुलिस जांच में सामने आया कि आरोपी सुनील ने पहले विनय चौहान नाम के एक युवक से दोस्ती की, जिसकी कद-काठी उससे मिलती थी और जो अपने पिता की मौत के बाद मानसिक रूप से कमजोर हो चुका था। वारदात से एक दिन पहले सुनील ने बड़ी मात्रा में कपूर, एक गैस सिलेंडर और अन्य ज्वलनशील सामान खरीदा। 29 जून की रात उसने विनय को शराब पिलाकर बेहोश किया और उत्तर प्रदेश के चित्रकूट जिले के सिकरी गांव के सुनसान इलाके में ले जाकर कार में बंद कर दिया। सिलेंडर का नोजल खोलकर कपूर में आग लगाई और बाहर से दरवाजा बंद कर मौके से फरार हो गया। कार में आग लगने से विनय की दर्दनाक मौत हो गई।
इस क्रूर साजिश के बाद हेमा सिंह ने पुलिस को सूचना दी और शव की पहचान अपने पति सुनील के रूप में की। उसने विधवा की तरह सिंदूर पोंछा, मंगलसूत्र उतारा और समाज के सामने गमगीन होकर पूरी कहानी पर विश्वास करने पर मजबूर कर दिया। यहां तक कि सुनील के पिता अवध बिहारी सिंह ने भी शव का अंतिम संस्कार कर दिया और मृत्युभोज की तैयारी में जुट गए।
लेकिन किस्मत ने एक और करवट ली। सुनील को किसी जानकार ने जिंदा देख लिया और पुलिस तक यह खबर पहुंची। जब पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज खंगाले और गवाहों से पूछताछ की तो परत-दर-परत सच सामने आ गया। पुलिस ने 6-7 जुलाई की रात सुनील और हेमा को रीवा जिले के आनंदपुर गांव से गिरफ्तार किया। इसके बाद उनके खिलाफ हत्या, धोखाधड़ी, साजिश और सबूत मिटाने की धाराओं में केस दर्ज कर लिया गया।
सुनील के पिता अवध बिहारी सिंह ने बताया कि बेटे की मौत की खबर पाकर उन्होंने न सिर्फ उसका पिंडदान किया, बल्कि पीपल के पेड़ पर घट बांधकर आत्मा की शांति की प्रार्थना भी की। लेकिन बेटे के जीवित होने की खबर ने उन्हें मानसिक रूप से तोड़ दिया। वे कहते हैं कि बेटे की करतूतों की सजा उसके मासूम बच्चों को न मिले, इसलिए मीडिया से अपील करते हैं कि बच्चों की पहचान उजागर न की जाए।
दूसरी ओर, मृत युवक विनय चौहान के भाई विकास का दर्द छलक पड़ा। उसने बताया कि उनके पिता की हाल ही में मृत्यु हुई थी और अब भाई की ऐसी दर्दनाक हत्या ने उसे बेसहारा कर दिया है। विनय के परिवार की आर्थिक स्थिति बेहद कमजोर है, और सुनील ने इस नाजुक स्थिति का फायदा उठाकर विनय को अपने जाल में फंसाया।
एसपी अरुण सिंह और उनकी टीम ने मामले का खुलासा कर एक बड़ी साजिश को नाकाम किया। जांच में यह भी सामने आया कि सुनील ने दक्षिण भारत की एक फिल्म से प्रेरणा ली थी, जिसमें इसी तरह की बीमा राशि के लिए फर्जी मौत की कहानी थी। पुलिस ने इस केस को सुलझाने वाली टीम को ₹10,000 का इनाम भी दिया।