जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
काशी! जहाँ जीवन और मृत्यु के बीच का भेद मिट जाता है, जहाँ मृत्यु भी मोक्ष का द्वार बनती है, और जहाँ शिव स्वयं चिता की राख से तिलक करते हैं। आज उसी काशी के महाश्मशान – मणिकर्णिका घाट पर एक अनूठा और रहस्यमयी उत्सव हो रहा है – मसाने की होली! हर साल की तरह इस बार भी काशी में महाश्मशान की होली का दिव्य और रहस्यमयी आयोजन हो रहा है। चारों ओर जलती चिताओं की लपटें, हवा में उड़ती राख, गंगा की लहरों पर तैरता धुआं और बीच में डमरू, त्रिशूल, तांडव और भस्म के साथ होली का अद्भुत नजारा यहाँ देखने को मिल रहा है।
इस बार घाट पर नागा संन्यासियों का भव्य जमावड़ा लगा है। कोई गले में नरमुंडों की माला डालकर तांडव कर रहा है, तो कोई डमरू की थाप पर झूम रहा है। त्रिशूल लहराते नागा संन्यासी, तलवारों की झंकार, और हर-हर महादेव के जयघोष से पूरा वातावरण शिवमय हो गया है।
गंगा के पावन तट पर हजारों शिवभक्त और संत भस्म में सराबोर होकर नृत्य कर रहे हैं। कोई शिव की समाधि में लीन है, तो कोई भस्म से गुलाल की तरह एक-दूसरे को सराबोर कर रहा है। विदेशी श्रद्धालु भी इस रहस्यमयी होली का हिस्सा बनकर शिवमय हो गए हैं।
भीड़ इतनी अपार है कि पैर रखने की जगह तक नहीं। चिता की राख, गुलाल और भस्म से पटे रास्तों पर विदेशी श्रद्धालु भी झूम रहे हैं। मंगलवार सुबह 11 बजे जब डमरू वादन शुरू हुआ, तब ही नागा संन्यासियों ने त्रिशूल और तलवारों के साथ भस्म की होली खेलनी शुरू कर दी। हर-हर महादेव के गगनभेदी जयकारों के बीच शवयात्राएँ भी गुजर रही हैं, लेकिन यहाँ शोक नहीं, बल्कि जीवन की विजय का उत्सव है।
महाश्मशान के इस पर्व में 25 से अधिक देशों के श्रद्धालु शामिल हुए हैं, और इस बार भीड़ दो लाख से पार पहुंच गई है। महिलाओं को इस बार प्रवेश की अनुमति नहीं दी गई, लेकिन फिर भी कुछ श्रद्धालु महिलाएँ घाट पर पहुँची हुई हैं।
इस बार के खास आयोजन में
🔹 25 देशों से आए 2 लाख से ज्यादा पर्यटक – पहली बार इतनी बड़ी संख्या में श्रद्धालु मसाने की होली में शामिल हुए।
🔹 डमरू की गूंज और तांडव – 5000 से अधिक नागा साधुओं ने घाट पर त्रिशूल और तलवारों के साथ तांडव किया।
🔹 हर-हर महादेव के साथ शवयात्रा का संगम – बीच-बीच में शवयात्राएं गुजर रही हैं, और शिवभक्त शवों को देख भयभीत होने के बजाय आनंद में नृत्य कर रहे हैं।
🔹 भस्म और गुलाल की आभा – जलती चिताओं की राख को अबीर-गुलाल की तरह उड़ाया जा रहा है।
🔹 महिला श्रद्धालुओं को प्रवेश की अनुमति नहीं – इस बार प्रशासन ने महिलाओं को इस होली में प्रवेश की अनुमति नहीं दी, फिर भी कुछ महिलाएं श्रद्धा भाव से घाट पर पहुंचीं।