जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
उत्तराखंड के बहुचर्चित अंकिता भंडारी हत्याकांड में शुक्रवार को आखिरकार इंसाफ की राह पर बड़ा फैसला आया। कोटद्वार जिला अदालत ने मुख्य आरोपी और भाजपा नेता के बेटे पुलकित आर्य समेत तीनों दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई। साथ ही 50-50 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया गया है। अदालत ने यह फैसला 2 साल 8 महीने लंबे संघर्ष के बाद सुनाया, जिसमें पुलकित आर्य के साथ उसके दो साथी सौरभ भास्कर और अंकित गुप्ता को भी दोषी पाया गया।
अदालत के फैसले से पहले अंकिता के पिता वीरेंद्र सिंह भंडारी ने मीडिया के माध्यम से अपनी बेटी के हत्यारों को फांसी की सजा देने की मांग की थी। उनका कहना था कि जिन्होंने उनकी निर्दोष बेटी को बर्बरता से मारा, वे किसी भी दया के पात्र नहीं हैं।
अंकिता भंडारी, मात्र 19 साल की एक महत्वाकांक्षी युवती, ऋषिकेश स्थित वनंतरा रिसॉर्ट में बतौर रिसेप्शनिस्ट काम कर रही थी। 18 सितंबर 2022 को अचानक वह लापता हो गई। परिजनों की शिकायत पर पुलिस ने जब जांच शुरू की तो धीरे-धीरे एक रोंगटे खड़े कर देने वाली साजिश सामने आई।
मुख्य आरोपी पुलकित आर्य, जो कि भाजपा नेता और पूर्व मंत्री विनोद आर्य का बेटा है, पर यह आरोप था कि उसने अंकिता पर रिसॉर्ट में आने वाले वीआईपी ग्राहकों को “खुश करने” का दबाव बनाया। अंकिता ने जब इसका विरोध किया, तो पुलकित और उसके दोनों कर्मचारियों ने उसे एक योजना के तहत चीला नहर में धक्का देकर हत्या कर दी।
पुलिस जांच में यह भी सामने आया कि घटना वाले दिन अंकिता को पुलकित और उसके साथियों ने ऋषिकेश ले जाने का बहाना किया। CCTV फुटेज में अंकिता आखिरी बार तीनों आरोपियों के साथ देखी गई, लेकिन लौटते समय वह उनके साथ नहीं थी। शक गहराने पर सख्त पूछताछ में पुलकित ने जुर्म कबूल किया और बताया कि उन्होंने गंगा की नहर में उसे धक्का दे दिया था। रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद 24 सितंबर को चीला नहर से अंकिता का शव बरामद किया गया।
बता दें, इस निर्मम हत्या के बाद पूरे उत्तराखंड में आक्रोश फैल गया। गुस्साई भीड़ ने पुलकित आर्य के रिसॉर्ट को आग के हवाले कर दिया, वहीं भाजपा विधायक रेणु बिष्ट की कार पर भी हमला हुआ। मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने SIT का गठन किया और न्याय प्रक्रिया को तेज़ किया।राजनीतिक दबाव को देखते हुए भाजपा ने पुलकित के पिता विनोद आर्य को पार्टी से निष्कासित कर दिया। वे भाजपा OBC मोर्चा के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य और उत्तर प्रदेश सह प्रभारी थे। साथ ही पुलकित के भाई अंकित आर्य, जो OBC कल्याण आयोग के उपाध्यक्ष थे, को भी पद से हटा दिया गया।
कोर्ट ने आज के दिन को न्याय का दिन बताया और तीनों आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई। हालांकि अंकिता के परिजन इस सजा से संतुष्ट नहीं हैं और फांसी की मांग को दोहराते हैं, लेकिन यह फैसला उन तमाम बेटियों और परिवारों के लिए एक उम्मीद की किरण है, जो सिस्टम से न्याय की आस लगाए बैठे हैं।