ड्रोन से हाईटेक निगरानी: मध्यप्रदेश में 23,000 ट्रांसमिशन टावरों पर शुरू हुई पेट्रोलिंग, ऊर्जा मंत्री तोमर बोले – ‘ड्रोन तकनीक से समय रहते फॉल्ट पकड़ने और सुधार का मिला बेहतरीन समाधान!

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जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:

मध्यप्रदेश पावर ट्रांसमिशन कंपनी (एमपी ट्रांसको) ने टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में एक बड़ा कदम उठाते हुए राज्य में ट्रांसमिशन टावरों की निगरानी के लिए ड्रोन पेट्रोलिंग की प्रक्रिया को सफलतापूर्वक लागू किया है। ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने जानकारी दी कि 220 के.व्ही. के लगभग 10,000 ट्रांसमिशन टावरों पर ड्रोन तकनीक का प्रारंभिक परीक्षण बेहद सफल रहा। इस सफलता के बाद कंपनी ने इस योजना का विस्तार करते हुए 400 और 132 के.व्ही. के अतिरिक्त 23,000 ट्रांसमिशन टावरों की भी ड्रोन से पेट्रोलिंग शुरू कर दी है। इस तकनीक से ट्रांसमिशन लाइनों में फॉल्ट की समय रहते सटीक पहचान हो रही है, जिससे उनके सुधार कार्य को तुरंत अंजाम दिया जा रहा है और पूरे सिस्टम में ब्रेकडाउन की घटनाओं में उल्लेखनीय कमी आई है।

ऊर्जा मंत्री तोमर ने बताया कि ड्रोन की मदद से दुर्गम और कठिन इलाकों में स्थित ट्रांसमिशन टावरों की निगरानी अब बेहद सरल और प्रभावी हो गई है। ड्रोन से प्राप्त विजुअल डेटा के आधार पर फॉल्ट आने से पहले ही सुधार कार्य शुरू कर दिया जाता है। परिणामस्वरूप जिन लाइनों की पेट्रोलिंग ड्रोन से की गई है, उनमें पिछले एक वर्ष में ब्रेकडाउन की दर में महत्वपूर्ण गिरावट दर्ज की गई है।

वर्तमान में लगभग 8040 किलोमीटर लंबी एकस्ट्रा हाईटेंशन लाइनों के टावरों की निगरानी ड्रोन के माध्यम से की जा रही है। इनमें 400 के.व्ही. की 21 और 132 के.व्ही. की 245 लाइनें शामिल हैं। ड्रोन की क्षमता इतनी है कि वह एक ही स्थान से लगभग चार से पांच किलोमीटर दूर तक के टावरों की निगरानी कर सकता है। ड्रोन द्वारा खींची गई तस्वीरों और वीडियो फुटेज का विश्लेषण कर टॉवरों की स्थिति का सटीक आकलन किया जा रहा है।

प्रदेश में कुल 43,000 किलोमीटर से अधिक की ट्रांसमिशन लाइनें और करीब 90,000 ट्रांसमिशन टावर हैं। इनमें से वर्तमान में लगभग 23,000 टावरों की ड्रोन से निगरानी की जा रही है। ड्रोन पेट्रोलिंग की शुरुआत पहले कुछ चुनिंदा टावरों से की गई थी, जहां सकारात्मक परिणाम आने के बाद इसे बड़े स्तर पर लागू किया गया। इससे खासतौर पर उन इलाकों में फायदा हुआ है, जहां भू-भाग की भौगोलिक परिस्थितियां निगरानी के लिए चुनौतीपूर्ण थीं।

इस नई प्रणाली की एक और विशेषता यह है कि ड्रोन पेट्रोलिंग के माध्यम से एकत्रित किए गए सभी डाटा को मोबाइल, वेब पोर्टल और एप के माध्यम से संबंधित अधिकारियों और कर्मचारियों को उपलब्ध कराया जा रहा है। इस डेटा में चिन्हित फॉल्ट और उनके सुधार की विस्तृत जानकारी शामिल होती है, जो मेंटेनेंस टीम के लिए ग्लोबल एक्सेस पर उपलब्ध होगी। यह पूरी व्यवस्था ट्रांसमिशन सिस्टम की विश्वसनीयता और गुणवत्ता सुनिश्चित करने में एक मील का पत्थर साबित हो रही है।

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