जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय की महिला अधिकारी द्वारा कुलगुरु पर लगाए गए गंभीर आरोपों के मामले में मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने एक बार फिर सख्त रुख अपनाया है। न्यायमूर्ति विशाल मिश्रा की एकल पीठ ने विश्वविद्यालय प्रशासन पर नाराजगी जताते हुए कहा कि घटना वाले दिन सीसीटीवी कैमरा काम नहीं कर रहा था, यह तर्क स्वीकार नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने जबलपुर कलेक्टर को निर्देश दिए हैं कि फोरेंसिक और तकनीकी विशेषज्ञों से जांच कराई जाए कि कैमरा वास्तव में बंद था या जानबूझकर छेड़छाड़ की गई।
दरअसल, महिला अधिकारी ने आरोप लगाए हैं कि 21 नवंबर 2024 को एक मीटिंग के दौरान विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रो. राजेश वर्मा ने उनके साथ न केवल अभद्र भाषा का प्रयोग किया बल्कि आपत्तिजनक इशारे भी किए। शिकायत उच्च शिक्षा विभाग और राज्य महिला आयोग तक पहुंचने के बावजूद जब कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई, तो महिला अधिकारी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। याचिकाकर्ता के वकील आलोक वागरेचा ने कोर्ट में दलील दी कि पहले सरकार ने कहा था कि फुटेज सुरक्षित हैं, अब विश्वविद्यालय कह रहा है कि कैमरा बंद था – यह पूरी तरह विरोधाभासी बयान हैं।
जिसके बाद कोर्ट ने स्पष्ट कहा है कि यह जानकारी प्रस्तुत की जाए कि सीसीटीवी कैमरा कब इंस्टॉल किया गया, कब तक चालू रहा और किस तारीख से वह बंद हुआ। इसके साथ ही कुलसचिव को यह भी हलफनामे में बताना होगा कि पूर्व आदेश के बावजूद फुटेज को सुरक्षित क्यों नहीं रखा गया और अगर कैमरा खराब था तो समय पर मरम्मत क्यों नहीं कराई गई। इस मामले की अगली सुनवाई 15 मई को होगी और उससे पहले सभी रिपोर्ट कोर्ट में जमा करनी होंगी।
वहीं, मामले की जांच के लिए विश्वविद्यालय ने पांच सदस्यीय कमेटी बनाई थी, जिसे बताया गया कि घटना के दिन कैमरा बंद था। लेकिन अब कोर्ट इस जवाब से संतुष्ट नहीं है और तकनीकी सच्चाई सामने लाने के निर्देश दे चुका है। मामला अब गंभीर रूप लेता जा रहा है और अगली सुनवाई में स्थिति और स्पष्ट हो सकती है।