जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
मध्यप्रदेश में इस बार गर्मी ने अपने तेवर कुछ ज्यादा ही तीखे दिखा दिए हैं। अप्रैल की शुरुआत होते-होते ही प्रदेश के कई हिस्सों में तापमान 44 डिग्री सेल्सियस के पार पहुंच गया है, जो आमतौर पर मई-जून में देखने को मिलता है। सोमवार का दिन पूरे राज्य के लिए इस सीजन का अब तक का सबसे झुलसता दिन साबित हुआ। नर्मदापुरम में 44.3 डिग्री और रतलाम में 44 डिग्री सेल्सियस तापमान दर्ज किया गया, जो इस साल की अब तक की सबसे अधिक गर्मी का संकेत है। ऐसा लग रहा है जैसे सूरज ने सीधे ज़मीन पर आग बरसानी शुरू कर दी हो।
वहीं दूसरी ओर, भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, उज्जैन और जबलपुर जैसे प्रदेश के प्रमुख शहरों में भी गर्मी ने सीजन का पहला बड़ा झटका दिया है। पहली बार इन सभी शहरों में पारा 40 डिग्री सेल्सियस की सीमा पार कर गया, जिससे आम लोगों की दिनचर्या बुरी तरह प्रभावित हुई।
मौसम विभाग की चेतावनी अब डराने लगी है। आने वाले दिनों में गर्मी और लू का कहर और तेज़ होने वाला है। श्योपुर, मुरैना, भिंड, शिवपुरी, गुना, नीमच, मंदसौर और रतलाम जैसे जिलों में हीट वेव का रेड अलर्ट जारी कर दिया गया है। इन इलाकों में तेज गर्म हवाएं, शरीर को चुभती लू और पानी की कमी से स्वास्थ्य संबंधी खतरे बढ़ सकते हैं।
सिर्फ दिन की परेशानी नहीं, अब रातें भी राहत नहीं देंगी। इंदौर, उज्जैन और धार में रात के तापमान में भी जबरदस्त बढ़ोतरी देखी जा रही है, जिससे लोगों की नींद, आराम और सामान्य जीवनचर्या पर असर पड़ रहा है।
और अब बारी है बड़े शहरों की —भोपाल, इंदौर, उज्जैन और ग्वालियर में 9 और 10 अप्रैल को हीट वेव की स्थिति बनने की आशंका जताई गई है। ये वे दिन होंगे जब आसमान से आग बरसेगी और ज़मीन से हवा नहीं, गर्म साँसें उठेंगी।
हालांकि, मौसम वैज्ञानिक की मानें तो 11 अप्रैल से वेस्टर्न डिस्टर्बेंस (पश्चिमी विक्षोभ) के असर से कुछ शहरों में हल्की बारिश हो सकती है, जिससे तापमान में थोड़ी राहत मिलने की उम्मीद है। लेकिन तब तक, गर्मी और लू से सतर्क रहना ही एकमात्र उपाय है।
मौसम विभाग ने स्पष्ट कर दिया है — यह तो बस शुरुआत है। मध्यप्रदेश में अप्रैल और मई गर्मी के सबसे खतरनाक महीने होते हैं। जैसे दिसंबर-जनवरी में ठंड हड्डियों तक उतरती है और जुलाई-अगस्त में बारिश तर कर देती है, वैसे ही अप्रैल और मई में गर्मी झुलसा देती है। इस बार गर्मी अपनी तय तारीख से पहले ही आ गई है। मार्च के अंत तक पारा 41 डिग्री को छू गया, जो सामान्य से कहीं अधिक है। हालांकि मार्च के आखिरी कुछ दिनों में पश्चिमी विक्षोभ और साइक्लोनिक सर्कुलेशन ने थोड़ी राहत दी थी, लेकिन अब गर्मी दोबारा रफ्तार पकड़ चुकी है।