हरदा बंद: राजपूत समाज की मौन न्याय यात्रा में उमड़ा जनसैलाब, पुलिस बर्बरता के खिलाफ 7 हजार लोगों ने किया शांतिपूर्ण विरोध; व्यापारियों ने भी किया समर्थन!

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जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:

हरदा में 12 और 13 जुलाई को करणी सेना के कार्यकर्ताओं पर पुलिस द्वारा किए गए लाठीचार्ज ने शहर की फिज़ा को आंदोलित कर दिया है। इस घटना के विरोध में शनिवार को हरदा शहर पूरी तरह बंद रहा। राजपूत समाज के नेतृत्व में एक मौन न्याय यात्रा निकाली गई, जिसमें करीब 7 हजार से ज्यादा लोग शामिल हुए। यह रैली सिर्फ विरोध नहीं थी, यह गूंगी सरकार और बर्बर पुलिस व्यवस्था के खिलाफ एक तीखा लेकिन शांत संदेश था।

इस मौन रैली की शुरुआत राजपूत छात्रावास से हुई। शुरुआत में 500 लोग थे, लेकिन रास्ते में जुड़ते-जुड़ते यह संख्या हजारों में बदल गई। परशुराम चौक, चांडक चौक, घण्टाघर चौक, जैसानी चौक और नई सब्जी मंडी से होती हुई यह यात्रा पुनः छात्रावास पहुंची। करीब दो किलोमीटर लंबी इस रैली में कोई नारेबाज़ी नहीं हुई, सिर्फ मौन, आक्रोश और आंखों में न्याय की मांग साफ दिखी।

इस दौरान समाज के लोगों ने राजपूत छात्रावास में घुसकर युवाओं पर बल प्रयोग करने वाले पुलिसकर्मियों को निलंबित करने की मांग रखी। उनका आरोप है कि पुलिस ने बिना किसी उकसावे के छात्रावास में घुसकर निर्दोष छात्रों पर बर्बरता दिखाई। दोषियों पर न केवल विभागीय बल्कि कानूनी कार्रवाई की भी मांग उठी।

शहर के विधायक डॉ. आर के दोगने ने भी इस पुलिस कार्रवाई की खुलकर निंदा की। उन्होंने कहा, “जो कुछ भी 12 और 13 जुलाई को हुआ, वह शर्मनाक है। सर्व समाज ने इस अन्याय के खिलाफ आवाज उठाई है, और शासन को तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए।”

रैली की खास बात यह रही कि यह सिर्फ एक जाति या संगठन की नहीं रही। हर समाज, हर वर्ग के लोग इसमें शामिल हुए। व्यापारियों ने बंद को समर्थन दिया और सुबह से ही अधिकांश दुकानें और प्रतिष्ठान बंद रहे। इस तरह का शांतिपूर्ण लेकिन प्रभावशाली बंद शायद ही कभी शहर ने देखा हो।

करणी सेना पर पुलिस का तीन बार लाठीचार्ज, कार्यकर्ताओं को अस्थाई जेल में डालना और आंसू गैस के गोले छोड़ना… ये सब उस वक्त हुआ जब करणी सेना के कार्यकर्ता एक धोखाधड़ी के आरोपी को उन्हें सौंपने की मांग कर रहे थे। 12 जुलाई को लाठीचार्ज के बाद 4 कार्यकर्ता गिरफ्तार हुए। 13 जुलाई को फिर विरोध हुआ, और एक बार फिर पुलिस ने लाठियां भांज दीं — इस बार करीब 60 कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया गया। तीसरी बार भी यही सिलसिला दोहराया गया, जिसने पूरे प्रदेश में आक्रोश फैला दिया।

इस घटना का असर सिर्फ हरदा तक सीमित नहीं रहा। भोपाल, रतलाम समेत मध्यप्रदेश के कई शहरों में प्रदर्शन और चक्काजाम हुए। करणी सेना और राजपूत समाज के अलावा अन्य संगठनों ने भी पुलिस की इस बर्बरता के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।

राजपूत परिषद के संभागीय सचिव अजब सिंह राजपूत ने कहा कि यह सिर्फ एक समाज की लड़ाई नहीं है, यह अन्याय और अत्याचार के खिलाफ हर जागरूक नागरिक की आवाज है। उन्होंने यह भी कहा कि, “रैली में 8 से 10 हजार लोग शामिल थे, लेकिन कोई अप्रिय घटना नहीं घटी — यह हमारे आंदोलन की मर्यादा और अनुशासन का प्रमाण है।”

घण्टाघर चौक पर महात्मा गांधी और सरदार पटेल की प्रतिमा पर सर्व समाज के अध्यक्षों ने माल्यार्पण कर लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा की अपील की।

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