जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
ग्वालियर के पुरानी छावनी क्षेत्र से एक दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है, जिसने न सिर्फ एक परिवार की खुशियों को उजाड़ दिया, बल्कि पुलिस प्रशासन की कार्यशैली पर भी बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। गंगा मालनपुर की रहने वाली एक आंगनबाड़ी कार्यकर्ता युवती ने एक युवक की लगातार मानसिक प्रताड़ना और पुलिस की लापरवाही से तंग आकर आत्महत्या कर ली।
युवती बीते कई महीनों से पड़ोस में रहने वाले मनीष कुशवाह की हरकतों से परेशान थी। मनीष न सिर्फ उसका पीछा करता था, बल्कि आए दिन छेड़छाड़ करता, जबरदस्ती हाथ पकड़ता और धमकाकर साथ चलने के लिए मजबूर करता। इतना ही नहीं, युवती के साथ के निजी फोटो एडिट करके उसने सोशल मीडिया पर वायरल कर दिए। वह अपने दोस्तों को ये फोटो दिखाकर युवती को बदनाम करता रहा, जिससे पूरा गांव उसे गलत नजर से देखने लगा।
2 जुलाई को जब स्थिति असहनीय हो गई, तब युवती अपने परिवार के साथ पुरानी छावनी थाने पहुंची और आरोपी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई। लेकिन दुखद पहलू यह रहा कि पुलिस ने कार्रवाई करने की बजाय समझौते का रास्ता अपनाया। थाने में बुलाए गए आरोपी और उसके परिजनों ने दबाव बनाकर एक राजीनामा तैयार कराया, जिसमें युवती को यह लिखवाया गया कि अब उसे पुलिस की कोई सहायता नहीं चाहिए। यह वही राजीनामा है जो अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।
इस राजीनामे के ठीक बाद युवती इतनी टूटी हुई थी कि उसी दिन रेलवे ट्रैक पर जाकर आत्महत्या करने की कोशिश की, लेकिन उसकी मां समय पर पहुंच गई और उसे बचा लिया। तब से ही वह मानसिक रूप से पूरी तरह टूट चुकी थी। परिजनों का कहना है कि यदि पुलिस उस दिन एफआईआर दर्ज कर लेती, तो शायद आज उनकी बेटी जिंदा होती।
युवती के चाचा का बयान और भी चौंकाने वाला है। उन्होंने बताया कि मनीष लगातार युवती को परेशान करता था, उसके खिलाफ थाने में शिकायत की गई थी, लेकिन पुलिस ने कानूनी प्रक्रिया अपनाने के बजाय आरोपी को संरक्षण देते हुए सिर्फ ‘समझौता’ करवा दिया। राजीनामे में युवती ने जो लिखा था, वह उसके भय और दबाव की पूरी तस्वीर सामने रख देता है।
आखिरकार, मनीष की प्रताड़ना और समाज की उपेक्षा से टूटकर युवती ने अपने ही घर में फांसी लगाकर अपनी जीवनलीला समाप्त कर ली। यह आत्महत्या नहीं, सिस्टम और समाज की चुप्पी के कारण हुई हत्या है।
फिलहाल पुलिस ने मनीष कुशवाह को गिरफ्तार कर लिया है और उसका मोबाइल जब्त कर जांच शुरू की है। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या अब इस गिरफ्तारी से उस बेटी की जान वापस आ सकती है? और क्या पुलिस, जिसने समय रहते कानूनी कार्यवाही नहीं की, अब अपनी जवाबदेही स्वीकार करेगी?